मंडल की बिसात पर जिलाध्यक्ष के आधा दर्जन दांव, 19 में 16 के नाम तय, बाकी 3 में बढ़ सकता है असंतोष

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सूरज श्रीवास्तव
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सत्ताधारी दल के संगठनात्मक चुनावों में मंडल अध्यक्षों के चयन को लेकर गुटबाजी, असंतोष और बगावत खुलकर सामने आ रही है। कार्यकर्ताओं ने चुनाव प्रभारी पर लेन-देन और मनमानी के आरोप लगाए हैं। तीन मंडलों में अभी भी संशय बरकरार है, जबकि नियुक्ति के बाद विवादित नामों पर सवाल उठ रहे हैं।

शहडोल। सत्ताधारी दल के संगठनात्मक चुनावों में विवाद और असंतोष खुलकर सामने आ रहा है। जिले के 19 मंडलों में से 16 के अध्यक्षों की घोषणा हो चुकी है, जबकि तीन की घोषणा बाकी है। हालांकि जिस प्रकार घोषित नामों के विरोध में कार्यकर्ताओं की नाराजगी देखी जा रही है, उससे यह संभावना बढ़ गई है कि शेष तीन मंडलों की घोषणा में और देरी हो सकती है।

धनपुरी और जयसिंहनगर में विरोध

धनपुरी में पार्षद भोला पनिका की नियुक्ति ने विवाद खड़ा कर दिया है। कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि भोला पनिका, जिन्होंने 2022 के निकाय चुनावों में भाजपा प्रत्याशी का खुला विरोध किया था और पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित किए गए थे, को नियमों को दरकिनार कर मंडल अध्यक्ष बना दिया गया।

वहीं जयसिंहनगर में महिला नेत्री जयश्री कचेर की नियुक्ति को लेकर विवाद गहराया। कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि उनकी उम्र पार्टी की गाइडलाइन के अनुसार नहीं है। आधार कार्ड सार्वजनिक कर संगठन को कटघरे में खड़ा कर दिया गया।

केशवाही, जैतपुर और बकहो में भी असंतोष

जैतपुर के बकहो मंडल में धर्मेंद्र दुबे की नियुक्ति विवादित रही। पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि दुबे न तो सक्रिय सदस्य हैं और न ही उन्होंने किसी चुनाव या बैठक में सहभागिता दिखाई है। जैतपुर में सचिन सेठिया को दूसरी बार अध्यक्ष बनाने का भी विरोध हो रहा है।

केशवाही मंडल में तो चुनाव प्रभारी अरुण द्विवेदी पर खुलकर पैसे लेकर पद बांटने का आरोप लगा। कार्यकर्ताओं का कहना है कि कम उम्र और अनुभवहीन व्यक्ति को अध्यक्ष बना दिया गया, जबकि वरिष्ठ और योग्य कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर दिया गया।

भाजपा नेत्री का ऑडियो वायरल

जयसिंहनगर की महिला मंडल अध्यक्ष के कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करने का एक ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इससे संगठन में हड़कंप मच गया है और कार्यकर्ताओं का गुस्सा चरम पर है।

अध्यक्ष पद की चाह में रस्साकशी

संगठनात्मक चुनावों के अगले चरण में जिलाध्यक्ष का चुनाव होना है। भाजपा में जिलाध्यक्ष का पद बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है, जिसके कारण पार्टी के विभिन्न गुटों में खींचतान चरम पर है। कई नेताओं ने अपनी कुर्सी पक्की करने के लिए मंडल स्तर पर अपनी पसंद के अध्यक्षों की नियुक्ति करवाई है।

इनका कहना है:
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अरुण द्विवेदी, चुनाव प्रभारी शहडोल:
“चुनाव पूरी तरह निष्पक्ष और पारदर्शी हुए हैं। यदि किसी को आपत्ति है तो वे प्रदेश अपील समिति में जा सकते हैं। लोकतांत्रिक तरीके से उनकी बात सुनी जाएगी।”

भाजपा के मंडल अध्यक्षों के चुनावों ने पार्टी अनुशासन और निष्पक्षता के दावों को कठघरे में खड़ा कर दिया है। सत्ता और संगठन के बीच की रस्साकशी ने कार्यकर्ताओं को नाराज कर दिया है, जिससे पार्टी को आने वाले दिनों में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

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