जानिए किस निकाय में कौन और कैसे बना अध्यक्ष : कौन है इस जीत के असली रणनीतिकार

शहडोल। धनपुरी में 10 सालों बाद तो, बकहो में पहली बार और ब्यौहारी व खांड में लगभग 7 साल बाद निकाय के चुनाव हुए और तमाम विरोधों के बावजूद भाजपा ने फिर यहां अपना झण्डा गाड दिया, जिले के बड़े निकायों में शुमार धनपुरी में तीसरी बार भाजपा ने परिषद पर कब्जा किया, हालाकि पार्टी को मतदान के दौरान न सिर्फ मिले मतों का प्रतिशत कम हुआ, बल्कि 28 में 9 पार्षद जीते थे, लेकिन भाजपा यहां जीतने में सफल रही, बकहो में भाजपाईयों ने संगठन के खिलाफ झण्डा उठाया, भाजपा दो फाड़ो में बटी, यहां भले ही कमल प्रताप चुनाव हार गये, लेकिन भाजपा चुनाव जीत गई। खांड में भाजपा के कम पार्षद होने के बाद भी निर्दलीय सुशीला सिंह व अन्य की परेड बुढ़ार के राजा सरावगी ने भोपाल में करवाई थी, यहां इसी वजह से भाजपा का झण्डा लहराया, वहीं ब्यौहारी में भी श्रीकृष्ण राजन गुप्ता राजा सरावगी के मार्गदर्शन में निर्दलीय और कांग्रेस के सहारे भाजपा को जीत दिलाने में सफल रहे।
यह रही चारों निकायों की स्थिति
जिले के धनपुरी नगर पालिका में अध्यक्ष पद के लिए श्रीमती रविन्दर कौर छाबड़ा को 28 मतों में से 16 मत मिले, कांग्रेस के शोभाराम पटेल को 11 मत मिले, जबकि 1 मत रिजेक्ट हो गया, वहीं उपाध्यक्ष पद के लिए कांग्रेस के हनुमान खण्डेवाल को 16 मत मिले और भाजपा के आनंद कचेर को 10 तथा 2 मत रिजेक्ट हुए। ब्यौहारी में श्रीकृष्ण राजन गुप्ता को अध्यक्ष पद के लिए 8 मत मिले और निर्दलीय मालती रमेश चमडिय़ा को 7 मत मिले, वहीं उपाध्यक्ष पद के लिए वार्ड नंबर 6 से जीत कर आई निर्दलीय चन्द्रकली पटेल को 8 मत और वार्ड नंबर 13 से जीतकर आये संजू शुक्ला को 7 मत मिले हैं। इसी तरह बकहो में मौसमी केवट जिन्होंने भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव लड़ा, उन्हें अध्यक्ष पद के लिए 9 मत मिले, वहीं रेखा महेन्द्र सिंह भाजपा को 6 मत मिले, उपाध्यक्ष पद के लिए भाजपा के घोषित प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरे वैभव विक्रम सिंह को 8 मत मिले, वहीं बृजकिशोर यादव को 7 मत मिले। नगर परिषद खांड में निर्दलीय चुनाव जीतने के बाद भाजपा में शामिल हुई सुशीला सिंह को 7 मत मिले, जबकि विपक्ष की सरिता सिंह को 6 वोट ही मिले। यहां उपाध्यक्ष का चुनाव सुधा रजक ने निर्विरोध जीता। इनके खिलाफ प्रियंका शिल्लू सिंह ने पर्चा भरा था, लेकिन बाद में उन्होंने पर्चा वापस ले लिया।
खसक गये कांग्रेस के आधे वोट
धनपुरी में कांग्रेस को नगर की सत्ता के लिए जनता ने बहुमत दिया था, लेकिन सरकार बनने से पहले ही बिक गई, चुनकर आये 13 पार्षदों में से आधे पार्षद बिक गये, यह खबर है कि यहां निर्दलियों ने सत्ता परिवर्तन के लिए कांग्रेस को समर्थन दिया, लेकिन कोयलांचल के राजनीति के चाणक्य इन्द्रजीत सिंह छाबड़ा ने अकेले ही कांग्रेस को हार की ओर धकेल दिया और उनके खास माने जाने वाले धनपुरी नगर पालिका के सीएमओ रविकरण त्रिपाठी ने कांग्रेस के खेमें में ऐसी सेंध लगाई की, जिला संगठन के न चाहते हुए भी इस जोड़ी भाजपा के गढ़ को बचा लिया। कांग्रेसियों ने यहां खुद भाजपा को अध्यक्ष की कुर्सी तस्तरी में परोस कर दे दी।
बकहो में भी हारा भाजपा संगठन
जिले की नवगठित बकहो में भी भाजपा का संगठन और उसकी रणनीति पूरी तरह विफल रही, भले ही पार्टी के जिलाध्यक्ष धनपुरी और बकहो में जीत का श्रेय अपने सर ले रहे हों, लेकिन हकीकत यह है कि यहां जिस गुट को संगठन ने किनारे किया था, उसने आधी जगह होने के बावजूद भाजपा को पूरी जगह दिला दी और चुनाव हारने के बाद भी जीते हुए प्रत्याशियों ने भाजपा के प्रति अपनी आस्था दिखाई। चुनाव नतीजों के बाद से ही यहां हावी ठाकुरवाद और प्रदेशवाद से स्थानीयवाद की लड़ाई खुलकर दिख रही थी, जिसमें भाजपा के दूसरे गुट की अगुवाई करते हुए कैलाश विश्नानी, विधायक मनीषा सिंह, सतीश तिवारी ने बागियों को बाहर नहीं जाने दिया, बल्कि ऐसी स्थिति निर्मित कर दी कि चुनाव से पहले ही कांग्रेस बाहर हो गई और भाजपा के दोनों हाथों में लड्डू नजर आने लगे।
ब्यौहारी-खांड में बढ़ा राजा का कद
लगभग 4 साल पहले विधानसभा चुनावों में भाजपा नेता राजा सरावगी ने भाजपा से बागी हुए वीरेश सिंह रिंक्कू गुट के प्रभाव वाले क्षेत्र से भाजपा का विधायक बनाने में सफलता पाई थी, बीते माह हुए जिला पंचायत के चुनाव में भी राजा सरावगी और उसके साथ शरद कोल, कमल प्रताप सिंह ने भाजपा को निर्विरोध जीत दिलवाई थी, जिपं के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पर भाजपा का कब्जा होने के बाद ब्यौहारी विधानसभा के खांड और ब्यौहारी निकायों में भाजपा में हुई फूट के बावजूद सोमवार को हुए चुनावों में दोनों ही निकायों में राजा सरावगी के साथ भाजपा जिला संगठन की रणनीति सफल रही और यहां पुन: भाजपा का परचम लहराया।