थानों में खुलेआम पनप रहा सट्टे का अवैध कारोबार,सरगना छोड़ गुर्गाे तक सीमित सट्टे की कार्यवाही
(अनिल तिवारी)शहडोल। कभी चोरी-छिपे चलने वाला सट्टा बाजार आजकल कानून की ढीली पकड़ की वजह से खाईवाल के संरक्षण में खुलेआम संचालित हो रहा है। ओपन, क्लोज और रनिंग के नाम से चर्चित इस खेल में जिस प्रकार सब कुछ ओपन हो रहा है, उससे यही प्रतीत होता है कि प्रमुख खाईवाल को कानून का कोई खौफ नहीं रह गया है।
संभागीय मुख्यालय के कोतवाली सहित सोहागपुर, धनपुरी, बुढ़ार, गोहपारू, जयसिंहनगर, ब्यौहारी थाना क्षेत्र में इस खेल के बढ़ते कारोबार का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि महिलाएं एवं बच्चे भी दिन-रात अंकों के जाल में उलझे रहते हैं। प्रमुख खाईवाल के एजेंट जो पट्टी काटते हैं प्राय: हर गली-मोहल्ले में आसानी से पट्टïी काटते नजर आते हैं। इनमें से कुछ आदतन किस्म के लोग बाजार, बस स्टैण्ड, हॉस्पिटल सहित अन्य क्षेत्रों में खुलेआम पट्टïी काटकर एवं मोबाइल के माध्यम से भी इस अवैध कारोबार को संचालित कर लोगों की गाढ़ी कमाई पर डाका डाल रहे हैं, जिसकी जानकारी शायद पुलिस को छोडक़र सभी को है। सट्टïे के हिसाब-किताब की जगह बार-बार बदल कर प्रमुख खाईवाल अपनी होशियारी का भी परिचय देने की कोशिश करते हैं।
लालच में फंस रहे युवा
सूत्रों की मानें तो वर्तमान समय में संभागीय मुख्यालय में अवैध कारोबार का हिसाब-किताब प्रत्येक शनिवार को किया जा रहा है। कुछ लोग ‘अचूक, और अन्य नामों से साप्ताहिक व मासिक सट्टïा चार्ट की भी बिक्री कर रहेे हैं, जिसकी मांग सट्टïा प्रेमियों में ज्यादा है। गरीब बेरोजगार युवाओं को मोटे कमीशन का लालच देकर इस अवैध कारोबार में उतारा जा रहा है। आगे चलकर यही युवा अपराध की ओर अग्रसर हो जाते हैं। शिकायत होने पर जब पुलिस अभियान चलाती है तो, खाईवाल को बक्श कर अक्सर इन्हीं युवाओं के खिलाफ कार्रवाई कर खानापूर्ति कर लेती है।
कानून का कोई भय नहीं
थाना क्षेत्रों में बीते माहों में सट्टोरियों को पकड़ा गया, मजे की बात तो यह है कि लगातार खाईवाल के गुर्गाे को पुलिस उठाकर लाती है, उन पर केस दर्ज होता है, चर्चा है कि अब तो पुलिस गवाह खुद लेकर चलती है, सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि पुलिस की कार्यवाही में सट्टोरिये पकड़ाते जरूर है, लेकिन उनके पास से कभी 500 रूपये 1000 रूपये से ज्यादा बरामद होता नहीं है, अब तो खाईवाले के गुर्गे खुद ही चौक-चौराहों पर यह बोलते नजर आते हैं कि आज ले गये थे, अब एक सप्ताह, महीने भर कोई दिक्कत नहीं है। अगर कप्तान बीते माहों में हुई कार्यवाही पर नजर डाले तो, थानों में चल रही कार्यवाही से खुद इस बात के प्रमाण मिल जायेंगे।