दिए की रोशनी में रात काटने को अभिशप्त हैं निरीह ग्रामीण

अधीक्षण अभियंता की सूचना के बाद भी नहीं मिली बिजली
उत्तरदायी जनप्रतिनिधियों का निकम्मापन अफसरों को निरंकुश बना चुका है। वे शासन की योजनाओं
को भी अपनी सुविधानुसार संचालित करने लगे हैं। जनहित के लिए सराकारों की महत्वाकांक्षी योजनाएं मंथर गति
से चल रहीं हैं। उनका लाभ समुचित रूप से जनता को नहीं मिल पा रहा है। योजनाओं में सरकारी अमले का भ्रष्टाचार
चरम सीमा पर पहुंच चुका है। लेकिन कोई नकेल कसने वाला नहीं है। अफसरों की अंधेरगर्दी से निरीह जनता पिस
रही है। सौभाग्य योजना की हालत जिले में यही है।
शहडोल। योजनाओं के लिए जनता वर्षों राह निहारती है फिर भी उसे केवल आश्वासन ही मिलता है। आदिवासी बहुल
घियार ग्रामपंचायत के गांव आज भी अंधकार में डूबे हैं, जबकि विद्युत मण्डल के बड़े अफसर ने सूचना दी थी कि
गांव शामिल किए गए हैं। एक साल से अधिक का समय बीत गया लेकिन कुछ नहीं हुआ। केन्द्र सरकार की अत्यंत
महत्वपूर्ण सौभाग्य विद्युत योजना जिले में पूर्ण नहीं हो पा रही है। जबकि विद्युत मण्डल के अधिकारी ग्रामीणों को
आश्वासन देकर शांत करने का प्रयास करते हैं। अगर विधायक सक्रिय होते और योजनाओं के क्रियान्वयन पर नजर
रखते तो शायद जनता यह दुर्दिन नहीं देखती। उसे इतनी बड़ी योजना संचालित होने के बावजूद दिए की रोशनी में
रात बिताने को अभिशप्त नही रहना पड़ता।
यह है सौभाग्य योजना का उद्देश्य
प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रत्येक घर को विद्युत सुविधा से जोडक़र उन्हे उजाला देने के लिए सौभाग्य योजना लागू
की थी। केन्द्र सरकार द्वारा संचालित इस योजना के क्रियान्वयन के लिए अरबों रुपए का बजट उपलब्ध कराया गया
है। लेकिन आज तक यह योजना पूरा होने का नाम नहीं ले रही है। अधिकारी मजे से धीरे धीरे इस योजना को आगे
बढ़ा रहे हैं। बताते हैं कि ठेके पर चल रही इस योजना के संदर्भ में अफसरान जनता की सुविधा से अधिक ठेकेदार की
सुविधा देख रहे हैं।
घियार ग्रामपंचायत अंधेले में डूबी
जनपद जयसिंहनगर अंतर्गत स्थित ग्राम पंचायत घियार के लगभग आधा दर्जन गांव आज भी अंधकार में डूबे हुए
हैं। अंतिम छोर के इन निरीह आदिवासियों की रातें दीपक की टिमटिमाती रोशनी में कट रही है। कई गरीब घर तो ऐसे
हैं जो घरों में अंगीठी जला कर रखते हैं और आग के सहारे रात बिताते हैं। कारण यह है कि उन बेचारों को मिट्टी का
तेल भी नसीब नहीं होता क्योंकि वह भी डीजल से अधिक मंहगा हो चुका है। उचित मूल्य दूकानों में अब उसका भी
वितरण लगभग बंद कर दिया गया है। एक बिजली की आस थी उसे भी विद्युत मण्डल के बेलगाम अधिकारियों ने
धूमिल कर दिया है।
इन गांवों मेें नहीं पहुंची बिजली
घियार ग्राम पंचायत के जिन गांवों में बिजली नहीं पहुंची है उनमें ठाड़ी पाथर, केरहा, धवइया टोला, नरगी, कटर्रा
टोला हैं। यह सभी गांव शत प्रतिशत आदिवासी गांव हैं। आदिवासियों की विपन्नता और उनकी जीवन शैली को
ध्यान में रखते हुए सरकारें विकास और कल्याण योजनाएं संचालित करती हैं उनमें शासकीय अमला पलीता लगाता
रहता है। इन गांवो के आदिवासी वर्षों से बिजली की रोशनी के लिए सिसक रहे हैं। उन्हे एक बल्व की रोशनी भी नसीब
नहीं हो रही है। इन गांवों के आदिवासियों को एक बल्व के लिए अभी और कितने साल इंतजार करना पड़ेगा यह समझ
के परे है।
अधीक्षण अभियंता ने सरपंच को दी थी सूचना
विद्युत मण्डल के अधीक्षण अभियंता ने पत्र क्रमांक 095/04/2408 दिनांक 29 सितंबर 2021 को सरपंच घियार को
सूचना दी थी कि उन्हे कार्यपालन अभियंता ने जानकारी दी है कि घियार के विद्युतविहीन ग्रामों को योजना के फेेज-2
में शामिल कर लिया गया है। यहां विद्युतीकरण की कार्यवाई की जाएगी। इस पत्र के बाद एक साल से अधिक समय
बीत गया लेकिन आज तक वहां एक खंभा भी नहंी गिराया गया है। खंभे खड़े करना सर्विस लाइन डालना तो दूर की
बात है। सरपंच ने इस दौरान कई बार अधिकारियों से संपर्क किया लेकिन उन्हे हर बार आश्वासन ही मिला है।
इनका कहना है…..
घियार ग्रामपंचायत के विद्युतीकरण के संदर्भ में जानकारी ली जाएगी और तत्काल कार्रवाई कराई जाएगी।
श्रीमती वंदना वैद्य
कलेक्टर, शहडोल