गोहपारू सचिव ब्रजभान सहित 3 सचिव निलंबित

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अनियमितता सहित कार्याे में लापरवाही के चलते गिरी गाज

निर्माण सहित बिलों की जांच क्यों नहीं करते जिला पंचायत के मुखिया

(Anil Tiwari)
शहडोल। मुख्य कार्यपालन अधिकारी मेहताब सिंह गुर्जर द्वारा बुधवार को 3 ग्राम पंचायतो के सचिवों पर निलंबन की कारवाई की गई थी। इसके ठीक दूसरे दिन गुरुवार को एक फिर 3 ग्राम पंचायत सचिव पर निलंबन की गाज गिरी है। जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी मेहताब सिंह गुर्जर ने जनपद पंचायत बुढ़ार अंतर्गत ग्राम पंचायत सिंधली के सचिव मान सिंह को आवास निर्माण कार्यों में प्रगति नहीं होने व अन्य विभिन्न कार्यों में लापरवाही बरतने, ग्राम पंचायत गोहपारू सचिव बृजभान सिंह को नल जल योजना से जल सप्लाई नहीं कराने व अन्य कार्यों में लापरवाही बरतने के साथ ही जनपद पंचायत जयसिंहनगर अंतर्गत ग्राम पंचायत बसोहरा के सचिव भीमसेन यादव को निर्माण कार्यों में अनियमितता किए जाने पर निलंबित कर दिया है।
जमकर छानी मलाई
ग्राम पंचायत गोहपारू के सचिव ब्रजभान सिंह द्वारा शासन की योजनाओं में पैतरेबाजी करके शासन का पैसा निकाला गया, इसका उदाहरण ग्राम पंचायत के वर्ष 2017 से वर्ष 2020 तक के बिलों की जांच कर देखा जा सकता है। शासन की जन कल्याणकारी योजनाए और ग्राम विकास मे लाखो रुपए पानी की तरह बहने वाले इन रुपयो मे अब सरपंच, सचिव और जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारियों ने जमकर मलाई खाई है, इससे प्रक्रिया में जो गांव का विकास होना था, वहां केवल सरपंच-सचिव के साथ फर्जी फर्मों का ही विकास हुआ है।

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चल-अचल संपत्ति की हो जांच
ग्राम पंचायत सिंधली, बसोहरा सहित गोहपारू में पदस्थ सचिव और इंजीनियर सांठ-गांठ से बने कार्य पर ज्यादा विश्वास रखते है, ऐसा नहीं है कि इसके साक्ष्य बमुश्किल मिलेंगे, ग्राम पंचायतों में अनुपयोगी शौचालय, पंचायतो मे लगे फर्जी बिल की भरमार भ्रष्ट होने का सबसे बड़ा सबूत खुद-ब-खुद बयां कर रहे हैं। बीते वर्षाे में पंचायत में हुए विकास कार्य के साथ ही सरपंच, सचिव और सब इंजीनियर के चल-अचल सम्पत्ति की सूक्ष्मता से जांच होने की आवश्यकता है, जिससे स्पष्ट हो जाएगा कि इन पंचायतों में भ्रष्टाचार किस कदर हावी रहा है।
दबाव की है कार्यवाही
ग्राम पंचायत के सचिव अपनी मांगों को लेकर इस समय हड़ताल पर हैं और हड़ताल के दौरान सचिवों पर लगातार निलंबन की कार्रवाई होने से सचिवों में हड़कंप मच गया है, मजे की बात तो यह है कि जब उक्त सचिवों द्वारा भ्रष्टाचार किया जा रहा था तो, विभाग के जिम्मेदार सो रहे थे, अगर पंचायत सचिवों पर कार्यवाही करनी है तो, उनके कार्याे का मूल्याकंन सहित ग्राम पंचायतों में लगे बिलों की जांच कर आखिर जिम्मेदार कार्यवाही करने से क्यों छुपते नजर आ रहे हैं। इससे साफ प्रतीत होता है कि सचिव संघ की हड़ताल के चलते उन पर दबाव बनाने के लिए कार्यवाही की जा रही है।

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