खादी ने लांघी मर्यादा: जुगाड़ के खातिर उतरे सड़क पर

भाजपा के बाद सोमवार को कांग्रेस विधायक ने रोके वाहन
…तो जुगाड़ के खातिर नेता रोक रहे खनिज के वैध वाहनों को
रेत के खेल से नेतागिरी चमकाने से बिगड़ी जिले की फिजा
(सीताराम पटेल)
अनूपपुर/ शहडोल। नेतागिरी चमकाने और रेत के खेल में जुगाड़ ढूंढने में इनदिनों दोनों ही प्रमुख राजनैतिक दलों के नुमाईंदो ने पूरी ताकत झोंक दी है, हालात इतने बदतर हैं कि अवैध खनन व परिवहन की बात तो दूर, धन व बाहूबल दिखाने के फेर में अब खादीधारी वैध वाहनों को रोकने और चालकों के साथ मारपीट करने में भी कोई परहेज नहीं कर रहे हैं। इस मामले में भले ही खनिज व राजस्व के जिम्मेदार हो-हल्ले के बाद वाहनों को वैध बताकर छोड़ रहे हैं, लेकिन कहीं न कहीं जिले में पनप रही इस तरह की संस्कृति दशकों से सौहार्दपूर्ण रहे जिले के वातावरण को दूषित कर रही है, इस संदर्भ में कलेक्टर सहित पुलिस अधीक्षक सहित संभ्रांतो ने यदि गंभीरता से नहीं लिया तो, इसके परिणाम खादीधारियों, कारोबारियों के साथ ही आमजनता को भी भुगतना पड़ेगा।
यह तो गुण्डागर्दी है
18 जून की सुबह करीब 10 बजकर 10 मिनट पर कोतमा तहसील के समीप पार्षद देवशरण व भाजपा के मण्डल उपाध्यक्ष आशुतोष सराफ ने मार्ग से गुजर रहे रेत से लदे दो ट्रैक्टरों को रोका, हालाकि भारतीय जनता पार्टी सहित पार्षद की कुर्सी या फिर देश के संविधान में तथाकथित दोनों नेताओं व उनके साथियों को इस तरह वाहन को रोकने और जांच करने के कोई वैध अधिकार नहीं दिये हैं, लेकिन सत्ता के नशे में डूबने के बाद जुगाड़ और नेतागिरी चमकाने के फेर में इन्होंने वाहन रोक लिये और पैरीचुआ निवासी नकुल विश्वकर्मा पिता बंधु विश्वकर्मा व अंगत सिंह पिता छोटेलाल सिंह से परिवहन के दस्तावेज मांगे, मोबाइल छुड़ाया और गाली-गलौज करते हुए मारपीट की, इसके बाद इसकी सूचना पुलिस सहित राजस्व व खनिज अमले को दी।
वैध निकले दोनों वाहन
नेताओं के सूचना पर थाना प्रभारी आर.के.बैस 10 बजकर 30 मिनट पर स्टॉफ सहित मौके पर पहुंचे, थोड़ी देर बाद तहसीलदार मनीष शुक्ला भी यहां पहुंचे, इस दौरान वाहन मालिक मनीष गोयनका सूचना मिलने पर वहां पहुंचे, वाहन चालकों की मोबाइल पर ईटीपी के मैसेज नहीं थे, लेकिन जांच के दौरान यह बातें सामने आई कि दोनों ही वाहनों के क्रमश: 9 बजकर 20 मिनट और 9 बजकर 30 मिनट पर ईटीपी काटी गई थी, सर्वर की दिक्कत के कारण मैसेज मोबाइल तक नहीं पहुंचा था, रेत गुलीडांड खदान से लाई जा रही थी। भाजपा नेता वाहन पर कार्यवाही को अड़े रहे, मामला कलेक्टर तक पहुंचा, अधिकारियों ने बिना कोई कार्यवाही किये ही, वाहन मालिक से निवेदन कर, मामले की शांति के लिए खनिज टीम के आने तक वाहन समीप ही तहसील परिसर में सहमति से खड़े करवा दिये।
वैध थी रेत, दी शिकायत
18 जून की दोपहर खनिज की टीम कोतमा पहुंची और दोनों चालकों के बयान दर्ज किये गये और वाहन खड़ा करवाने के समय बनाये गये वीडियो का समय, अधिकारियों को शिकायत करने का समय, ईटीपी जनरेट होने के समय से मिलान की गई, तो इस बात की पुष्टि हुई कि खदान से रेत लोड होकर ईटीपी के साथ बाहर निकली थी और सर्वर की दिक्कत के कारण मैसेज मोबाइल पर नहीं था, इस मामले में वाहन मालिक ने खनिज विभाग को खुद शिकायत देकर जांच की मांग की। वहीं तथाकथित दोनों नेताओं के खिलाफ खुद व वाहन चालकों के माध्यम से पुलिस में भी शिकायत देने की बातें सामने आई।
जुगाड़ में कांग्रेस भी नहीं पीछे
सोमवार की दोपहर कांग्रेस के जिलाध्यक्ष और पुष्पराजगढ़ से विधायक फुन्देलाल सिंह ने भी भाजपा नेताओं के तर्ज पर ही जैतहरी थाना क्षेत्र अंतर्गत रेत से लदे 4 वाहनों को मुख्य मार्ग पर खड़ा करा दिया और समर्थकों सहित सड़क पर बैठ गये। इस संदर्भ में रेत खदान के संचालकों ने मौके पर विधायक व उनके साथियों को ईटीपी उपलब्ध कराई, जिसके बाद विधायक वाहनों को रोकने और कार्यवाही की मांग करने के लिये नये-नये बहाने ढूंढते नजर आये। विधायक की शिकायत पर पुलिस-प्रशासन व खनिज की टीम मौके पर पहुंची, जैतहरी से राजेन्द्र्रग्राम के लिये काटी गई ईटीपी और वाहनों में लदी रेत के सभी दस्तावेज जब वैध पाये गये तो, कांग्रेस नेता वाहनों का वजन कराने के लिए अड़ गये।
किसने दे दिये वाहनों को रोकने के अधिकार
प्रदेश सरकार को सबसे अधिक राजस्व देने वाले खनिज विभाग के माध्यम से अधिकृत खदानों से रेत के खनन व परिवहन में दौड़ रहे वाहनों को रोकने के अधिकार नेताओं को आखिर किसने दे दिये, प्रदेश सहित जिले में जब से रेत की खदानों की नीलामी के दाम लाखों से करोड़ों में गये, तभी से नेताओं और छुटभैय्यों के लिए रेत के कारोबारी जुगाड़ का जरिया बन गये हैं, जिला प्रशासन सहित प्रदेश सरकार को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए, जिससे आने वाले दिनों में किसी अप्रिय घटना से बचा जा सके। दोनों ही घटनाओं को लेकर भाजपा और कांग्रेस के नेता इन दिनों सुर्खिया बटोर रहे हैं, चर्चा यह भी है कि जब खनिज, पुलिस व राजस्व का काम नेता सम्हाल कर, बिना वेतन के गाडिय़ों की जांच करने को खुद आगे आ रहे हैं तो, इन महकमों को तो, बंद ही कर देना चाहिए।