Live Video…..टीशर्ट-नेकर में सायकल पर निकले एसपी @ ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी ही कहा गए धोखा

जब सायकल से सड़क पर निकले कप्तान
टटोली व्यवस्था की नब्ज, आमजनों का सुरक्षा कवच बनकर बदली छवि
(अनिल तिवारी)
शहडोल। बुधवार की सुबह लगभग 8.15 का समय होगा चेहरे पर मॉस्क लगाये नेकर और टी-शर्ट में सायकल पर घूमते हुए शख्स को जब यातायात विभाग के आरक्षक ने देखा तो, सहसा वह उसे पहचान न सका, साथ में रहे अपने वरिष्ठ अधिकारी से उस शख्स को रोककर घूमने का सबब पूछना चाहा, लेकिन अधिकारी के ”न ÓÓके इशारे से आरक्षक दूसरे काम में लग गया। सायकल जब 8.25 पर इन्द्रा चौराहे पहुंची तो, वहां कोतवाली प्रभारी रावेन्द्र द्विवेदी अन्य मातहत कर्मचारियों के साथ ड्यिुटी पर थे, जयस्तंभ चौक से होती हुई सायकल गांधी चौराहे से इन्द्रा चौक पहुंची, तीनों चौराहों पर पुलिस के कर्मचारी अपनी ड्यिुटी पर तैनात थे, चॉक-चौबंद व्यवस्था देखकर इन्द्रा चौराहे पर जब सायकल सवार ने अपना मॉस्क उतारा तो, वहां मौजूद हर वर्दीधारी माइक-1 को सामने देखकर चौंक गया।
50 वें दिन भी पहले दिन जैसी मुस्तैदी
पुलिस अधीक्षक सतेन्द्र शुक्ला द्वारा सायकल पर सुबह 8 से 8.30 के बीच किये गये इस सरप्राइज विजिट की जब जानकारी अन्य चौराहों पर तैनात पुलिस कर्मियों को लगी तो, सब पहले से और ज्यादा चौकन्ने नजर आये। कप्तान के इस सरप्राइज विजिट की चर्चा पूरे पुलिस महकमें और शहर में अगले कुछ घंटों में फैल गई। इस संबंध में पुलिस अधीक्षक से जब चर्चा की गई तो, उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि इस सरप्राइज विजिट में उनके मातहत सभी वर्दीधारी लॉक डाउन-1 के पहले दिन के जैसे ही बुधवार की सुबह को भी मुस्तैद नजर आये।
50 दिनों में बदल गई छवि
लॉक डाउन से पहले के माहों में जिले सहित प्रदेश व देश की पुलिस को लेकर आम लोगों में जिस तरह की भावना मन में घर कर चुकी थी, संक्रमण काल के इन 50 दिनों में यह भावना पूरी तरह पलट गई। स्वास्थ्य कर्मियों की तरह ही पुलिस महकमा भी कोरोना फाइटर्स के रूप में हर मौके पर आमजनों का सुरक्षा कवच बनकर नजर आया। शहर की आंतरिक व्यवस्था के साथ ही लॉ-एण्ड आर्डर व थानों की नित्य प्रक्रिया में भी इन्होंने अपनी सेवाएं देकर जनता के दिलों को जीत लिया, सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि जहां स्वास्थ्य विभाग को छोड़कर बाकी सभी विभाग, राजनैतिक दलों के अलावा अन्य दर्जनों संगठन, व्यापारी, छात्र, आमजन इस दौरान घरों में कैद थे, उस दौरान वर्दीधारियों की समस्त छुट्टियां रद्द कर इनसे पूरे दिनों सेवाएं ली गई।