फॉरेस्ट ने पकड़ा पशुओं से लदा ट्रक @ टीआई ने कहा …..यह तुम्हारा कार्यक्षेत्र नहीं

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शुभम तिवारी….

शहडोल। बुधवार और गुरुवार की दरमियानी रात गोहपारू वन परिक्षेत्र अंतर्गत चुहरी के पास अवैध रूप से परिवहन की जा रही वन उपज की सूचना मिलने पर स्थानीय वन परिक्षेत्र अधिकारी हेमंत प्रजापति अन्य स्टाफ के साथ रात्रि गश्त पर थे, इसी दौरान चुहरी के आसपास लगे बैरियर पर वाहन को फॉरेस्ट कर्मियों ने बैरियर के पास रोका तो वह वहां से भगाने के प्रयास में चालक गाड़ी को और तेज भाग कर ले गया, शंका होने पर गोहपारू वन परिक्षेत्र अधिकारी अपने स्टाफ के साथ उक्त वाहन के पीछे हो लिए और उसे रोक कर जांच के प्रयास में लग गए, इसी दौरान इसकी सूचना डीएफओ साउथ को भी दी गई।

रात लगभग 1 से 2:00 बजे के बीच या घटनाक्रम हुआ और कई किलोमीटर तक वाहन का पीछा किया जाता रहा, वाहन को आगे से एक काले रंग की लग्जरी गाड़ी लोकेशन और गाइड भी कर रही थी, अंदर के मार्गों से होती हुई गाड़ी गोहपारू थाना क्षेत्र अंतर्गत अपना होटल के आसपास मार्ग पर पहुंची, जहां पर वन परिक्षेत्र अधिकारी ने गोहपारू रेंज हेमंत प्रजापति ने वन कर्मियों को सूचना देकर मुख्य मार्ग पर ही अन्य वाहन आड़ा करके खड़ा करवा दिया, जिससे भाग रहा वाहन आगे ना जा सके,इसके बाद ट्रक चालक और परिचालक वाहन को वहीं पर खड़ा करके भाग गए।

यह घटनाक्रम रात लगभग डेढ़ से 2:30 बजे के बीच का है, वन विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों ने जब वाहन की जांच की, तो यह बात सामने आई कि उसमें वनोपज नहीं, बल्कि पशु लदे हुए थे, जिन्हें तस्करी कर मध्य मध्य प्रदेश से होते हुए उत्तर प्रदेश ले जाने की तैयारी थी, फोन पर इसकी सूचना गोहपारू थाने में दी गई, लेकिन कोई पुलिसकर्मी मौके पर नहीं पहुंचा, इसके बाद कुछ वनकर्मी थाने गए, लेकिन वहां पर स्टाफ न होने की बात कही गई, वन परिक्षेत्र अधिकारी ने यह भी बताया कि इस मामले में जब उसने थाना प्रभारी गोहपारू समीर खान से बात की की तो उन्होंने पहले तो आने में आनाकानी की, स्टाफ की कमी बताई और फिर यह कहकर पल्ला झाड़ने का प्रयास किया कि आप लोगों को वाहनों की जांच और पशु तस्करों को पकड़ने के अधिकार किसने दे दिए, वन परिक्षेत्र अधिकारी ने यह भी बताया कि डीएफओ शहडोल ने इस मामले में थाना प्रभारी से संपर्क किया,सूचना कलेक्टर श्रीमती वंदना वैद्य तक दी गई और उनके सक्रिय होने के बाद पुलिस नींद से जागी,काफी देर तक प्रभारी और उसके मातहत मौके पर नहीं पहुंचे,प्रभारी समीर खान पशु तस्करी जैसे गंभीर मामला जिसमें वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने जान पर खेल कर दर्जनों पशुओं की जान बचाई, उसे गंभीरता से न लेते हुए कार्यक्षेत्र की बात करने लगे, जिससे यह जाहिर होता है कि पशु तस्करों के संबंध कहीं ना कहीं समीर खान और अन्य आसपास के थाना क्षेत्र से जुड़े हुए हैं, गोहपारू से पहले वाहन किस-किस थाना क्षेत्र से होकर यहां पहुंचा था और इस बात की भी जांच होनी चाहिए कि क्या रोज गोहपारू थाना क्षेत्र तथा अन्य थाना क्षेत्र से होकर मुंह पशुओं ….चौपायों से लदे वाहन तस्कर यहां से लेकर जाते हैं, जिस मामले को गंभीरता से लेकर समीर खान को तत्काल मौके पर पहुंचना चाहिए था, स्टाफ भेजना चाहिए था,उस मामले में वह अपने समकक्ष वन विभाग के अधिकारियों की ही जांच पड़ताल और उनके कार्य क्षेत्र की जॉच करने लगे, बहरहाल वन विभाग के अमले के द्वारा अपने स्टाफ से वाहन को गोहपारू थाने भेजा गया है, इस मामले में यह जांच जरूरी है कि क्या यहां कब से इस तरह पशुओं को लेकर यहां से जाते रहे और क्या पुलिस उन्हें संरक्षण देती रही है, दूसरी तरफ भले ही ओचक निरीक्षण या वन उपज की जांच के दौरान वन विभाग को पशुओं से लदे वाहन को पकड़ा हो लेकिन इस बात की तारीफ तो की जा सकती है कि यदि वन परिक्षेत्र अधिकारी और डीएफओ शहडोल और उनके नुमाइंदे भी चाहते तो पुलिस की तरह अपने कार्यक्षेत्र का हवाला देकर तस्करों से जब गर्म कर सकते थे और उन्हें बाहर भेज सकने के लिए आगे रवाना कर सकते थे।

इनका कहना है

एक तो हम गाड़ी पकड़ के पुलिस को दे रहे हैं, और वह सुपुर्दगी लेने से इनकार कर रही है, जान जोखिम में डाल के हमारी टीम ने आधी रात गाड़ी पकड़ी, पुलिस कह रही है कि हमारे पास आदमी नहीं है, रखने की जगह नहीं है,आप गाड़ी क्यों पड़ते है,गोहपारू पुलिस का रवैया बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है,मैंने एसपी शहडोल को रात में ही मैसेज कर दिया है।
सुश्री श्रद्धा पंन्द्रे
डी एफ ओ, साउथ,शहड़ोल

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