ठेका कंपनी के साथ मिलकर वैध ईटीपी की आड़ में बेच रहे थे अवैध रेत #पुलिस ने की कार्यवाही 

0
शहडोल। जिले की सोन नदी और अन्य नदियां जैसे खनिज माफिया और खनिज विभाग के लिए दुधारू गाय बन गई है, बीते दिवस खनिज माफिया के द्वारा एएसआई की ब्योहारी में हत्या कर देने के बाद जब पुलिस इस मामले में सक्रिय हुई तो जगह-जगह खनिज माफिया और खनिज विभाग के जुगलबंदी की पोल खुलती नजर आई।
जिले के लगभग थानों में पुलिस अधीक्षक को कुमार प्रतीक और एडीजीपी डीसी सागर के नेतृत्व में स्थानीय थानों की टीम जब सक्रिय होने लगी तो खनिज अधिकारी देवेंद्र पटले और ठेका कंपनी के साथ रेत माफिया के की जुगलबंदी सामने आने लगी।
रविवार की देर शाम जिले के जैतपुर थाना पुलिस ने थाना क्षेत्र अंतर्गत ठेका कंपनी के द्वारा वैध रेत खदान से बेची जा रही रेत से लदी गाड़ियों की जब जांच की तो एक बड़ा मामला सामने आया, जांच के दौरान यह बात सामने आई कि ठेका कंपनी खनिज माफिया के साथ मिलकर खुद वैध की आड़ में अवैध रेत बेच रही है।
दरअसल इस मामले को एक सिरे से समझने की जरूरत है, शासन ने राजस्व के कारण ठेका कंपनी को काम तो दे दिया, लेकिन जितने में ठेका दिया गया है, ठेका कंपनी को उससे लगभग तीन गुना रकम निकालनी है, पहला हिस्सा सरकार के खजाने में राजस्व के रूप में जमा होता है, और दूसरा हिस्सा कंपनी की आमदनी और उसके करिंदों का खर्च होता है और तीसरा हिस्सा खनिज अधिकारी और उनके कर्मचारियों के साथ ही खनिज माफिया मिलकर आपस में बांट लेते हैं।
मोटी आमदनी और सोन नदी की रेत से सोना कमाने के फेर में खनिज अधिकारी देवेंद्र पटले और उनके स्टाफ के साथ खनिज माफिया जो सिर्फ रेत ही नहीं बल्कि अवैध रूप से मुरूम का उत्खनन, पत्थरों का उत्खनन कोयले और बॉक्साइट तथा अन्य खनिज का खनन अर्से से करती रही है, ठेका कंपनी के साथ मिलकर वैध खदानों से अवैध रूप से रेत का निकास इस तरह से किया जाता है, जैसे किसी को इसकी खबर ही ना चले, जैतपुर में जब पुलिस ने कार्यवाही की तो यह पाया गया कि, जप्त की गई चार डग्गी और एक हाइवा में क्षमता से लगभग 25 प्रतिशत रेत हर वाहन में अधिक थी, मध्यप्रदेश  खनिज अधिनियम की बात करें तो यदि किसी भी वाहन में क्षमता से अधिक रेत लदी है और उसके पास वैध ईटीपी भी है तो ईटीपी को शून्य माना जाता है और पूरी की पूरी रेत अवैध मानी जाती है, यही नहीं 25% अधिक रेत जिसे चोरी करके वैध वाहन  में लाद कर बेचा जाता है, उसे पर पुलिस IPC  की धारा 379 और अन्य धाराओं के तहत अपराध कायम कर विवेचना शुरू करती है, वही यह फाइल पुलिस से होती हुई खनिज विभाग को भी भेजी जाती है, जहां विभाग मध्य प्रदेश गौण खनिज अधिनियम के तहत कार्यवाही करनी होती है, पूर्व के वर्षों में इस तरह की सैकड़ो कार्यवाही हुई है, पुलिस थानों के रिकॉर्ड और खनिज विभाग की फाइलें इस बात की साक्ष्य है। पूर्व में इस तरह की कार्यवाहियां कई बार की गई है,  इस जुगाड़ के बाद हर खदान से 25 से 30% सीधे-सीधे वैध वाहन में अवैध होने का खेल खनिज अधिकारी और खनिज माफिया मिलकर ना सिर्फ ठेकेदार पर दबाव डालकर कर रहे हैं बल्कि इससे प्रतिदिन लाखों का खेल भी कर रहे हैं,

 अब आपको ले चलते हैं जैतपुर में हुई कार्यवाही की ओर शुक्रवार रविवार की देर शाम जैतपुर पुलिस ने जिन वाहनों में क्षमता से अधिक रेत जप्त की उनमें पुलिस देर रात सभी वाहनों को पहले पकड़ कर बुढार लेकर आई और यहां कांटा करवाया गया, पूरी सूची बनाने के बाद उन्हें वापस जैतपुर थाने ले जाया गया और पुलिस इस मामले में आगे कार्यवाही करने लगी, पुलिस कार्यवाही क्या करती है तो आने वाला वक्त ही बताएगा , लेकिन जब वाहनों का कांटा किया जा रहा था उसे दौरान पुलिस के चारों तरफ खद्दरधारी माफिया और खनिज कारोबारी तरह-तरह के फोन करवा कर पुलिस पर दबाव डालते नजर आए, अब देखना यह है कि पुलिस उस दबाव या लालच में आती है या फिर अपने ही साथी कर्मचारी की मौत का कारण बने खनिज माफिया के खिलाफ चाबुक चलती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed