लापरवाह एसडीओ की चल रही लाजवाब पारी
सैकडों किसानों की उम्मीद में जीवन लाल नंदा फेर गया पानी
नेताओं के शह पर भ्रष्टाचारी एसडीओ पर आज तक नही हुई कार्यवाही
दशकों से जिले में अपनी सेवाएं दे रहे इंजीनियर से एसडीओ बने जल संसाधन विभाग के लापरवाह नौकरशाह जीवनलाल नंदा भ्रष्टाचार का इतिहास लिखने जा रहे है। पदस्थापना से लकर वर्तमान तक इनके द्वारा कराये गये प्रत्येक कार्य को अगर परखा जाये तो ऐसा कोई निर्माण व साधन नही होगा जिसमें लापरवाही नही की गई होगी, प्रमाणित भ्रष्टाचार और लापरवाही के बाद भी आज तक किसी भी तरह से इन पर कोई कार्यवाही नही की गई।
अनूपपुर। केन्द्र व प्रदेश सरकार किसानों के लिए भले ही नित नये योजनाओं का संचालन कर करोडो रूपए खर्च करती है, लेकिन जल संसाधन विभाग में बैठे नौकरशाहों की मनमानी सरकार की मंशा पर पानी फेर देता है। किसी भी तरह से कार्यवाही न होने के कारण जीवन लाल नंदा जैसे एसडीओ तो भ्रष्टाचार और लापरवाही उनके पेशे में आ चुका है, दशकों से जिले में अपनी जडे जमाये बैठे एसडीओ की कार्यप्रणाली कई बार उजागर किया जा चुका है, उसके बाद भी न तो उच्चाधिकारियों के द्वारा संज्ञान लिया जाता है और नही किसी जनप्रतिनिधियों के द्वारा उनकी कार्यप्रणाली मुख्यमंत्री तक पहुंचाई जाती है, जिसके कारण उनके हौसले और भी बुलंद होते जाते है।
चंदा और कमीशन में कारोबार
जल संसाधन विभाग अनूपपुर के सभी उपसंभाग में अपनी आमद दे चुके एसडीओ जीवन लाल नंदा मैंनेजमेंट के लिए जाने जाते है, भोपाल से लेकर ग्राम तक इनके तार जुडे हुए है, चंदा और कमीशन के कारण दशकों से जिले में अपनी सेवाएं दे रहे है। जुगाड के पहिए में घूमने वाले एसडीओ इन दिनों आदिवासी अंचल पुष्पराजगढ में मलाई छान रहे है। अनूपपुर, कोतमा जैसे जगहों पर रहकर उन्होने प्रत्येक कार्य में ऐसा लापरवाही बरती कि आज भी सफलता पूर्वक डैम और नाले संचालित नही हो पा रहे है।
आज भी किसान तरह रहे पानी
जिला मुख्यालय से महज 8 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत परसवार के ग्राम मौहरी में किसानों को पानी के लिए सुढृढ व्यवस्था सरकार द्वारा डेम बना कर दिया गया था, लेकिन जन संसाधन विभाग में बैठे लापरवाह तत्कालीन इंजीनियर/एसडीओ जीवनलाल नंदा जैसे अधिकारी की वजह सारी योजनाएं धरी की धरी रह जाती है। गांव के समीप करोडो खर्च कर बनाये गए डैम से सिंचाई के लिए खेतों को पानी नहीं मिला। जिससे दर्जनों गांव में डैम का निर्माण हुए लगभग तीन वर्ष से अधिक हो गए। डैम से खेतों तक पानी निकासी के लिए नाला तो बना दिया गया, लेकिन खेतों तक पानी नही पहुुंचना कायरता साबित कर रही है।
शिकायत बेअसर
ग्रामीणों ने डैम में पानी न रूकने की वजह और गेट बदलने के लिए विभाग को पत्र लिखने के साथ ही तत्कालीन इंजीनियर जीवनलाल नंदा को मौखिक रूप से जानकारी दी थी, उसके बाद भी न तो आज तक विभाग संज्ञान लिया और ही उक्त इंजीनियर ने, जिसके कारण आज भी पानी डैम में नही रूक रहा है। गांव के किसान यह भी कह रहे है कि डैम निर्माण में संवेदक मालामाल हो गए वहीं किसान पानी न मिलने के कारण लाचार हो गए है। डैम का निर्माण कराया गया, किन्तु आज के दिनों में डैम बेकार पडे है।
प्रत्येक कार्य में लापरवाही
इंजीनियर से एसडीओ बने जीवन लाल नंदा ने जिले में जितने में कार्य किये है, उन से सभी निर्माण में लीपा-पोती की गई है, चाहे वह तिपान नदी में बनाये गये पुल का टूटना हो, कोतमा में इनके देख-रेख में बनाये गये डैम का फूटना हो या फिर मौहरी में बनाये डैम में पानी न रूकने का मामला हो, इनके कार्यकाल के सभी कार्य में भ्रष्टाचार और लापरवाही की गई है, जिसके कारण किसानों और आम लोगों को लाभ नही मिल पाता है, पुष्पराजगढ में रहने के दौरान भी कई ऐसे कार्य किये है जिनका लाभ आज भी किसानों को नही मिल पा रहा है।
दशकों से जिले में सेवाएं
जन संसाधन विभाग में दशकों से जडे जमाये बैठे जीवन लाल नंदा का सफर इंजीनियर से एसडीओ तक का है, इनके कार्यकाल के दौरान किये गये कार्यो की समीक्षा की जाये तो हर कार्य में भारी अनीयमितता और लापरवाही दिखाई देगी, लेकिन जुगाड के दम पर दशकों से मनमाना कार्य किये जा रहे है, जिले से आज तक न तो कोई इन्हे हटा पाया और न ही कोई कार्यवाही आज तक की गई। इस दौरान कई चुनाव हुए और कई घोर लापरवाही पाई गई, उसके बावजूद दशकों से जमें हुए है।