पूरे सिस्टम पर भारी 10 पंचायतों का प्रभारी

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अफसरों के बस्ते में बंद हुआ तबादला कानून

उपयंत्री का वर्षाे से नहीं हुआ तबादला

(Amit Dubey+8818814739)
शहडोल। भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए 22 साल पहले वर्ष 2000 में भले ही अधिकारियों व कर्मचारियों का तबादला करने का कानून बना दिया गया हो, लेकिन शहडोल जिले की गोहपारू जनपद में इसका बिल्कुल भी पालन नहीं हो रहा है। इसके तहत हर तीन वर्ष में कर्मचारियों का तबादला किया जाना था, इसके अलावा चुनावों के ठीक पहले राज्य निर्वाचन आयोग के आदेश के बाद जिला निर्वाचन कार्यालय से हर विभाग से तीन साल से एक ही स्थान पर जमें अधिकारियों की सूची जिला कार्यलय पहुंचती है,बावजूद इसके गोहपारू जनपद के अंगद बन चुके आर.पी. तिवारी इन सब आदेशों पर भारी साबित हो रहे हैं।
कानून भूले जिम्मेदार
तबादला कानून को बनाकर शासन पूरी तरह भूल गया और बीते 10 सालों में आर.पी. तिवारी का तबादला गोहपारू जनपद से नहीं हो सका, मजे की बात तो यह है कि त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव के दौरान तबादलों की गाज सचिवों पर गिरी, लेकिन उन्होंने भी पंचायत में जुगाड़ बनाकर अगल-बगल की पंचायत में सेट कर दिया गया। संभवत: इक्का-दुक्का उपयंत्रियों के किए भी गए तो, जुगाड़ लगाकर निरस्त करा लिया गया। इससे साफ जाहिर होता है कि कानून और कायदे छोटे और गरीब लोगों के लिए बनाये जाते हैं।
यह थी शासन की मंशा
भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने के लिए बनाया नियम ही भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ कर गायब कर दिया गया है। इस नियम के पीछे मंशा यह थी कि एक ही कार्यालय वर्षाे से कार्यरत कर्मचारी या अधिकारी भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है। वहां के प्रभावशाली लोगों से उसके संपर्क बन जाते हैं, जिससे वह सामान्य लोगों से खुलेआम रिश्वत की मांग करने लगता है। बीते दिनों लोकायुक्त द्वारा की गई कार्यवाही के बाद यह भी प्रमाणित हुआ कि जब बाबू स्तर के लोग रोजगार सहायक से खुलेआम रिश्वत ले रहे हैं, तो अधिकारियों का क्या हाल होगा। सूत्रों की माने तो उपयंत्री आर.पी. तिवारी द्वारा अपने चहेतों को ठेके पर कार्य देकर निर्माण की गुणवक्ता से समझौता कर लिया जाता है।
भदवाही में हुआ खेल
गोहपारू जनपद की ग्राम पंचायत भदवाही एक बानगी है, जहां उपयंत्री आर.पी. तिवारी के निरीक्षण में स्टॉप डैम का निर्माण हुआ है, ग्राम पंचायत भदवाही में ए.के. कंस्ट्रक्शन नामक फर्म से पंचायत ने निर्माण सामग्री की खरीदी की है, ऐसा नहीं है कि ए.के. कंस्ट्रक्शन नामक फर्म ने भदवाही में मात्र सप्लाई की है, उपयंत्री आर.पी. तिवारी के प्रभार वाली लगभग पंचायतों में ए.के. कंस्ट्रक्शन नामक फर्म के बिल लगाये गये है, वाणिज्य कर विभाग अगर उक्त फर्म के खरीदी बिक्री की जांच करे तो, यह खुलासा होगा कि जितना सामान उक्त फर्म ने खरीदा ही नहीं, तो सप्लाई कैसे कर दी। चर्चा है कि या तो, उक्त फर्म ने चोरी की सामग्री सप्लाई की है, या फिर कमीशन लेकर बिल पंचायतों में लगाये गये हैं।
…तो एसीबी व ईओडब्ल्यू पहुंचेगा मामला
अब सरकार में उच्च स्तरों पर यह बात चर्चा में है कि भ्रष्टाचार पर सख्ती करनी है तो, कार्रवाई की प्रक्रिया को चुस्त दुरुस्त और तेज करना होगा। चर्चा है कि उपयंत्री आर.पी. तिवारी द्वारा बीते वर्षाे में किये गये भ्रष्टाचार का पुलिंदा राज्य सरकार की एजेंसी एंटी करप्शन ब्यूरो(एसीबी) व ईओडब्ल्यू तक पहुंचाने की तैयारी की जा रही है, लेकिन जनपद सहित जिले में बैठे अधिकारी अगर उक्त अधिकारी को जनपद से नहीं हटा पा रहे हैं तो, इससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि उपयंत्री का प्रभाव वरिष्ठो पर भी भारी। मामले में अगर निष्पक्ष जांच हुई तो, गोहपारू जनपद से एक भ्रष्टाचार के पुरोधा बन चुके उपयंत्री के द्वारा किये गये काले कारनामें खुलकर सामने आ सकते हैं।

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