पंडित शंभूनाथ शुक्ला विश्वविद्यालय में गीता जयंती का हुआ आयोजन

शहडोल। पंडित शंभूनाथ शुक्ल विश्वविद्यालय के सभागार में 5 दिसम्बर को गीता जयंती का आयोजन किया गया। आयोजन में मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के विभाग प्रचारक राकेश उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राम शंकर ने की। यह आयोजन संस्कृत विभाग के द्वारा आयोजित किया गया था। गीता के श्लोक गायन की प्रतियोगिता रखी गई थी, छात्रों ने गीता के सुंदर- श्लोक का गायन किया। जिसमें प्रथम द्वितीय और तृतीय रूप में पुरस्कृत किया गया।
आयोजन में विभागाध्यक्ष डॉ. करुणेश झा ने उद्बोधन देते हुए कहा कि गीता जी ऐसी पुस्तक है, जिनका गायन एक समाज को मार्गदर्शन देता है। मुख्य वक्ता के रूप में कार्यक्रम में संकायाध्यक्ष-भाषा एवं विभागाध्यक्ष-हिंदी डॉ. नीलमणि दुबे ने बताया गीता मोक्षदा- एकादसी के दिन जिस वातावरण में गायी गई थी, वह युद्ध का क्षेत्र था और आज भी गीता उसी प्रकार प्रासंगिक है, युद्ध का क्षेत्र में गीता के 18 अध्याय अर्जुन के प्रश्न और भगवान कृष्ण के उत्तर के अध्याय हैं। जिन अध्यायों में मनुष्य की वह समस्त शंकाओं का समाधान किया गया है, जो एक व्यक्ति के संघर्ष और जीवन के बीच में सदैव उपस्थित रहती है।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि राकेश ने बताया कि भारत के इतिहास के साथ कई लोगों ने छेड़छाड़ की है और उसे गलत तरीके से प्रस्तुत करने का विचार बना कर लोगों के सामने लाया है, किंतु भारत का इतिहास और भारत के वेद पुराण आज भी संदर्भ समय के लिए महत्वपूर्ण है और उनका जीवन में मार्गदर्शन प्राप्त कर हम जीवन के समस्त संघर्षों पर विजयी हो सकते हैं। गीता भगवान के द्वारा बताया गया वह ग्रंथ है जो मानव जीवन के लिए अनुपम है।
अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रोफेसर राम शंकर कहा कि सिर्फ गीता ही एक ऐसा ग्रंथ है जिसकी जयंती मनाई जाती है। इसके पीछे कोई अनुपम बात भी है जो जीवन के प्रत्येक लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करती है। गीता का अध्ययन और संस्कृत भाषा का अध्ययन मनुष्य को प्रभावी व्यक्तित्व की ओर ले जाता है, सभी छात्र-छात्राओं के द्वारा जब गीता का पाठ किया जा रहा था तो पूरा वातावरण सकारात्मक ऊर्जा से भर गया था, यह संस्कृत भाषा की खूबसूरती है ऐतिहासिक प्रमाण के अनुसार विश्व की तीसरी भाषा के रूप में संस्कृत सबसे पुरानी और समृद्ध भाषा है, हमारे सभी ग्रंथ संस्कृत- भाषा में उपलब्ध है जिन्हें पढक़र हम जीवन का समुचित निर्माण कर सकते हैं। प्रतियोगिता में भाग लेने वाले छात्रों में निर्णायक मंडल के द्वारा चयनित छात्रों को पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम के अंत में विभाग की ओर से डॉ. करुणेश झा द्वारा संस्कृत भाषा में उद्बोधन कर सभी का आभार ज्ञापन किया गया। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. बृजेंद्र पांडे, संस्कृत विभाग के द्वारा किया गया। कार्यक्रम में सभी विभागाध्यक्ष विशिष्ट प्राध्यापक एवं छात्र-छात्राओं की उपस्थिति थी।
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