7 मौतों के मामले में अभी तक सामने नहीं आये कालरी के जिम्मेदार
दो माह में भी जिम्मेदारी तय नहीं कर पाये प्रभारी
मौत के मामलों में गंभीर नहीं कोल प्रबंधन

शहडोल। 26 जनवरी को धनपुरी थाना क्षेत्र के 7 युवा कबाड़ चोरी करने के इरादे से बंद पड़ी धनपुरी भूमिगत खदान में घुसे थे, जिनकी लाशे अगले दिनों में रेस्क्यू करके निकाली गई थी, मामला जब सुर्खियों में आया तो, आनन-फानन में सोहागपुर एरिया के बुढ़ार ग्रुप की बंद पड़ी उक्त खदान में पुलिस ने कार्यवाही करते हुए बुढ़ार ग्रुप प्रबंधन के नाम पर 304 ए सहित अन्य गंभीर धाराओं के तहत अपराध कायम किया, इसके अगले दिनों में अन्य लोगों की भी जिम्मेदारी तय हुई, लेकिन उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजा गया, उनके मकान तक जमींदोज कर दिये गये, लेकिन बीते दो माहों में धनपुरी पुलिस बुढ़ार गु्रप प्रबंधन से एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाई। 7 मौतों के मामले में पुलिस ने पहले तो, इतनी तेजी दिखाई कि जिले की सीमा पार कर पड़ोस के जिले से कबाड़ी को गिरफ्तार किया गया, कबाड़ भी जब्त हुआ, हालाकि यह अलग बात है कि बाद में उक्त कबाड़ी ने दस्तावेज पेश किये तो, कबाड़ छोड़ दिया गया, लेकिन कोल प्रबंधन को पुलिस ने या तो क्लीन चिट दे दी, या फिर निचले स्तर पर सेवा-सत्कार इस कदर किया गया कि पुलिस के जिम्मेदार इस फाईल को आगे ही नहीं बढ़ा पा रहे हैं।
कोल प्रबंधन को सरोकार नहीं
पुलिस ने इस मामले में सबसे पहले बुढ़ार ग्रुप के नाम पर प्राथमिकी दर्ज की, जाहिर है, पुलिस को जांच में उनकी लापरवाही मिली होगी, अचरज इस बात का है कि 7 लोगों की मौत हो गई और पुलिस ने 304 ए जैसा गंभीर अपराध कॉलरी कर्मचारियों के एक ग्रुप पर दर्ज किया, लेकिन सोहागपुर एरिया के महाप्रबंधक पी.कृष्णा और उनके मातहत वरिष्ठ अधिकारी इस मामले में बुढ़ार ग्रुप या अन्य किसी जिम्मेदार के खिलाफ कार्यवाही तो दूर उन्हें नोटिस देकर जवाब-तलब तक करना मुनासिब नहीं समझा। भले ही कोल प्रबंधन के अधिकारियों की इस मौत के मामले में ज्यादा लापरवाही न हो, लेकिन मौतों के बाद कोई भी जवाब तलब न करना और मामले को हलके से लेना, उनकी घोर लापरवाही को दर्शाता है।
पूर्व में हुआ था ठेका
कोल प्रबंधन से जुड़े सूत्रों की माने तो, पूर्व के वर्षाे में बुढ़ार ग्रुप के द्वारा भारी-भरकम बजट तय करके बुढ़ार ग्रुप की इन्हीं भूमिगत खदानों के मुहाने बंद करने का कार्य सिविल विभाग के माध्यम से कराया गया था, टेण्डर के माध्यम से लाखों रूपये खर्च किये गये और इसका नतीजा जनवरी माह में क्या सामने आया, यह किसी से छुपा नहीं। सूत्रों की माने तो सिविल विभाग के अधिकारियों के द्वारा कोल प्रबंधन की मंशा पर न सिर्फ पानी फेरा गया, बल्कि आर्थिक लाभ के फेर में ठेकेदार के साथ मिलकर बंद भूमिगत खदान के मुहाने बंद करने के नाम पर लीपापोती करते हुए कोरम पूरा किया गया, जिसकी जानकारी बुढ़ार उपक्षेत्र से लेकर एरिया में बैठे जिम्मेदारों तक को है, लेकिन हर डाल पर उल्लू बैठा है।
…और पहना दिया टोपा-मोजा
26 जनवरी की जिस रात को घटना हुई थी, उसके अगले दिनो में ही रत्नांबर शुक्ला को हटाकर एसआई सुंदर लाल तिवारी को थाने का प्रभार दिया गया था, मामले की प्राथमिकी भी सुंदर लाल तिवारी ने ही दर्ज की थी, कोयलांचल में सुंदर लाल तिवारी को टोपा-मोजा पहनाने वाले अधिकारी के नाम पर जाना-जाता है, इस क्षेत्रीय कहावत का अर्थ श्री तिवारी और क्षेत्रीयजन भली-भांति जानते हैं, इस मामले में भी कोयलांचल में यह चर्चा है कि कॉलरी के अधिकारियों को तत्कालीन प्रभारी ने अपनी कहावत में फिट कर लिया, भले ही सुंदर लाल धनपुरी में पदस्थ है, लेकिन उनका निवास पड़ोस के अनूपपुर जिले की कॉलरी कालोनी में ही है, जाहिर है कॉलरी प्रबंधन के द्वारा आवास शासकीय कर्मचारियों को दिये जाने के एवज में किराये एवं बिजली के बिल के जो मानक तय किये गये हैं, उसे अन्य की तरह श्री तिवारी ने भी कभी ही शायद चुकाया हो। इस मामले को भी एक-दूसरे को ऑफ रिकार्ड सहयोग व सहायता के नाम से जोडक़र देखा जा रहा है।