जांच हुई तो टूट जायेगा माननीय बनने का ख्वाब

डीपीसी के घोटालो की हिली बुनियाद, राजधानी के चक्कर लगा रहे मदन
(Amit Dubey+8818814739)
शहडोल। जिस तरह से डीपीसी मदन त्रिपाठी की विदाई होती दिख रही है, इसकी कल्पना शायद ही कभी उन्होंने की हो। 1996 में व्याख्याता बने मुन्ना भइया को स्कूल जाने का कुछ कम ही मौका मिला। मास्टर बनने पर बहुत जल्दी इनको यह समझ में आ गया कि उनमे कुछ विशेष प्रतिभा है, जिससे मास्टरी के साथ-साथ अकूत धन भी उपजाया जा सकता है। समझ आते ही 1994 में पौढ़ शिक्षा में समन्वयक के पद पर अपने आप को जमा लिया और अपनी प्रतिभा चमकाने लगे। इन्होंने 1998 में शिक्षा कर्मी भर्ती में कुछ ऐसा कमाल किया कि शिक्षा विभाग में इनकी तूती बोलने लगी।
होना पड़ा था निलंबित
1998 में हुए एक दुर्घटना में इनका एक पैर तकलीफ में आ गया एवं तकलीफ में ही है। कयास ये लगाए जाते रहे कि यह घटना किसी नाराज शिक्षा कर्मी न बन पाए आवेदक की करस्तानी थी। मुन्ना भइया को 1995 में राजीव गांधी शिक्षा मिशन में अपने लिए अपार संभावनाए दिखी, फिर क्या था 16 अगस्त 2002 को डीपीसी बन गए एवं एक बार बने तो फिर ऐसा बने कि 24 फरवरी 2023 तक डीपीसी ही रहे, ये अलग बात कि 2010 में बुरहानपुर के 213 लाख के फलैक्स प्रिंटिग का कार्य बिना टेंडर के चार गुनी दरो पर शहडोल से करने एवं 125 की फोटो कापी मशीन के 6 माह भी नही चलने के आरोप में इन्हे निलंबित होना पड़ा, लेकिन मुन्ना भइया ने निलंबन से सीखा कि जितना खाओ उससे ज्यादा खिलाओ बस फिर क्या था, इनकी गाडी इसी पेट्रोल के सहारे 20 साल चली।
घोटालों की लंबी फेहरिस्त
मुन्ना भइया का विरोध करने की ताकत जिले के शिक्षा विभाग में किसी में नहीं था, लेकिन डीपीसी मदन त्रिपाठी के लिए पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष नरेन्द्र मारवी सरदर्द बन गये, श्री मरावी के संघर्ष के चलते ही 20 वर्षों से जिले की शिक्षा विभाग में दफन भ्रष्टाचार का जिन्न बाहर आने को आतुर है। चर्चा है कि जब जिन्न बाहर आयेगा तो, बनसुकली एवं खांड में बालिका छात्रावास भवनो का घोटाला जिसमें एफआईआर दर्ज है। करोड़ो की खेल सामग्री खरीदी, किचेन शेड निर्माण, स्कूलो के लिए स्टील केश खरीदी, हैण्ड पम्प खनन, परीक्षा पेपर एवं उत्तर पुस्तिकाओ के मनमानी दर पर मुद्रण, अप्रवेशी एवं शाला त्यागी बालको के प्रशिक्षण केन्द का घोटाला, डीएमएफ मद से भठिया एवं चापा मॉडल स्कूल की करोड़ो की विज्ञान समग्री खरीदी, छात्रवासो की समग्री खरीदी, बालिका छात्रावासो में पुरूष अधीक्षको की नियुक्ति, 100 प्री प्राइमरी स्कूलो के लिए विगत तीन वर्षों से 15 लाख प्रति स्कूल के मान से 2000 स्कूलो के लिए करोड़ो की सामग्री खरीदी , प्राइमरी स्कलो के लिए 5 करोड के फर्नीचर खरीदी, बड़ौदा बैंक में पृथक खाता खोलने , रिलायंस मद से स्कलों में शौचालय निर्माण सहित अन्य घोटालों से शिक्षा विभाग को खोखला कर दिया गया।
कैसे खरीदी गाडिय़ा
डीपीसी श्री त्रिपाठी के कारनामों की लंबी फेहरिस्त है, जिसमें घोटालों के अलावा उस धन का उपयोग कैसे और कहां किया गया, यह भी सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। चर्चा है कि श्री त्रिपाठी ने अपने रिश्तेदार के नाम से गाडियो की खरीदी की, कलेक्टर कमिश्नर एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी इन्हीं गाडिय़ों से अपनी सेवाएं दे रहे हैं, हालाकि गाडिय़ां जिसके नाम पर उसने इतनी गाडिय़ां कैसे खरीदी और जिला मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों के कार्यालय के टेण्डर एक व्यक्ति के हाथ लगे, यह सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि गाड़ी कहां से चल रही थी।
ध्वस्त हो जायेगी भ्रष्टाचार की इमारत
डीपीसी के पद पर रहते हुए इन्होंने भाई को लेखापाल, भतीजी को अतिथि शिक्षक, कोतमा में खेल सामग्री बांटने, एक से अधिक खाते संचालित, चुनिंदा स्कूलो में एक ही टायलेट एवं अतरिक्त कक्ष का निर्माण कई बार दिखाया गया, स्प्रेयर मशीन चौगुनी दर पर खरीदी, फायर सेफ्टी तिगुनी दर पर खरीदी बहू की नियम विरूद्ध पदोन्नति, गाडियों के डीजल बिलो, स्कूलो से वापस ली गई राशि एवं ब्याज राशि शासन के खाते में न जमा किया जाना, जैसे दर्जनों और भी घोटाले जो अब तक दफन थे, वह एक-एक कर बाहर आने लगे है, अगर मुन्ना भईया के घोटालों की जांच हुई तो माननीय बनने का सपना-सपना ही रह जायेगा और दूसरी तरफ डीपीसी से भावभीनी विदाई की जगह आपराधिक प्रकरण दर्ज होने के अलावा बीते वर्षाे में घोटालों के दम पर खड़ी की गई ईमारत ध्वस्त हो जायेगी।