भगवान भरोसे शहडोल में संचालित ड्रायविंग स्कूल

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(Amit Dubey+8818814739)
शहडोल। अगर आप मोटर ड्राइविंग स्कूल से कार चलाना सीख रहे हैं तो, यह खबर पढऩा आपके लिए बेहद जरूरी है। जानकारो की माने तो शहर में संचालित राजीव मोटर ड्रायविंग ट्रेनिंग स्कूल नियमों का उल्लंघन कर ड्राइविंग सीखने वालों की जिंदगी खतरे में डाल रही हैं, वहीं परिवहन विभाग के जिम्मेदार सबकुछ जानने के बावजूद अंजान बने बैठे हैं। नियमानुसार परिवहन विभाग द्वारा मोटर ड्राइविंग स्कूल को परमिशन देने के साथ एक व्यवसायिक वाहन का परमिट जारी किया जाता है। मोटर ड्राइविंग स्कूल इस व्यावसायिक नंबर वाले वाहन से ही ड्राइविंग सीखा सकते हैं। वाहन चलाना सिखाने वाले इंस्ट्रक्टर के पास स्वयं को करीब तीन साल से ज्यादा पुराना लाइसेंस होना आवश्यक होता है, सूत्रो की माने तो जिले में सबकुछ भगवान भरोसे चल रहा है।
कागजों में नियम
ड्राइविंग स्कूलों में ड्राइविंग स्किल, खतरे का बोध, यातायात सुरक्षा, आपातकालीन हैंडलिंग परिस्थिति, ईंधन बचाने के तरीके, वाहन का बुनियादी रखरखाव, प्राथमिक चिकित्सा सुविधा प्रबंधन और ड्राइविंग के दौरान निर्णय लेने की कला का प्रशिक्षण दिया जाता है। ट्रेनिंग स्कूल ट्रेनीज़ को वीडियो ट्रेनिंग भी देनी चाहिए, इसके ज़रिये ड्राइविंग स्कूल अपने प्रशिक्षुओं को वीडियो फुटेज दिखाकर ड्राइविंग नियमों, सुरक्षित ड्राइविंग का अभ्यास और क्या करें एवं क्या न करें आदि की ट्रेनिंग दी जाती है, लेकिन जिले में संचालित राजीव मोटर ड्रायविंग स्कूल में लगभग नियम कागजों पर संचालित हो रहे हैं।
कब हुई थी स्कूल की जांच
ड्राइविंग स्कूल ऐसी कारों का प्रयोग किया जाता है, जिनमें ट्रेनी और ट्रेनर दोनों की सुरक्षा का ध्यान रखते हुए दोहरे क्लच लगाए गए होते हैं। प्रशिक्षु अपनी इच्छा के अनुसार कार को प्रशिक्षण के लिए सेलेक्ट कर सकता है, ट्रेनिंग के लिए अपनी कार के बजाय स्कूल की कार का इस्तेमाल ही करना चाहिए, लेकिन जानकारों की माने तो ड्रायविंग स्कूल में जहां लोग अपने वाहनों से वाहन चलाना सीख रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सुरक्षा का ध्यान रखते हुए दोहरे क्लच लगे वाहनों से प्रशिक्षण नहीं दिया जाता है। मजे की बात तो यह है कि अंतिम बार ड्रायविंग की जांच परिवहन अधिकारी ने कब थी, यह तो वहीं जाने।

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