भू-माफिया ने 162 खसरा नंबरों पर किये हजारों बटांक  प्रमाणित अवैध प्लाटिंग के मामलों में भी प्रशासन की चुप्पी

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कायदों को रौंद नौकरशाहों ने भू-माफियाओं को पहुंचाया लाभ 
भू-माफिया पर कार्रवाई के लिए शासन भले ही सख्त हो, लेकिन प्रशासन मेहरबान है, जिला मुख्यालय से लेकर आस-पास सटे ग्रामों में कृषि भूमि पर अवैधहजारों कॉलोनियां काटी जा रही हैं। भू-माफिया शासन के नियमों को ताक पर रख कर कृषि भू-खण्ड को छोटे-छोटे खंड में बांट कर अवैध कालोनियों का कारोबार कर रहे हंै। राजधानी से आदेश के बावजूद जिले में बैठे जिम्मेदार पता नहीं अवैध प्लाटिंग के विरूद्ध कब नारियल फोड
उमरिया। संभागीय मुख्यालय सहित पड़ोसी जिले उमरिया, अनूपपुर में कृषि भूमि पर अवैध प्लाटिंग का कारोबार रजिस्टार कार्यालय के संरक्षण में जमकर फल-फूल रहा है, बीते दिनों पड़ोसी जिले कटनी में अवैध प्लाटिंग के विरूद्ध जिला प्रशासन ने सख्त कार्यवाही करते हुए एफआईआर के साथ ही अवैध प्लाटिंग पर भवन निर्माण में प्रतिबंध लगाया है, लेकिन उमरिया जिले में प्रमाणित अवैध प्लाटिंग के मामलों में भी जिला प्रशासन चुप्पी साधे बैठा है, हालाकि इस अवैध प्लाटिंग के कारोबार की छूट रजिस्टार कार्यालय से मिलती है,  इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। कायदों के अनुसार एक खसरे नंबर 3 से अधिक बटांक नहीं किये जा सकते, लेकिन कृषि भूमि पर दर्जनों बटांक रजिस्टार कार्यालय से हो रहे है, लेकिन पूरा प्रशासनिक अमला चुप्पी साधे बैठा है।
अंजान बनने का नाटक
रजिस्ट्रार कार्यालय के कर्मचारियों और भू-माफिया की मिलीभगत से रिकॉर्ड रूम के अंदर भी  खेल किया जा रहा है, चर्चा है कि रिकार्ड रूम से भू-माफियाओं द्वारा दस्तावेज में हेरफेर कराया जा रहा है, जिला मुख्यालय उमरिया में 15, लालपुर के 42, खलेसर के 3 ,उमरिया तनाजा के 2 ,छटन कैम्प के 18, विकटगंज के 43, भरौली वीरान के 19 , चंदवार के 8 ,उजनिया के 12 खसरे हैं, इन सभी 162 खसरों पर कुल 3561 प्लाट काटे गए हैं, आम लोगों को अवैध प्लाटिंग की जानकारी है, लेकिन जिम्मेदार कुर्सी पर बैठे लोग अवैध प्लाटिंग के मामलों में या तो शिकायतों के इंतजार में रहते हैं या फिर अंजान बनने का नाटक करते हैं।
पहुंचा दिया जाता है नजराना
एक ओर वर्तमान मोहन सरकार अवैध कालोनी को वैध न करने के साथ ही अवैध कालोनी काटने वालों पर एनएसए लगाने की बाते कर रही है, वहीं दूसरी ओर जिला मुख्यालय में रजिस्ट्रार कार्यालय के मुखिया मुख्यालय से सटे क्षेत्रों में कृषि भू-खण्ड पर प्लाटिंग करने वालों को गोद में बैठाकर धड़ल्ले से कृषि भू-खण्ड के टुकड़े कर रहे हैं, 162 खसरों पर कुल 3561 प्लाट काटे गए हैं, इसकी जानकारी आम लोगों को हैं, लेकिन जिम्मेदार इससे बेखबर हैं। भू-माफिया जिले में इतने हावी है कि वह अब सिस्टम में घुस चुके हैं। हर प्लाटिंग पर राजस्व विभाग सहित अन्य विभागों का भी कमीशन तय है, इसके लिए बकायदा भू-माफिया प्लाट की रजिस्ट्री होते ही नजराना पहुंचा देते हैं।
हो सकता है बड़ा खुलासा
हर किसी का एक सपना होता है कि उनका स्वयं का एक अच्छा, सुविधानुसार मकान हो, लेकिन 162 खसरों पर 3561 प्लाट में जिन लोगों ने जमीने खरीदी है, उसमें कई शासकीय कर्मचारियों के रिश्तेदार भी है, इसके अलावा व्यापारी भी है, जानकारों की माने तो शासकीय कर्मचारी को खुद या अपने परिवारजन के नाम पर जमीन खरीदने से पहले विभागीय अनुमति लेनी होती है, जिला प्रशासन अगर इस तरफ भी कदम उठा ले तो, बड़ा खुलासा हो सकता है, इसके अलावा खरीददारों की आय का श्रोत क्या है, इस ओर भी ध्यान देना चाहिए, चर्चा है कि उक्त कृषि भू-खण्ड को कालरी से पास दिखाकर एक ही परिवार के कई सदस्यों के नाम पर रजिस्ट्रियां करवाई गई है, अगर निष्पक्ष जांच हुई तो, कई ऐसे व्यक्ति सामने आयेंगे, जिन्होंने अपनी काली कमाई अवैध प्लाटिंग में निवेश की है।
जिम्मेदार करते है जेबें गरम
जिला मुख्यालय सहित से ग्रामीण क्षेत्र में भू-माफिया के साथ मिलकर कृषि भू-खण्ड खुर्द-बुर्द किया गया है, इसके बाद विद्युत विभाग के जिम्मेदारों से सांठ-गांठ कर विद्युत पोल गड़वाये गये, इसके बाद प्लाटिंग कथित भू-माफिया द्वारा की गई, कुछ लोगों ने घर भी बना लिये, वैसे अगर आपको शहर के घर में लाईट लगवानी है तो, तमाम नियम कानून आपको बता दिये जायेंगे, लेकिन अवैध प्लाटिंग पर लगे ट्रांसफार्मर से ही लाईट अवैध कालोनी में पहुंच रही है, चर्चा है कि न तो विभाग ने दस्तावेज देखे और न ही किसी प्रकार की अनुमति के दस्तावेज ही मांगे। इससे साफ जाहिर होता है कि विद्युत विभाग में बैठे जिम्मेदारों ने भी समय-समय पर अपनी जेबें गरम की है।

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