इधर करोड़ों के शासकीय भवन को कब्जा मुक्त नहीं करवा पा रहा प्रशासन
शहडोल। मुख्यालय से पाली जाने वाले मुख्य मार्ग पर वर्षाे पूर्व आदिवासी बाहुउद्देशीय सहकारी समिति सोहागपुर के भवन पर कब्जा कर खुद का आवास बनाने वाले ”सरकारी माफियाÓÓ से पुलिस व प्रशासन ने आंखे मूंद ली हैं। गौरतलब है कि शासकीय भवन व भूमि पर बीते कई वर्षाे से पूर्व बीईओ अशोक शर्मा के द्वारा कब्जा किया गया है। वर्तमान में अशोक शर्मा के खिलाफ कलेक्टर डॉ. सतेन्द्र सिंह के निर्देशन पर बुढ़ार पुलिस ने 1 करोड़ से अधिक के गबन का मामला कायम किया है, हालाकि खबर यह है कि पुलिस या तो दबाव में या फिर मैनेजमेंट के कारण तथाकथित नटवरलाल को जमानत तक की छूट दे रखी है, बहरहाल बीते वर्ष प्रदेश सरकार के निर्देश पर पूरे प्रदेश में माफिया के खिलाफ अभियान चलाने वाले जिले के दोनों प्रशासनिक जिम्मेदारों से आमजनों की अपील है कि करोड़ों के शासकीय भवन को अतिक्रमण से मुक्त कराने की पहल करें।
यह है मामला
सोहागपुर स्थित शहंशाह आश्रम के नाम पर जाने-जाने वाले भवन व भू-खण्ड में पूर्व बीईओ ने कई दशकों से कब्जा कर रखा है, पोस्ट मैट्रिक छात्रावास में अधीक्षक के प्रभार पर रहकर आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा बनाये गये भवन को तथाकथित बीईओ ने अपना आवास बना रखा है। दशकों से शहंशाह आश्रम के ठीक बगल में स्थित आदिवासी अधीक्षक भवन आज भी फरार बीईओ की निजी संपत्ति बनी हुई है।
बदल दिया भवन का स्वरूप
वर्ष 1987-88 में पोस्ट मैट्रिक छात्रावास के अधीक्षक रहने के दौरान आदिम जाति कल्याण विभाग के द्वारा अधीक्षक निवास, भवन इन्हें आवंटित किया गया था, तब से लेकर अब तक बीईओ ने इसे खुद की संपत्ति बना लिया है। यही नहीं इस दौरान पूर्व के भवन की दीवालो और छत सहित भवन की पूरी ड्रायिंग व डिजाइन ही तथाकथित नटवरलाल ने बदलकर उसे व्यक्तिगत संपत्ति के रूप में निजी भवन की शक्ल दे दी है।
हुई थी कार्यवाही, पर मौन
वर्ष 2013 में इस संदर्भ में शिकायत के बाद तत्कालीन तहसीलदार ने राजस्व निरीक्षक के माध्यम से इस मामले की जांच करवाई थी, जिसके बाद तहसीलदार ने अपने जांच प्रतिवेदन क्रमांक 3203/2013 दिनांक 19.09.2013 को कलेक्टर को भेजे गये प्रतिवेदन में यह स्पष्ट किया था कि आराजी खसरा क्रमांक 1101/3/3 कुल रकवा 0.0028 हेक्टेयर आदिवासी विभाग की भूमि है, जिसमें कई वर्षाे से आदिवासी बहुउद्देशीय सहकारी समिति का भवन बना हुआ था। स्थल निरीक्षण के दौरान उक्त रिहायशी मकान के उत्तर भाग में जहां बाउण्ड्रीवाल निर्मित थी।
कलेक्टर ने भी लिखा था पत्र
अशोक शर्मा के गिरफ्तार न होने और उसके रसूख का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2013 में तत्कालीन कलेक्टर डॉ. अशोक कुमार भार्गव ने तत्कालीन तहसीलदार राजललन सिंह को विभागीय पत्र क्रमांक 2395 दिनांक 10 अप्रैल 2013 में यह उल्लेख किया था कि जांच के उपरांत यह स्पष्ट है कि अशोक शर्मा ने अधीक्षक निवास के लिए शहंशाह आश्रम पाली रोड में निर्मित शासकीय आवास का स्वरूप बदल दिया है और अब उसे खुद की संपत्ति बताकर आवास गृह बताया जा रहा है। शासन के द्वारा निर्मित आवास गृह के अस्तित्व तक को नष्ट कर दिया गया है, अत: इन्हें अधीक्षक आवास से बेदखल कर अधीक्षक आवास को मुक्त कराया जाये, लेकिन बीते इन 8 वर्षाे में भी कोई कलेक्टर या तहसीलदार अशोक शर्मा के खिलाफ कार्यवाही करने की हिम्मत नहीं जुटा सका।