जल्द मिल सकता है मध्यप्रदेश भाजपा को नया प्रदेश अध्यक्ष

हेमंत खंडेलवाल के नाम पर लग सकती है मोहर
(संजीव दुबे+919981665579)
भोपाल। मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी को जल्द नया प्रदेश अध्यक्ष मिल जाएगा। करीब 10 महीने से चल रही चर्चा और अंदरूनी मंथन के बाद यह फैसला अंतिम चरण में पहुंच गया है। भाजपा के केंद्रीय चुनाव अधिकारी और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के भोपाल आने के बाद नामांकन प्रक्रिया शुरू होगी। 02 जुलाई को नए अध्यक्ष के नाम की औपचारिक घोषणा की जाएगी। बैतूल से विधायक और पूर्व सांसद हेमंत खंडेलवाल का नाम अब सबसे प्रमुख दावेदार के रूप में उभरा है। उन्हें संगठन से जुड़े वरिष्ठ नेताओं, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और पार्टी के प्रमुख चेहरों का समर्थन मिल रहा है। हेमंत खंडेलवाल की राजनीतिक पृष्ठभूमि भी मजबूत मानी जा रही है। उनके पिता विजय खंडेलवाल भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे हैं, जिससे संगठन में उनका जुड़ाव और भरोसा काफी पुराना है। श्री खंडेलवाल का संघ से जुड़ाव और उनका साफ-सुथरा राजनीतिक रिकॉर्ड उन्हें अन्य दावेदारों से आगे बढ़ा रहा है। हेमंत खंडेलवाल का नाम लगभग तय माना जा रहा हैं। खंडेलवाल वर्तमान में प्रदेश भाजपा के कुशाभाऊ ठाकरे ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं।
हेमंत खंडेलवाल ने 2007 में पहली बार बैतूल लोकसभा उपचुनाव में जीत हासिल की थी। यह सीट उनके पिता विजय खंडेलवाल के निधन के बाद खाली हुई थी। 2009 में बैतूल लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हो गई, लेकिन श्री खंडेलवाल की भूमिका इसके बाद भी प्रभावशाली बनी रही। उन्होंने 2013 में विधायक के रूप में जीत दर्ज की, हालांकि 2018 में चुनाव हारे, 2023 में वह फिर से विधायक चुने गए।
श्री खंडेलवाल को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी सुरेश सोनी का करीबी माना जाता है। दिल्ली में हुए अंतिम दौर की चर्चा में सुरेश सोनी और डॉ. यादव दोनों ने ही हेमंत खंडेलवाल के नाम की जोरदार पैरवी की थी। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी उनके नाम पर सहमति जताई है। संघ और संगठन दोनों को भरोसा है कि हेमंत खंडेलवाल के नेतृत्व में सरकार और संगठन के बीच बेहतर तालमेल बना रहेगा।
प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए केंद्रीय मंत्री दुर्गादास उइके, लता वानखेड़े, नरोत्तम मिश्रा, अरविंद भदौरिया, बृजेंद्र प्रताप सिंह, अर्चना चिटनिस और गजेंद्र पटेल के नामों पर भी चर्चा में है। सूत्रों का कहना है कि अब औपचारिक एलान ही बाकी हैं।
पहली वजह- सियासी समीकरण
मध्यप्रदेश सरकार में मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और बैतूल से आदिवासी सांसद को केंद्र में भेजकर बीजेपी ने पहले ही सारे सियासी समीकरण साध लिए हैं। अब बीजेपी वैश्य जाति से आने वाले हेमंत खंडेलवाल को अध्यक्ष बनाकर सभी सियासी समीकरण पूरे करना चाहती है। खबरों की मानें तो प्रदेश अध्यक्ष के लिए हेमंत के नाम पर सीएम डॉ. मोहन यादव से लेकर संगठन और पार्टी में अंदरूनी तौर पर लगभग सबकी सहमति बन गई है। आज मंगलवार 1 जुलाई को मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से उनकी मुलाकात के बाद इसकी चर्चाएं और तेज हो गई हैं।
दूसरी वजह- साफ सुथरी छवि, सबकी सहमति
हेमंत खंडेलवाल संघ (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) के करीबी माने जाते हैं। मध्यप्रदेश की राजनीति में उनकी छवि स्वच्छ और साफ है। वैश्य वर्ग से आने वाले खंडेलवाल बैतूल विधानसभा सीट से बीजेपी के विधायक हैं।
तीसरी वजह- समन्वय बनाना चुनौती
बीजेपी के सूत्रों की मानें तो बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल का होता है। अगले तीन सालों में प्रदेश और देश में विधानसभा और लोकसभा का कोई चुनाव नहीं हैं। ऐसे में पार्टी वोटर्स के गणित से ज्यादा पार्टी में समन्वय बनाकर चलने वाले चेहरे को कमान देने की तैयारी में है। हेमंत खंडेलवाल को लाइमलाइट से दूर रहकर काम करने के लिए जाना जाता है।
चौथी वजह- वैश्य वर्ग को साधना
भारत देश में वैश्य समाज की 30 फीसदी जनसंख्या है। मध्यप्रदेश में देखा जाए तो शहरी इलाकों में बड़ी संख्या में वैश्य मतदाता हैं। ऐसे में बीजेपी 2028 विधानसभा चुनाव और 2029 लोकसभा चुनाव से पहले इस वर्ग को खुश करना चाहेगी।
पांचवी वजह- राजनीति में खंडेलवाल परिवार का दबदबा विधायक खंडेलवाल के पिता विजय कुमार खंडेलवाल भाजपा के वरिष्ठ नेता और बैतूल से सांसद रहे हैं। 2008 में पिता के निधन के बाद हेमंत खंडेलवाल सक्रिय रूप से राजनीति में आए और उसी साल लोकसभा उपचुनाव जीतकर सांसद बने। हेमंत खंडेलवाल इस समय एमपी की बैतूल विधानसभा सीट से भाजपा के विधायक हैं।