सरेआम नगर के बीच से हो रहा रेत का अवैध परिवहन

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खनिज विभाग व पुलिस बेखबर, नाकेबंदी नहीं हो रही

शहडोल। रेत का अवैध कारोबार बदस्तूर जारी है, गत दिवस ही सोहागपुर पुलिस ने एक ग्रामीण क्षेत्र से अवैध रेत से लदा ट्रैक्टर पकड़ा है। ग्रामीण क्षेत्रोंं में तो यदा कदा धरपकड़ होती भी है, लेकिन संभाग मुख्यालय शहडोल नगर के अंदर हो रहे अवैध परिवहन खनिज विभाग व पुलिस को दिखाई नहीं पड़ता, यहां दिया तले अंधेरा वाली कहावत चरितार्थ होती है। घरौला मुहल्ला की मुख्य सड़क रेत परिवहन के लिए प्रयोग की जा रही है। रेत से लदे मिनी ट्रक हरिजन अम्बेडकर बस्ती से होकर पंजाबी गुरुद्वारे के सामने से निकलकर कमिश्नर बंगले के बगल से झूला पुल या पुलिस लाइन की ओर जाते हैं। यह सिलसिला निरंतर वर्षों से बना हुआ है। इस संबंंध में प्रशासन का ध्यान निरंतर आकृष्ट कराया गया है लेकिन कभी भी ठोस कार्रवाई नहीं की गई। झूला पुल में तो कभी कभी रेत से लदे वाहन खड़े भी रहते हैं।

माफिया की लाभदायी सड़क

पुलिस शायद मिनी ट्रकों को भारी वाहन नहीं मानती, अन्यथा शहर के अंदर इतनी घनी बस्ती से होकर सुबह से लेकर शाम तक सैकड़ों वाहन रेत लेकर नहीं दौड़ते। इन घनी बस्तियों में कभी भी अप्रिय घटना हो सकती है। बस्तीवासियों ने एक दो बार पुलिस व प्रशासन से शिकायत कर अफसरों का ध्यान आकृष्ट कराया था लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। हैरानी की बात यह है कि जिस जगह प्रशासन के मुखिया कमिश्नर निवास करते हैं वहीं से अवैध परिवहन हो रहा है। ग्रामीण अंचलों से रेत उत्खनन करने के बाद माफिया के वाहन इसी मार्ग का उपयोग करते हैं जेा कि सर्वाधिक सुरक्षित और लाभदायी है। यहां पुलिस की नजर नहीं पड़ती है। यही वजह है कि वर्षों से बस्ती की सड़कें रौंदी जा रहीं हैं।

नाकेबंदी की हो चुकी मांग

रेत के वाहनों की आपाधापी रोकने के लिए बस्ती वासियों ने प्रशासन से नाकेबंदी करने की भी मांग की थी। अगर पुलिस डेवलपमेंट एरिया साईं मंदिर के समीप या कमिश्नर बंगले के समीप नाकेबंदी की जाए और वाहनों की धरपकड़ की जाए तो अवैध रेेत से लदे दर्जनों वाहन पकड़े जा सकते हंै। बताते हैं कि रेत के कई कारोबारियों ने पुलिस और खनिज विभाग को इस बात के लिए राजी कर लिया है कि इस सड़क की ओर कोई न देखे। सबको उनका कमीशन मिल रहा है और घरोला मुहल्ला की सड़क रौंदी जा रही है और बस्ती की सुरक्षा खतरे मेंं पड़ी हुई है।

झूला पुल से वाहनों की आवाजाही

रेत से लदे मिनी ट्रक दिन भर झूला पुल से होकर आ जा रहे हैं। इनकी ताबड़तोड़ आवाजाही से पुल की हालत दिनोदिन खस्ता होती जा रही है। ज्ञातव्य है कि यह पुल केवल पैदल, बाइक व कार वाहन आदि के लिए बनाया गया था और भारी वाहनों की आवाजाही यहां से प्रतिबंधित की गई थी लेकिन प्रशासन की उपेक्षा के कारण स्थिति यह हो गई है कि सबसे अधिक इस पुल से भारी वाहन ही गुजरते हैं। पुल से जब भारी वाहन गुजरते हैं तो पुल में कंपन सा होता है जो उसकी जर्जरता का संकेत देता है। किसी भी दिन यह पुल धराशायी हो जाएगा और शहर के अंदर एक बड़ी घटना हो सकती है। इस संबंध में जिला प्रशासन व नगरपालिका को कड़ाई से कदम उठाना चाहिए।

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