कजलियां पर्व पर सुप्रसिद्ध मां ज्वालामुखी मैदान में लगा ऐतिहासिक मेला

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संतोष शर्मा की रिपोर्ट

 

शहडोल। रक्षाबंधन के दूसरे दिन कजलियां का पर्व धनपुरी नगर के अंदर हर्षोल्लास के साथ मनाया गया कजलियां पर्व का धनपुरी नगर में अपना एक अलग महत्व है हर साल लोग इस दिन का इंतजार करते हैं क्योंकि आज के ही दिन नगर के सुप्रसिद्ध मां ज्वालामुखी मंदिर में एतिहासिक मेला भी लगता हैंं जिसमें शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में दूर दूर से भी लोग आते हैं कोविड-19 के कारण विगत 2 साल से मेला नहीं लग रहा था लेकिन इस साल नियमों का पालन कराने के साथ मेला लगाया गया और इसे लेकर लोगों में एक अलग ही उत्साह देखने को मिला कजलियां पर्व के दिन लोग एक दूसरे को कजरिया भेंट कर बधाई देते हैं जहां छोटे बड़ों से आशीर्वाद लेते हैं वही सभी गिले-शिकवे दूर कर लोग एक दूसरे से मिलते हैं वही मां ज्वालामुखी मंदिर में आज के दिन बड़ी संख्या में लो माता के दर्शन को भी पहुंचते हैं 2 साल बाद आज ज्वालामुखी मैदान में मेला लगा दो सबसे अधिक मुस्कान छोटे-छोटे बच्चों के चेहरों पर देखने को मिला वह मेले का पूरा आनंद उठाती ही देखे जा रहे थे कोई झूला झूल रहा था तो कोई खिलौने खरीद रहा था खाने पीने की दुकानों में भी लोगों की भीड़ देखी जा रही थी लेकिन इन सबके बीच इस बात का भी ध्यान दिया जा रहा था की नियमों का भी पालन हो सके मेले में व्यवस्था पर नगर पालिका ने विशेष ध्यान दिया था पूरे मैदान में व्यवस्थित तरीके से दुकानों को लगवाया गया था मैदान की साफ सफाई व्यवस्था से लेकर प्रकाश व्यवस्था तक पर नगर पालिका ने ध्यान दिया था स्वयं मुख्य नगरपालिका अधिकारी रवि करण त्रिपाठी नगर पालिका स्टाफ के साथ मेले में मौजूद हैं और यहां पर वह व्यवस्था बनाने में स्वयं मोर्चा संभाले हुए थे शांति व्यवस्था बनी रहे इसे लेकर धनपुरी पुलिस में मेले में मौजूद थी नगर निरीक्षक ओमेश्वर ठाकरे स्टाफ के साथ मेले का भ्रमण कर रहे थे ताकि किसी प्रकार से मेले में शांति व्यवस्था भंग ना हो वहीं मेले में जब पास पास में दुकाने लगा ली गई थी स्थानी पुलिस एवं नगर पालिका के द्वारा उन्हें व्यवस्थित कराया गया ताकि मेले के अंदर अव्यवस्था निर्मित ना हो।

 

 

 

ऐतिहासिक होता है मेला

मां ज्वालामुखी मैदान में विगत 20 सालों से कजलियां पर्व के दिन मेला लगाया जाता है और इस मेले का अपना एक अलग महत्व भी है क्योंकि 20 साल पहले नगरपालिका के ठीक सामने छोटे से स्तर पर मेले का आयोजन किया जाता था धीरे-धीरे जब मेले का स्वरूप बड़ा होता गया तो नगर के वरिष्ठ जनों ने ज्वालामुखी मैदान में मेले को लगाने के लिए प्रयास किया और इसके बाद फिर यह मेला यहीं पर लगने लगा इस मेले में दूर-दूर से लोग आते हैं 2 सालों तक यहां पर मिला नहीं लगाया जाए लेकिन इस साल जब कोरोनावायरस के मामले घटे तो नीला तो लगाया गया लेकिन नियमों का पालन कराने को लेकर प्रशासन भी पूरी तरह से सजग रहा इस साल मेला लगाया जाएगा जैसे-जैसे यह बात लोगों को पता चलती गई बड़ी संख्या में शाम होते-होते मेले में लोग आते गए बच्चों में मेले को लेकर अधिक उत्साह देखने को मिल रहा था क्योंकि रक्षाबंधन के ठीक दूसरे दिन हर कोई मेले का इंतजार करता है यहां पर मैदान के चारों तरफ व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया गया था सालों बाद बच्चे मेले में आकर झूले का आनंद लेते हुए देखे गए वही खिलौने की दुकानों में भी बड़ी संख्या में भीड़ देखी जा रही थी।

 

 

 

आपसी भाईचारे से मनाया जाता है पर्व

 

शहर के अंदर कजलियां पर्व का महत्व अपने आग में ही अलग होता है आज के दिन लोग एक दूसरे को कजलियां की बधाई देते हैं और सभी गिले-शिकवे दूर कर आपस में मिलते हैं लोग एक दूसरे के घरों पर भी जाते हैं और बधाई देते हैं नगर पालिका अधिकारी रवि करण त्रिपाठी ने कहा कि कजलियां पर्व आपसी भाईचारे का पर्व है और यहां पर इसे लेकर हर किसी में उत्साह होता है मेले के शुभारंभ के अवसर पर भाजपा के जिला अध्यक्ष कमल प्रताप सिंह मंडल अध्यक्ष हेमंत सोनी भी मौजूद थे जिन्होंने सभी को कजलियां पर्व की बधाई दी।

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