काशीबाई ने महिलाओं को बनाया शिक्षित, बच्चों को सेहतमंद, सेवा, समर्पण और उत्कृष्ट कार्यों के लिए कई बार पुरस्कृत हो चुकी हैं
काशीबाई ने महिलाओं को बनाया शिक्षित, बच्चों को सेहतमंद, सेवा, समर्पण और उत्कृष्ट कार्यों के लिए कई बार पुरस्कृत हो चुकी हैं
कटनी ॥ – कटनी जिले में महिलाओं की प्रतिभा की बात करें तो दर्जनों नाम जुबान पर आ जाते हैं जिनकी खूबियों ने देश-दुनिया में जिले का नाम रोशन किया, लेकिन इनमें से कुछ ऐसी भी महिलाएं हैं जो नाम रोशन करने के साथ ही अपने साथ काम करने वालों के लिए नज़ीर साबित हुई हैं। यूं तो मध्यप्रदेश में 88 हजार से ज्यादा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं, जिनमें से कई हमारे बीच भी मौजूद हैं, जिन्हें हम जानते तक नहीं हैं, लेकिन इनमें से ही कोई एक ऐसा भी है जिसने चन्द वर्षों की मेहनत के बाद राष्ट्रीय स्तर पर अपना मुकाम बना लिया। ये आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हमारे ही जिले के एक छोटे से गांव मे सेवायें दे रही हैं। हम बात कर रहे हैं बड़वारा के उमरिया स्कूल की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता काशी बाई विश्वकर्मा की, जिनका नाम प्रदेश स्तरीय पुरस्कार के लिए सन 2016 में शामिल किया गया था। काशी बाई ने यह ईनाम जीतकर न सिर्फ कटनी बल्कि पूरे देश में मध्यप्रदेश का नाम रोशन कर दिया। 22 दिसम्बर 2016 को यह पुरस्कार नई दिल्ली के अशोका होटल में महिला और बाल विकास विभाग की तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी ने मध्यप्रदेश में महिला एवं बाल विकास विभाग की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के रूप में प्रदेश स्तर पर उत्कृष्ट कार्य के लिये कटनी जिले की जगतपुर उमरिया की काशीबाई विश्वकर्मा को 25 हजार रुपये की नगद राशि सहित प्रशस्ति पत्र प्रदान कर दिया था। उस समय मध्यप्रदेश के लिये खुशी के इन क्षणों को प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने भी साझा करते हुये कटनी जिले की जगतपुर उमरिया गांव की आँगनवाड़ी कार्यकर्ता श्रीमती काशीबाई विश्वकर्मा को नई दिल्ली में राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित होने पर बधाई और अपनी शुभकामनाएँ दी थीं। साथ हीं तत्कालीन कलेक्टर विशेष गढ़पाले ने भी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता श्रीमती विश्वकर्मा को उनकी इस सफलता और जिले का नाम रोशन करने के लिये बधाई दी थी।बच्चों के साथ हिल मिल कर पढ़ाई करवातीं ये तस्वीरें काशी बाई विश्वकर्मा की हैं। इन्हें 22 दिसम्बर 2016 में आंगनवाड़ी मे श्रेष्ठ काम के लिए प्रदेश स्तरीय पुरुस्कार देने की घोषणा की गई। आपको काशी बाई के बारे में एक खास बात बता दें कि जब काशी बाई ने आंगन बाड़ी में काम करना शुरू किया तो उस वक्त उनकी शिक्षा महज 12वीं क्लास तक थी। उस दरम्यान काम करते समय उनके मन में आया कि इस काम को और बेहतर तरीके से करने के लिए कम से कम ग्रेजुएशन तो कर ही लेना चाहिए। फि़र क्या था, काशी बाई ने अपने पति को ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने की इच्छा बताई, उनके पति ने भी काशी बाई के ने प्रस्ताव का स्वागत कर दिया। रात-दिन एक कर काशीबाई ने बीए भी पास कर लिया। काशीबाई ने अपने गांव मे शिक्षा का अलख जगाना शुरू किया और गांव की अनपढ़ महिलाओं को शिक्षित करने के काम में जुट गईं। शुरुआती दौर में तो उन्हें परेशानी हुई लेकिन