101 फीट रावण संग इतिहास रचेगा कैमोर का 86वां पर्व का दशहरा वर्षों से सलैया कुम्हारी के कारीगर निभा रहे परंपरा, 2 अक्टूबर को गूंजेगा जय श्रीराम,ऊँचे रावण संग मेघनाथ और कुंभकरण का भी होगा दहन

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101 फीट रावण संग इतिहास रचेगा कैमोर का 86वां पर्व का दशहरा वर्षों से सलैया कुम्हारी के कारीगर निभा रहे परंपरा, 2 अक्टूबर को गूंजेगा जय श्रीराम,ऊँचे रावण संग मेघनाथ और कुंभकरण का भी होगा दहन

कैमोर का दशहरा सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि पीढ़ियों से चली आ रही विरासत है। इस बार जब 101 फीट ऊँचा रावण अपने साथ मेघनाथ और कुंभकरण संग दहन होगा, तब न सिर्फ आग की लपटें उठेंगी बल्कि परंपरा, आस्था और कला का संगम भी चरम पर होगा। जिले के कैमोर का दशहरा इस साल एक नया इतिहास रचने जा रहा है। 86वें वर्ष में पहली बार रावण के साथ मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले भी तैयार किए गए हैं, जिनका दहन 2 अक्टूबर को होगा।
कटनी/कैमोर।। एसीसी कैमोर दशहरा उत्सव समिति के तत्वावधान में इस बार दशहरा उत्सव अपने 86वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। कैमोर का यह पर्व सिर्फ रावण दहन तक सीमित नहीं, बल्कि परंपरा, विरासत और भव्यता का अनोखा संगम है। इस बार रावण के साथ उसके पुत्र मेघनाथ और भाई कुंभकरण के पुतले भी दहन होंगे।

कैमोर नगर परिषद अध्यक्ष पलक ग्रोवर ने बताया कि इस बार रावण का कद 101 फीट रखा गया है। वर्ष 1984-85 में यह ऊँचाई 120 फीट तक पहुँच चुकी थी, लेकिन सुरक्षा कारणों से बाद में कम करनी पड़ी। खास बात यह है कि पुतले पूरी तरह इको-फ्रेंडली होते हैं, जिनमें बांस, जुट, रद्दी पेपर और बिना रसायन वाले उत्पाद ही उपयोग में लाए जाते हैं।

तीन पीढ़ियों की कला : सलैया कुम्हारी का वंशकार परिवार
लगातार 85 वर्षों से कटनी जिले के बरही के पास सलाईया कुम्हारी गाँव का राजकुमार वंशकार का परिवार रावण बनाने की परंपरा निभा रहा है। कारीगर राजकुमार वंशकार बताते हैं “पहले हमारे दादा-परदादा यह कार्य करते थे। अब हमारी तीसरी पीढ़ी इसे आगे बढ़ा रही है। इस बार 35 सदस्य मिलकर रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले तैयार कर रहे हैं, जिनमें रथ, घोड़े और सारथी का भी आकर्षक चित्रण होगा।”

सुरक्षा और तैयारी में कोई कमी नहीं
एसीसी अडानी के सुरक्षा विभाग, नगर परिषद की टीम और पुलिस प्रशासन ने विजयदशमी के दिन लोहे की बैरिकेडिंग और वालंटियर व्यवस्था की रूपरेखा तैयार की है। कंपनी के अधिकारी भी लगातार मॉनिटरिंग करेंगे। उद्देश्य साफ है उत्सव को भव्यता और शांति के साथ सम्पन्न करना। कैमोर का दशहरा सिर्फ एक नगर का उत्सव नहीं, बल्कि मध्यप्रदेश में अपनी विशालता और ऐतिहासिक परंपरा के कारण विशेष पहचान रखता है। यह वही पर्व है, जहाँ कला, आस्था और परंपरा मिलकर एक ऐसा दृश्य रचते हैं, जिसे देखने हजारों लोग जुटते हैं। अब सबकी निगाहें 2 अक्टूबर 2025 पर टिकी हैं, जब 101 फीट ऊँचा रावण अपने साथ मेघनाथ और कुंभकरण संग धधकती अग्नि में भस्म होगा और कैमोर का आसमान फिर एक बार “जय श्रीराम” के उद्घोष से गूंज उठेगा।

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