विंध्य के सिमौर बनकर उभरे खेलावन

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आज और कल शहडोल में रहेंगे पालक मंत्री

भाजपा सहित प्रशासन ने स्वागत में झोंकी ताकत

शहडोल। संघर्षाे के साये में असली आजादी पलती है, इतिहास उधर मुड़ जाता है, जिस ओर जवानी चलती है, 80 के दशक में महज 18 वर्ष की उम्र में समाज को एक नई दिशा देने के लिए पत्रकारिता को अपना जुनून बनाने वाले राम खेलावन पटेल ने लगातार 40 वर्षाे के संघर्षाे के बाद यह साबित कर दिया कि युवा अगर चाह ले तो, इतिहास को मोडऩा असंभव नहीं है। शहडोल के पालक मंत्री के 4 दशकों के समाज सेवा के सफर ने आज उन्हें उनकी मंजिल तक पहुंचा दिया है। 2 जुलाई 2020 को शिवराज सिंह चौहान ने जब प्रदेश की कमान चौथी बार सम्हाली तो, मंत्रियों के शपथ लेने से पहले इस बात की कशमकश थी कि ज्योतिरादित्य के खेमे से इस्तीफा देकर आये पूर्व मंत्रियों को मंत्री पद देने के बाद शेष बचे पदों में किन-किन को शामिल किया जायेगा।
सबकी पसंद थे खेलावन
विंध्य क्षेत्र से कद्दावर नेताओं की कमी नहीं थी, लेकिन शिवराज सहित भाजपा व संगठन के अलावा संघ मु_ी भर मंत्रियों में इस तरह से संतुलन बनाकर नाम सामने लाने की तैयारी में था, जिससे हर वर्ग व हर क्षेत्र को प्रतिनिधित्व मिल सके। हालाकि सतना सांसद गणेश सिंह की नजदीकियों से राम खेलावन पटेल को फायदा मिलने की उम्मीद तो थी, लेकिन विंध्य क्षेत्र में दिग्गज नेताओं का प्रदेश की सत्ता में दखल और कई के शिवराज के करीबी होने के कारण खुद रामखेलावन पटेल कशमकश में थे।
अमरपाटन ने दिया विंध्य का नेता
शिवराज सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर भोपाल से दिल्ली तक चली खींचतान में अमरपाटन क्षेत्र ने एक बार फिर बाजी मार ली है। मंत्री पद के स्वाभाविक तौर पर दावेदार माने जा रहे विंध्य क्षेत्र के दिग्गज नेता पीछे रह गए हैं और अमरपाटन से दूसरी बार विधायक बने राम खेलावन पटेल राज्य मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री की शपथ लेने वालों की सूची में शुमार हो गए हैं। यह पहली बार नहीं है जब अमरपाटन क्षेत्र को प्रदेश मंत्रिमंडल में जगह मिली हो। इसके पूर्व बैरिस्टर गुलशेर अहमद, रामहित गुप्ता और राम खेलावन पटेल से दो बार पराजित हो चुके कांग्रेस के डॉ. राजेंद्र कुमार सिंह भी मप्र की कैबिनेट में विंध्य और सतना जिले का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। बैरिस्टर गुलशेर अहमद ने अमरपाटन से मंत्री बनकर हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल तक का सफर तय किया। जबकि डॉ. राजेंद्र कुमार सिंह मप्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर भी बने। अब अमरपाटन को छठवीं बार यह गौरव राम खेलावन पटेल के राज्यमंत्री बनने से प्राप्त हुआ है।
संघर्ष भरा रहा जीवन
1980 में एक अखबार के अमरपाटन संवाददाता और एजेंट के रूप में अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत करने वाले रामखेलावन पटेल प्रदेश के राज्यमंत्री बन गए हैं। अमरपाटन से 10 किलोमीटर समीप उमरी शिवराजी गांव के मूल निवासी रामखेलावन का जीवन संघर्षपूर्ण रहा है। अमरपाटन में स्व. सुखलाल के साथ बहुजन समाज की अलख जगाने में रामखेलावन का बड़ा योगदान रहा है। बहुजन समाज पार्टी की टिकट से उन्होंने दो-तीन बार चुनाव लड़ा। अमरपाटन के सतना रोड चौराहे में मेडिकल दुकान, एलआइसी एजेंट और साथ-साथ तहसील में वकालत करके रामखेलावन ने अमरपाटन की जनता के बीच अपनी पैठ बनाई और राजेंद्र कुमार सिंह जैसे कद्दावर कांग्रेसी नेता को राजनीति में पीछे ढकेलने में सफल रहे। तीन बच्चियों के पिता रामखेलावन ने पिछले जनपद चुनाव में अपने अनुज विजय की पत्नी तारा पटेल को अध्यक्ष बनाने में सफलता हासिल की। जिससे ग्रामीण विकास के कामकाजों में उनका प्रभाव निरंतर बना रहा। भाजपा में आने के बाद सतना सांसद गणेश सिंह ने भी उन पर हाथ रख दिया और वे मंत्री बन गए।
विंध्य से कई थे दावेदार लेकिन सब दरकिनार
विंध्य क्षेत्र से मंत्री पद के कई दावेदार थे। पूर्व मंत्री एवं रीवा विधायक राजेंद्र शुक्ला को जहां सबसे प्रबल दावेदार माना जा रहा था, वहीं नागौद क्षेत्र से विधायक पूर्व मंत्री नागेंद्र सिंह का भी नाम दौड़ में तेजी से शामिल था। इसके अलावा सीधी के विधायक केदारनाथ शुक्ला, चुरहट विधायक शारतेंदु तिवारी भी दावेदारों में शुमार थे।
दूसरी बार विधायक हैं राम खेलावन
मंत्री बनकर विंध्य और सतना के विधायकों से आगे निकल गए राम खेलावन पटेल सतना जिले की अमरपाटन सीट से दूसरी बार विधायक हैं। उन्होंने वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस के कद्दावर नेता, पूर्व मंत्री और प्रदेश विधानसभा के डिप्टी स्पीकर रहे डॉ. राजेंद्र कुमार सिंह को पराजित किया था। बसपा से भाजपा में आए 56 वर्षीय विधायक रामखेलावन पटेल कॉमर्स से स्नातकोत्तर तथा विधि से स्नातक हैं। उनके खिलाफ एक आपराधिक प्रकरण भी विचाराधीन है। उनका विवादों से भी नाता रहा है। रामनगर नगर पंचायत के डंडामार अध्यक्ष को लेकर सुर्खियों में रहे अमरपाटन विधायक पटेल कभी अपनी विधायक निधि के इस्तेमाल तो कभी उनके नजदीकियों के कामकाज को लेकर चर्चा में आते रहे हैं। पटेल समाज को प्रतिनिधित्व देने के लिहाज से उन्हें मंत्रिमंडल का हिस्सा बनाया गया है।

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