हर मौसम को सबसे पहले महसूस करते है भारतीय रेल के कमांडो ‘ट्रैकमैन’

तुम क्या जानो साहब ट्रैकमैन की परेशानियां
शहडोल। पटरी की सुरक्षा और मरम्मत करने वाले ट्रैकमैन की जिम्मेदारी सम्हालने वाले ट्रैकमैन की भी अपनी परेशानियां है, जिन पर शायद ही किसी की नजर जाती हो। भारी-भरकम सब्बल और टूलकिट उठाकर कई किलोमीटर चलने, पटरियों को साफ करने और सुनसान इलाकों में काम के दौरान इन रेल कर्मचारियों की हालत पर रेल विभाग की नजर कम ही जाती है। शहडोल रेलवे स्टेशन में रेल विभाग का सबसे निचले स्तर का कर्मचारी ट्रैकमैन कही साहब की बंगला ड्यूटी कर रहा है, कही किसी ऑफिस में कम्प्यूटर चलते दिख जाये तो यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है।
शहडोल के स्टेशन में नहीं है ढंग का स्टोर
दक्षिण-पूर्व मध्य रेलवे शहडोल के स्टेशन में कार्यरत ट्रैकमैन एसोसिएशन के पदाधिकारी ने हमें बताया कि एक ट्रैकमैन अपने जीवन का सबसे ज्यादा समय रेल ट्रैक पर ही बिताता है। ट्रैकमैन और पेट्रोलमैन के लिए रेल की सुरक्षा करना उसका प्रथम कार्य है, साथ ही रेल की रिपेयरिंग, पेट्रोलिंग, ग्रीसिंग, लुब्रिकेशन, वेल्डिंग, गिट्टी की छनाई, थू पैकिंग रेल उठाना जैसे कार्य किये जाते है और यह सतत किये जाने वाले कार्य है जो भीषण गर्मी तेज़ ठण्ड या बरसात हर मौसम में किये जाते है। शहडोल रेलवे स्टेशन में इस समय लगभग 100 ट्रैक में कार्य कर रहे है जिनके लिए एक ढंग का ऑफिस या स्टोर तक नहीं बनाया गया है। सामान रखने के लिए जो टूल रूम बना है उसका आकर इतना छोटा है जिसमे 2 आदमी भी मुश्किल से प्रवेश कर पाते है। जब कोई रेलवे का सक्षमअधिकारी दौरे पर आता है तो उसकी नजर इस अव्यस्था पर नहीं पड़ती है। ये बड़े ही आश्चर्य का विषय है।
एक बार ट्रैकमैन तो जिंदगी भर ट्रैकमैन
पूरे रेल महकमे में इकलौता ट्रैकमैन ही ऐसा कर्मचारी है जो ट्रैकमैन के रूप में भर्ती होता है और ट्रैकमैन के रूप में रिटायर हो जाता है। लोकल डिपार्टमेंटल कोटा के तहत मिलने वाला प्रमोशन से ट्रैकमैन को कोई लाभ नहीं होता है। रेल विभाग द्वारा ट्रैकमैन के लिए कोई भी विभागीय प्रमोशन की प्रक्रिया ही नहीं बनाई गयी है। यदि कभी कोई विभागीय प्रमोशन की प्रक्रिया लाई भी जाती है तो उसमे 100 पदों के विरुद्ध 02 या 03 पद ही ऐसे होते हैं जिसमे ट्रैकमैन विभागीय परीक्षा देकर किसी अन्य पद में प्रमोट हो सकते हैं। दक्षिण-पूर्व मध्य रेलवे में हजारों की संख्या में ट्रैकमैन कार्य कर रहे है ऐसी स्थिति में उनका प्रमोशन ही नहीं हो पाता है और जो व्यक्ति ट्रैकमैन बनकर अपनी नौकरी की शुरुआत करता है वो ट्रैकमैन बनकर ही सेवानिवृत हो जाता है। शहडोल में पदस्थ ट्रैकमैन एसोसिएशन ने मांग करते हुए कहा है कि विभाग द्वारा लिमिटेड डिपार्टमेंटल कॉम्पटेटिव एग्जाम प्रक्रिया में सभी को शामिल किया जाये जिससे हम में से योग्य व्यक्ति को जो प्रतिभाशाली है और आगे बढऩे कि योग्यता रखता है उसे उच्च पदों में कार्य करने का अवसर मिल सके।
25 किलो रहता है टूल किट का वजन
ट्रैकमैन के द्वारा उठाये जाना वाला टूल किट का वजन लगभग 25 किलो रहता है, जिसमें 15 किलो की सब्बल, 08 किलो की गैंती, 02 से 03 किलो की लोहे की तगाड़ी शामिल रहता है। यदि कोई ट्रैकमैन इसे शहडोल स्टेशन से उठता है तो इसे वापस शहडोल के स्टेशन में ही जमा करना होता है। स्टेशन में कार्यरत ट्रैकमैन ने बताया कि हमे टूल किट लेकर काम करने में परेशानी नहीं है, ये तो हमारा काम है जो कि हमारी सेवा शर्तों में लिखा रहता है और हमें स्वीकार भी है, दिक्कत तब होती है जब इसे लेकर कई किलोमीटर में पैदल चलना पड़ता ह,ै क्योकि गर्मी में लोहे कि सब्बल बहुत गर्म हो जाती है, जिसके कारण इसे कंधे में उठाना कठिन हो जाता है। 03 किलोमीटर के ट्रैक में टूल किट को लेकर चलना है और फिर काम करते हुए वापस भी आना हमारी दिनचर्या बन चुका है। शहडोल में पदस्थ एक ट्रैक मैन ने नाम न प्रकशित करने कि शर्त पर बताया कि हमें दु:ख तब होता है जब विभाग हमें छोटा कर्मचारी मान कर हेय दृष्टि से देखता है और कई बार बड़े अधिकारीयों अपमान जनक बाते भी सुननी पड़ती है।
नहीं मिलता टूल बॉक्स के लिए हट
शहडोल स्टेशन में कार्यरत ट्रैकमैन एसोसिएशन के पदाधिकारी ने बताया कि कई बार हमें दुर्गंम क्षेत्रों में भी टूल किट लेकर जाना पड़ता है, ऐसी स्थिति में भारी-भरकम टूल किट रखने के लिए कोई भी हट या स्टोर कि व्यवस्था निकटतम नहीं होती है, जिसके कारण इसे स्टेशन में वापस जमा करने के लिए कई किलो मीटर तक पैदल चलना पड़ता है। भारी बरसात हो या तेज गर्मी मौसम में होने वाले बदलाव को सबसे पहले ट्रैकमैन ही महसूस करते है। शहडोल स्टेशन में पदस्थ ट्रैकमैन किलोमीटर 907 से लेकर 916 तक बनें रेल ट्रैक की देख-रेख करते हैं, साथ ही दुर्घटना होने पर भी सबसे पहले ट्रैकमैन ही घटना स्थल पर पहुंचते है, ऐसे में ट्रैकमैन को रेल विभाग का कमांडो भी कहा जाये तो यह अतिश्योक्ति नहीं होगी।
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