मानसिक एवं बौद्धिक वृद्धि एवं विकास के लिए आवश्यक है आयोडीन : सीएमएचओ

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राष्ट्रीय आयोडीन अल्पता विकार निवारण कार्यक्रम

के अंतर्गत बैठक का हुआ आयोजन

शहडोल। राष्ट्रीय आयोडीन अल्पता विकार निवारण कार्यक्रम के अंतर्गत 30 अक्टूबर तक जन जागरूकता सप्ताह मनाया जा रहा है। लोगों को आयोडीन के महत्व का संदेश जन जन तक पहुंचाने के लिए तथा लोगों को आयोडीनयुक्त भोजन लेने के लिए लगातार प्रेरित किया जा रहा है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में आयोजित बैठक में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एम.एस. सागर ने कहा कि मानव के मानसिक एवं बौद्धिक विकास के लिए आयोडीन की सूक्ष्म मात्रा अर्थात 1 माइक्रोन बहुत आवश्यक है, आयोडीन बढ़ते हुए शिशु के दिमाग के विकास में और थायराइड प्रक्रिया के सुचारु संचालन के लिए आवश्यक है। आयोडीन हमारे शरीर के तापमान को विनियमित करता है। आयोडीन की कमी से मुख्य रूप से घेंघा रोग होता है, आयोडीन की कमी से गर्भ में पल रहे शिशु पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है और बच्चे कम वजन के और दिव्यांग भी पैदा होते हैं। उन्होंने कहा कि हमें भोजन में आयोडाइज्ड नमक का इस्तेमाल करना चाहिए।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने बैठक में बताया कि आयोडीन मुख्य रूप से मिट्टी की ऊपरी सतह में विद्यमान रहता है तथा समुद्र के पानी में इसका प्रचुर मात्रा होती है। आयोडीन मोटे अनाजों में भी पाया जाता है। उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक लोग आयोडीनयुक्त भोजन करें और अपने को घेंघा रोग आदि से मुक्त रखें। इस संबंध में स्वास्थ्य संस्थाओं में शपथ दिलवाई गई और उनके द्वारा यह संदेश दिया गया हमारे जीवन का महत्वपूर्ण तत्व है, इसे सभी को आत्मसात करना होगा। बैठक में जिले के सभी खंड चिकित्सा अधिकारी, डीपीएम मनोज द्विवेदी, जिले के सभी खंड विकास प्रबंधक एवं आईसी कंसंल्ट्रेट साजिद खान एवं स्वास्थ विभाग का अमला उपस्थित था।

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