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चार गुर्गाे की भेंट चढ़ाकर सुमित को किया किनारे

विवेचना के नाम पर छग के शराब कारोबारी को तस्करी की छूट

शहडोल। 22 अक्टूबर को फुनगा पुलिस ने अवैध शराब की खेप पकड़ी थी, पुलिस के द्वारा जारी किये गये प्रेस नोट में यह दावा किया गया कि 60 लीटर अवैध शराब जिसकी कीमत 30 हजार 500 रूपये हैं, उसे 4 युवक छत्तीसगढ़ ले जा रहे थे, यह अवैध शराब कहां से आई थी, जिस वाहन में शराब लदी पाई गई, वह वाहन भाड़े का था या फिर जिसकी शराब थी, उसी का वाहन था, इन बिन्दुओं को पुलिस ने विवेचना में ले लिया और 4 युवक जिसमें भगौती सिंह, संतोष सिंह, सचिन एवं आनंद निवासी अनूपपुर बताये गये, इनके खिलाफ आबकारी एक्ट के तहत 34/2 का आरोप कायम करके पुलिस ने यह साबित कर दिया कि उसकी कार्यवाही बिल्कुल साफ-सुथरी है। जबकि पुलिस ने इस मामले में शराब ठेकेदार के साथ मिलकर अंदर ही अंदर बड़ा खेल कर दिया।
यह है अंदर का सच
फुनगा पुलिस ने जिस शराब की खेप को पकड़ा वह अनूपपुर मुख्यालय स्थित शराब दुकान से छत्तीसगढ़ के चिरमिरी के लिए जा रही थी, पुलिस ने कार्यवाही के दौरान 60 लीटर शराब जब्त करने का दावा किया, जो महज 5 से 6 पेटी के आस-पास होती है। सूत्रों पर यकीन करें तो, वाहन में 40 पेटी शराब लदी हुई थी, जो कि लगभग 480 लीटर के आस-पास होती है, 420 लीटर शराब चार सौ बीसी की भेंट चढ़ गई। पुलिस ने कार्यवाही कर वाह-वाही बटोरी और उसने जिस बुलेरो वाहन में शराब पकड़ी उसी वाहन क्रमांक सीजी 15 सीएल 8802 जो अनूपपुर मुख्यालय के शराब ठेकेदार सुमित जायसवाल के नाम पर रजिस्टर्ड है। उसे बिल्कुल किनारे कर दिया।
बैच नंबर की भी जांच नहीं
फुनगा पुलिस ने देश-भक्ति और जनसेवा के नारे को किनारे करते हुए एक बार फिर वर्षाे पहले की चचाई थाने वाली कहानी को दोहराया है। खुलेआम न सिर्फ ठेकेदार को छूट देने के लिए वाहन के मालिकान को भी कार्यवाही में शामिल नहीं किया गया, यही नहीं जब्त की गई शराब के बैच नंबर और शराब कहां से उठाई गई, इन बिन्दुओं पर भी कोई जांच या कार्यवाही करना मुनासिब नहीं समझा।
सुमित को किया कार्यवाही से बाहर
फुनगा चौकी प्रभारी ने कार्यवाही के नाम पर खाना पूर्ति करते हुए और सुमन सिंह के लाखों के मैनेजमेंट ने ऐसा कारनामा किया कि रात की 1 बजे लगभग 35 पेटी माल को रातो रात गायब कर लाखों की डीलिंग करते हुए सुमन सिंह ने अपने मालिक के प्रति वफादारी दिखाते हुए एफआईआर से सुमित जायसवाल का नाम ही गायब करवाने में सफलता प्राप्त कर ली। और शायद अधूरी कार्यवाही करने के लिए प्रभारी ने भी गांधी की सफलता प्राप्त करते हुए मात्र 60 लीटर का ही केस बना पाए।
बड़े लोगों के लिए अलग कानून
युवा वर्ग को बर्बाद करने के लिए मानो सुमित ने ठान ली है, कई शहरों में रोजाना लाखों का अवैध शराब अपनी गाड़ी से भेज रहा है और पकड़े जाने पर अजब-गजब रीति से मुख्य आरोपी सुमित जयसवाल का एफआईआर से गायब हो जाता है, यह नियम कायदे कानून समझ के परे है, सूत्रों की माने तो एफआईआर में नाम न डालने की एवज में लाखों का सौदा हुआ है, गांधी के फेर में सारे नियम कायदे कानून बदल दिए गए, शायद हो सकता है बड़े लोगों के लिए एक अलग ही कानून बना हो, लेकिन आम लोगों में भारी चर्चा का विषय बना हुआ है।
इनका कहना है…
शराब अनूपपुर की है, गाड़ी किसकी है पता नहीं है, यह तो आरटीओ बतायेंगे, बैच नंबर आबकारी विभाग बतायेगा, इसके बाद ही ठेकेदार को आरोपी बनाया जा सकता है।
हरिशंकर शुक्ला
चौकी प्रभारी, फुनगा
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जब इस संबंध में अनूपपुर पुलिस अधीक्षक से बात करने का प्रयास किया तो, उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।
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मैं तत्काल पुलिस अधीक्षक को बोलता हूं, आप उनसे बात कर लीजिए।
जी. जनार्दन
उपपुलिस महानिदेशक, रेंज शहडोल

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