शहडोल नगर पालिका का नवाचार : अब शहर की बेटियों के शादी कार्ड बॉटेगा नपा का वाहन..??

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OMG…नपा का उड़नदस्ता बांट रहा है आखिर किसके शादी के कार्ड…??
(शुभम तिवारी)
शहडोल । नगर पालिका की सरकारी गाड़ी जिसमें उड़न दस्ते का बोर्ड लगा हुआ है, उसे चला भी रहे सरकारी कर्मचारी रहे, लेकिन शादी के कार्ड बांटे जा रहे हैं, शादी के कार्ड किसके हैं..?? नपा की गाड़ी का दुरुपयोग कौन कर रहा है..!! आखिर गाड़ी में डीजल तो लग रहा होगा और चालक तथा अन्य को नपा के खाते से वेतन का भुगतान भी हो रहा होगा..!!
यह किसी सरकारी कार्यक्रम के कार्ड होते तो समझ में आता लेकिन आखिर किसके शादी के कार्ड है जिसको बटवाने की मजबूरी में नपा का वाहन दर-दर घूम रहा है।

सरकारी पैसे का खुलकर दुरुपयोग हो रहा है नपा के जिम्मेदार चाहे वह मुख्य नगरपालिका अधिकारी हो या फिर अध्यक्ष हों, क्या इसी लिए शासन ने मोटा वेतन देकर सीएमओ को यहां पर बैठाया है या फिर देश के सबसे बड़े राजनीतिक दल पर भरोसा करके हजारों लोगों ने अपना 5 साल में देने वाला एकलौता वोट उसे दिया,जो अब उसका दुरुपयोग कर रहा है, हालांकि अन्य मामलों की तरह ना तो इस मामले की जांच होगी नहीं कोई कार्यवाही अब तो धीरे-धीरे शहरवासियों की उम्मीद भी टूट जा रही है।

बस अब यही गिना जा रहा है कि कितने महीने शेष बचे हैं इतने महीने निकल जाएं तो फिर नए व्यक्ति को इस कुर्सी पर बैठाया जाए और उसे अपेक्षा की जाएगी इस बार वह नहीं होगा जो पिछले बार होता रहा है।


शहडोल में एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें जिला संयुक्त कार्यालय के सामने नगर पालिका के उड़न दस्ते का वाहन खड़ा होता है, फिर उसमें से एक नौजवान जो दाढ़ी रखे हुए हैं वह शादी के कार्ड बांट रहा है।


भारतीय जनता पार्टी अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी बहुजन समाज पार्टी गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और भी न जाने कितने राजनीतिक और गैर राजनीतिक दल तथा सामाजिक संगठन यहां पर है और उनके 406 दर्जन नेता भी हैं जो खुद को समाज सुधारक बताते हैं लेकिन इस संबंध में न तो कोई आवाज उठा पा रहा है और ना ही चल रही इस मनमानी को रोक रहा है यदि ऐसा ही है तो शहर के उन सब गरीब परिवारों की बेटियों की शादी के कार्ड भी नगर पालिका के उड़न दस्ते दमकल या अन्य वाहनों के माध्यम से उनके कर्मचारियों के द्वारा बटवाने चाहिए, यही नहीं विवाह में मदद करनी चाहिए, नगर पालिका के पास तो सरकारी धन के अलावा राजस्व मिलने वाला भारी कर और जिम्मेदारों के पास मोटी कमीशन न जाने कितने ऐसे वैद्य वैद्य मत हैं जिनसे गरीबों की मदद हो सकती है।

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