उन्होंने हार नही मानी फि़र वक्त के साथ गांव के लोगों ने भी शिक्षा और सफ़ाई के महत्व को समझा। देखते ही देखते काशी बाई ने पूरे गांव को साक्षर बना डाला । काशी के इस कारनामे ने शासन को पुरस्कार देने के लिए मजबूर कर दिया और यहीं से जो पुरस्कारों का सिलसिला चला तो कारवां राष्ट्रपति से मिलने वाले पुरस्कार तक पहुंच गया। खास बात ये कि उस सन 2016 में महज 2 दिनों की मेहनत से काशी बाई ने समग्र स्वच्छता मिशन के अंतर्गत गांव में चौपालें लगाकर 165 हितग्राहियों के आवेदन भरवाए और 90 घरों में शौचालय बनवा दिए। पूरे गांव में जल शुद्विकरण के अंतर्गत 15 हैंडपम्पों के पानी की जांच कराकर सोख्ता गड्ढे बनवाये गये। सुपोषण अभियान के अंतर्गत अतिकम वजन के 14 बच्चों के समुचित उपचार के बाद पोषण स्तर पर परिवर्तन कराना सामाजिक और रचनात्मक कार्य था, एक बात जो बेहद चौंकाने वाली है वो ये कि इनके आंगनवाड़ी केन्द्र का एक भी बच्चा कुपोषित नहीं है। जो अपने आप में बेहद चौंकाने वाला आंकड़ा है। इनकी आंगनवाड़ी में हर मंगलवार को गोद-भराई की रस्म के साथ ही बच्चों के पोषण आहार पर चर्चा की जाती है ताकि गर्भवती महिलाओं के अलावा नौनिहालों की बेहतर परवरिश की जा सके। यही वजह है कि इनकी आंगनवाड़ी की जद में आने वाले सभी बच्चे सुपोषित हैं।भारत सरकार, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, नई दिल्ली के जरिए हर साल आईसीडीएस योजना के तहत आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से की जाने वाली उत्कृष्ट सेवाओं के परिपालन में प्रत्येक प्रदेश से एक-एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को पुरस्कृत किया जाता है। यह पुरस्कार अन्य आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं में जोश व जुनून भरने के साथ उनमें उत्साह और उमंग की स्फूर्ति पैदा करने की दिशा में भी प्रेरित करता है। इसमें 25 हजार रुपये की नकद राशि और राष्ट्रीय प्रशस्ति पत्र भी दिया जाता है। सन 2016 में मध्य प्रदेश के कटनी जिले की बड़वारा विकासखण्ड के जगतपुर उमरिया की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता श्रीमती काशीबाई विश्वकर्मा ने अपने आंगनबाड़ी केन्द्र को न सिर्फ अपनी सेवाओं के माध्यम से उत्कृष्टता प्रदान की, बल्कि गांव में योजनाओं के प्रचार-प्रसार, साक्षरता,शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन में अपनी उत्कृष्ट प्रतिभा का भी प्रदर्शन किया। गांव की महिलायें को तो लगता है कि वो काशीबाई के बिना वे अधूरी हैं। इलाके की महिलाओं की मानें तो काशीबाई के रहते इन्हें किसी तरह की परेशानी नही हो सकती है।आपको काशी बाई विश्वकर्मा के बारे में एक और खास बात बताते हैं, वह ये कि कई बार इनके विभाग के अधिकारियों ने इनके केन्द्र का औचक निरीक्षण भी किया ताकि यह पता चल सके कि काशी बाई का केन्द्र वाकई सही चलता है या ये महज दिखावा है। आप जान कर चौंक जायेंगे कि हर बार छापे के बाद अधिकारियों का भरोसा बढ़ता चला गया। यही वजह है कि अधिकारी भी काशी बाई के इस जज्बे को सलाम करते हैं।काशी बाई एक मिसाल है, उन तमाम लोगों के लिए, जो सरकारी मशीनरी में खुद को मशीन का एक पुर्जा मान कर उतने ही दायरे मे सीमित हो जाते हैं दृ काशी बाई ने दुष्यन्त के उस लाइन को सच साबित कर दिया जिसमें कहा है कि दृ
कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता।
एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों ॥