कटनी बन रहा अपराधियों का सुरक्षित अड्डा- आखिर जिम्मेदार कौन? नहीं थम रही आपराधिक वारदातें, कटनी बनता जा रहा अपराधियों का सुरक्षित अड्डा गांधीगंज में ट्रांसपोर्ट व्यवसायी के घर हुई 50 लाख से अधिक की बड़ी चोरी
कटनी बन रहा अपराधियों का सुरक्षित अड्डा- आखिर जिम्मेदार कौन? नहीं थम रही आपराधिक वारदातें, कटनी बनता जा रहा अपराधियों का सुरक्षित अड्डा
गांधीगंज में ट्रांसपोर्ट व्यवसायी के घर हुई 50 लाख से अधिक की बड़ी चोरी
दिलीप शुक्ला (गोलू)।। कटनी शहर एक बार फिर से सुर्खियों में है, लेकिन इस बार कारण किसी विकास कार्य या उपलब्धि का नहीं बल्कि लगातार बढ़ रही आपराधिक घटनाओं का है। हाल ही में गांधीगंज क्षेत्र में एक ट्रांसपोर्ट व्यवसायी के घर लगभग 50 से 60 लाख रुपये की चोरी ने न केवल शहरवासियों को दहला दिया है बल्कि कानून व्यवस्था की पोल भी खोल दी है। इससे पहले दद्दाधाम कॉलोनी में सेना के जवान के घर पर नकाबपोश गिरोह ने धावा बोलकर सूने मकान को निशाना बनाया था। लगातार हो रही ऐसी घटनाएं एक बड़ा सवाल खड़ा करती हैं – क्या कटनी अब अपराधियों के लिए सुरक्षित ठिकाना बनता जा रहा है?
लगातार घट रही चोरियों से यह साफ दिखाई दे रहा है कि अपराधियों को अब किसी का भय नहीं रहा। वे बेखौफ होकर घरों में घुसपैठ कर लाखों की चोरी कर ले जाते हैं और आसानी से जिले की सीमा से बाहर निकल जाते हैं। यह स्थिति बताती है कि पुलिसिया गश्त, खुफिया तंत्र और अपराध पर अंकुश लगाने की रणनीति पूरी तरह से कमजोर पड़ चुकी है।
हर बड़ी चोरी या वारदात के बाद पुलिस का वही रटा-रटाया अंदाज देखने को मिलता है—डॉग स्क्वॉड, फिंगरप्रिंट एक्सपर्ट और मौके की जांच। लेकिन सवाल यह है कि क्या इससे अपराध रुकते हैं? चोरी के बाद जांच करने से बेहतर है कि पुलिस अपराध होने से पहले रोकथाम के उपायों को मजबूत करे। लगातार हो रही घटनाएं यह संकेत दे रही हैं कि अपराधियों की पकड़ और नेटवर्क पुलिस के मुकाबले कहीं ज्यादा मजबूत होता जा रहा है।
कटनी जैसे शहर, जो अब उभरते हुए व्यावसायिक केंद्र के रूप में पहचान बना रहा है, वहां लगातार आपराधिक घटनाओं का होना न केवल आर्थिक हानि का कारण है बल्कि सामाजिक और मानसिक असुरक्षा भी बढ़ा रहा है। व्यापारी वर्ग और आम नागरिक अपने घर और कारोबार को सुरक्षित मान ही नहीं पा रहे। सवाल यह भी उठता है कि जब एक सेना के जवान का घर सुरक्षित नहीं, तो फिर आम आदमी किस पर भरोसा करे?
कटनी में बढ़ रही आपराधिक घटनाएं केवल चोरी की isolated वारदात नहीं हैं, बल्कि यह एक गहरी समस्या का संकेत हैं। अगर समय रहते इन पर अंकुश नहीं लगाया गया तो कटनी का नाम अपराधियों के सुरक्षित अड्डे के रूप में दर्ज हो जाएगा। यह न केवल जिले की छवि के लिए घातक होगा बल्कि निवेश, व्यापार और आमजन की सुरक्षा के लिए भी गंभीर चुनौती बनेगा। सवाल अब भी वही है-क्या पुलिस सिर्फ घटनाओं के बाद औपचारिकता निभाती रहेगी या फिर अपराधियों के हौसले पस्त करने के लिए ठोस कदम उठाएगी?
कटनी।। जिले में आपराधिक घटनाओं पर लगाम कसने में पुलिस नाकाम साबित होती दिख रही है। लगातार चोरी, लूट और अन्य वारदातें इस ओर इशारा कर रही हैं कि अपराधियों के हौसले बुलंद हैं और कटनी अब उनके लिए सुरक्षित अड्डा बनता जा रहा है। बीते कुछ दिनों पहले ही दद्दाधाम कॉलोनी में नकाबपोश गिरोह ने सेना के जवान के सूने मकान को निशाना बनाया था। वहीं अब जिले की सबसे बड़ी चोरी की घटना सामने आई है। कोतवाली थाना क्षेत्र के गांधीगंज में सोमवार को अज्ञात चोरों ने ट्रांसपोर्ट व्यवसायी अनिल जैन के मकान में सेंध लगाकर लगभग 50 से 60 लाख की चोरी कर डाली।
जानकारी के अनुसार, अनिल जैन अपने परिवार सहित सागर रिश्तेदारी में गए हुए थे। इस बीच चोरों ने सूने घर को निशाना बनाया और 5 से 6 लाख रुपये नगद, करीब 30 तोला सोना लगभग 30 लाख रुपये कीमत , तथा 5 किलो चांदी के जेवर चुराकर ले गए। घटना की जानकारी सुबह पड़ोसियों को हुई, जिसके बाद इलाके में सनसनी फैल गई। सूचना मिलते ही कोतवाली पुलिस मौके पर पहुंची। डॉग स्क्वॉड और फिंगरप्रिंट एक्सपर्ट की टीम भी जांच में जुट गई। नगर पुलिस अधीक्षक नेहा पच्चीसिया और थाना प्रभारी अजय सिंह ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया।
अपराधियों के बढ़ते हौसले और पुलिसिया कार्यप्रणाली पर सवाल
जिले में आए दिन हो रही आपराधिक घटनाएं इस बात का संकेत दे रही हैं कि अपराधी अब बेखौफ होकर वारदातों को अंजाम दे रहे हैं और आसानी से जिले की सीमाओं के बाहर निकल जाते हैं। पुलिस की गश्त व्यवस्था और अपराध नियंत्रण की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं। लोगों का कहना है कि पुलिस सिर्फ वारदात के बाद औपचारिक जांच तक सीमित रह जाती है, लेकिन चोरी और अन्य अपराधों पर अंकुश लगाने में नाकाम है। लगातार बड़ी घटनाओं के बाद भी अपराधियों का सुराग न लगना स्थानीय लोगों में असुरक्षा की भावना को बढ़ा रहा है।
शहरवासियों का कहना है कि यदि इसी तरह अपराधियों को खुली छूट मिलती रही, तो हालात और गंभीर हो सकते हैं। आम नागरिक अब अपने घरों और व्यवसाय की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। लोगों का यह भी मानना है कि पुलिस को न केवल अपनी गश्त और चौकसी बढ़ानी चाहिए, बल्कि संगठित अपराधियों के नेटवर्क को तोड़ने के लिए ठोस रणनीति बनानी होगी।