भगवान राम पर सरकार की घिनौनी राजनीति सनातन धर्म और सनातनियों के लिए घातक धर्माचार्यों संतों की उपेक्षा बर्दास्त नहीं: श्रीधर शर्मा
भगवान राम पर सरकार की घिनौनी राजनीति सनातन धर्म और सनातनियों के लिए घातक धर्माचार्यों संतों की उपेक्षा बर्दास्त नहीं: श्रीधर शर्मा
राम को मर्यादा पुरुषोत्तम और महापुरुष कहने वाले आज राजनीतिक रोटी सेंकने के फिराक में देश की जनता को समझा रहे हैं भगवान की परिभाषा: परमधर्म सांसद
पुष्पराजगढ। अनूपपुर जिले की पावन धरती अमरकंटक निवासी परम धर्म सांसद शहडोल श्रीधर शर्मा ने भारतीय जनता पार्टी के सनातन प्रेम को मिथ्या बताया है और भारतीय जनता पार्टी के द्वारा भगवान राम के मंदिर के उद्घाटन एवं भगवान राम के प्राण प्रतिष्ठा में की जा रही संतों की उपेक्षा की कड़ी निन्दा की है और इस पुनीत कार्य में की जा रही राजनीति को कूटनीतिक राजनीति बताया है। श्री शर्मा ने बताया कि भगवान राम के पावन धाम अयोध्या में राम जन्मभूमि की प्रारंभिक लड़ाई व अयोध्या में राम मंदिर की स्थापना को लेकर प्रारंभिक मुद्दे की शुरुआत परम पूज्य गुरूदेव करपात्री जी महराज के द्वारा की गई थी और उसके उपरांत उनके शिष्य ब्रम्हलीन शंकराचार्य द्वारिका पीठाधीश्वर व ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य परम पूज्य स्वामी श्री “स्वरूपानंद सरस्वती जी के द्वारा लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी गई और स्वामी जी के ब्रम्हलीन होने के पश्चात वर्तमान ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती बतौर गवाह न्यायालय में प्रस्तुत हुए और अन्तत: माननीय न्यायालय ने देश के करोड़ों सनातनियों के लिए सुखद साबित होने वाला फैसला सुनाकर अयोध्या में राम जन्मभूमि होना और अयोध्या में भगवान राम के मंदिर निर्माण कराए जाने को लेकर ऐतिहासिक फैसला सुनाकर अयोध्या में भगवान राम के मंदिर निर्माण की नींव रखी।
उतावलेपन पर सवालिया निशान
श्री शर्मा ने भारतीय जनता पार्टी की भगवद भक्ति को दिखावा बताते हुए कहा कि भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या में भगवान राम की भव्य मंदिर निर्माण का सौभाग्य भारतीय जनता पार्टी की सरकार में प्रारम्भ हुआ, जो कि भारतीय जनता पार्टी की ऐतिहासिक उपलब्धि है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी की मोदी सरकार भगवान राम के प्राण प्रतिष्ठा को लेकर इतनी उतावली क्यों है, यह समझ से परे है। एक ओर भारतीय जनता पार्टी की मोदी सरकार सनातन धर्म और संस्कृति का नाम लेकर समूचे देश में सनातन धर्म के प्रचार प्रसार का ढिंढोरा पीटने का कार्य कर रही है और दूसरी ओर सनातन की नींव कहे जाने वाले चारों पीठों के शंकराचार्यों की उपेक्षा कर देश के इस ऐतिहासिक सनातनी यज्ञ में सनातनी लड़ाई का शुभारम्भ करने वाले वास्तविक संतों की आहुति देने पर आमादा हैं। श्री शर्मा ने कहा कि राम जन्मभूमि अयोध्या में मन्दिर का निर्माण कार्य अभी पूर्ण नहीं हुआ है और भारतीय जनता पार्टी की मोदी सरकार मन्दिर में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा करने के लिए उतावली हो रही है और आगामी महज दो तीन महीने में ही आने वाली राम नवमीं जैसी महत्त्वपूर्ण तिथि का इंतज़ार भी नहीं कर पा रही है। श्री शर्मा ने भारतीय जनता पार्टी के इस उतावलेपन पर सवालिया निशान लगाया है कि कहीं भारतीय जनता पार्टी की मोदी सरकार भगवान राम के प्राण प्रतिष्ठा को लेकर आगामी लोकसभा चुनाव का भविष्य तो नहीं देख रही है? क्या सनातन धर्म के इस महायज्ञ में संतों की उपेक्षा उचित है? क्या सनातन धर्म और संस्कृति को बढ़ावा देने के नाम पर सत्तारूढ़ दल इसी प्रकार से अपनी मनमानी करता रहेगा?