6 माह में आरोपों से मुक्ति, उपहार में शेष वेतन

31 जनवरी को हुए थे निलंबित, 3 जुलाई को क्लीन चिट
मामला बैगा सम्मेलन में बीईओ द्वारा किये गये भ्रष्टाचार से जुड़ा शहडोल। पूर्व संभागायुक्त आर.बी. प्रजापति ने सोहागपुर और बुढ़ार के तात्कालीन विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी शिव प्रसाद सिंह तथा अशोक शर्मा के खिलाफ हुई शिकायत के बाद जांच में उन्हें दोषी पाया था, बैगा सम्मेलन में किये गये भ्रष्टाचार को लेकर लगे आरोपों की जांच में आरोप पुष्ट होने पर 31 जनवरी 2020 को दोनों पर निलंबन की कार्यवाही की गई थी। इस मामले को 6 माह बीते कि, आर.बी. प्रजापति का स्थानांतरण हो गया और नरेश पाल नये संभागायुक्त बनकर शहडोल आये, भ्रष्टाचार की फाईलें पुन: खुल और आरोप छनकर किनारे हो गये, जिस अधिकारी ने जांच और कार्यवाही की अनुशंसा की थी, आदिवासी विकास विभाग में बैठे उसी अधिकारी ने आरोपों को निराधार बताया और 3 जुलाई 2020 को वर्तमान संभागायुक्त नरेश पाल ने उन्हें आधार बनाते हुए दोनों का निलंबन निरस्त कर दिया, यही नहीं 6 माह का वेतन और उपहार में समकक्ष पद भेंट कर दिये गये।
यह थी शिकायत
30 मार्च 2018 को ग्राम लालपुर में बैगा सम्मेलन का आयोजन किया गया था, जिसमें सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान पहुंचे थे, विभिन्न विभागों को कार्यक्रम के आयोजन की अलग-अलग जिम्मेदारियां दी गई थी, खासकर आदिवासी विकास विभाग ने इस कार्यक्रम में बड़ी भूमिका अदा की, यहां पहुंचे आदिवासियों को लंच पैकेट, पानी की बॉटल, मिठाई व अन्य सामग्री बुढ़ार और सोहागपुर के तथाकथित बीईओ ने उठाई। आयोजन के डेढ़ साल बाद इस मामले में कांग्रेस के जिला उपाध्यक्ष प्रदीप सिंह ने दस्तावेजों के साथ शिकायत दर्ज करते हुए दोनों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाये तथा कार्यवाही की मांग की।
जांच के बाद निलंबन
कांग्रेस नेता की शिकायत के बाद आदिवासी विकास विभाग ने इस मामले की जांच कराई और जांच में यह स्पष्ट पाया गया कि बैगा हितग्राहियों को वितरित किये गये लंच पैकेट, पानी बॉटम, मिठाई आदि की खरीदी, भण्डार क्रय नियमों के तहत नहीं किया गया। अपंजीकृत फर्मों से सामग्री ली गई। प्रस्तुत बिल वैट अधिनियम के अंतर्गत जीएसटी से पंजीकृत नहीं पाये गये, इसके अतिरिक्त फर्मों द्वारा प्रदाय बिलों को स्वयं प्रमाणित कर भुगतान कर दिये गये। यह पूरी प्रक्रिया म.प्र. सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम 1965 के नियम-03 के विपरीत व दण्डनीय पाये गये, जिस कारण शिव प्रताप सिंह चंदेल बीईओ सोहागपुर तथा अशोक शर्मा बीईओ बुढ़ार को निलंबित किया गया और श्री शर्मा को अनूपपुर तथा श्री चंदेल को उमरिया सहायक आयुक्त कार्यालय से संबंद्ध कर दिया गया। 6 माह में पलटा आदेश
31 जनवरी को जांच के बाद तात्कालीन कमिश्नर आर.बी. प्रजापति ने जिन दो शिक्षकों को बीईओ के पद से निलंबित किया था, महज 6 माह के अंदर 25 जून 2020 को दोनों को वर्तमान संभागायुक्त के समक्ष पहुंची जांच के बाद क्लीन चिट दे दी गई और समकक्ष पदों से नवाज दिया गया। मजे की बात तो यह है कि पूर्व में जिस अधिकारी ने बैगा सम्मेलन के विभिन्न शिकायतों को पुष्ट मानते हुए मनमानी व नियम विपरीत माना था, महज 8 से 10 लाईनों मे पुराने आरोपों को दरकिनार करते हुए, उन्हें अभिलेखों के आधार पर कार्यवाही तथा कोई फर्जी व अनियमित न होना बताते हुए निलंबन को बहाल करते हुए जयसिंहनगर का अशोक शर्मा को बीईओ बना दिया गया तथा शिव प्रताप सिंह चंदेल को भी दोष मुक्त कर दिया गया।
इनका कहना है…
पूर्व जांच के बाद में मैनें कार्यवाही की अनुशंसा की थी, दूसरे पार्ट के बारे में जानकारी नहीं है, अभी मैं बाहर हूं, इस बारे में आकर जानकारी बता पाऊंगा।
जगदीश सरवटे
संभागीय उपायुक्त
आदिवासी तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग, शहडोल
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यह बात मेरे कार्यकाल से पूर्व का है, आज अवकाश है, मैं कल ही कुछ बता पाऊंगा।
डॉ. सतेन्द्र सिंह
कलेक्टर, शहडोल
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आज अवकाश है, कल फाईल देखकर ही कुछ कहा जा सकता है।
नरेश पाल
संभागायुक्त, शहडोल