वन भूमि से रेत की निकासी में लगा माफिया

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घुनघुटी सहित आस-पास की ग्राम पंचायतों में कहां से आई रेत

बायोस्फेयर रिजर्व क्षेत्र की बिगड़ रही फिजा

 

शहडोल। बायोस्फेयर रिजर्व क्षेत्र और इससे सटे घुनघुटी वन परिक्षेत्र के जंगलों से रेत और अन्य खनिज का उत्खनन हो रहा है, यही नहीं नौकरशाहों से सांठ-गांठ कर यहां से लकड़ी, औषधियां और मौका पडऩे पर वन्यजीवों की तस्करी करने से नहीं चूक रहे हैं, पूर्व में वन व पुलिस अमले के द्वारा कार्यवाही भी की गई, लेकिन मनमानी थम नहीं रही। यही नहीं वन भूमि से रेत, मुरूम व पत्थरों का अवैध उत्खनन भी बड़े पैमाने पर हो रहा है। वन विभाग के कर्मचारियों से सांठ-गांठ होने के कारण मामले ब्लाक व जिले में बैठे जिम्मेदारों तक पहुंच ही नहीं पा रहे हैं।
बिना रोक-टोक उत्खनन
अवैध रेत उत्खनन से लेकर परिवहन के दौरान भी कार्रवाई नहीं होती हैं। गौरतलब हैं कि बिना रोक-टोक वन विभाग की नदियों एवं भूमि से रेत का अवैध उत्खनन सहित परिवहन हो रहा है और जिम्मेदार अधिकारियों पूछने पर कहा जाता है, जानकारी मिलने पर कार्रवाई करेंगे। बाजार में एक रेत की ट्राली से 1700 से 2000 रुपए की बिक हो रही है। इस दौरान मजदूर एक ट्रॉली को भरने का 150 लेते हैं। इसके अलावा रेत माफिया प्रति ट्रॉली 1200 से 1500 तक का मुनाफा कमाते हैं। मजदूर लगातार रेत खोदकर उसे इक_ा कर लेते हैं ट्रैक्टर-ट्रॉली आते ही जल्द उसे भरकर रवाना कर दिया जाता है।
दर्ज हुए थे अपराध
घुनघुटी वन परिक्षेत्र और इससे सटे राजस्व के भू-खण्डों से मुरूम व मिट्टी तथा यहां से बहने वाली नदियों व नालों से रेत का अवैध उत्खनन व परिवहन अपने चरम पर है। ऐसा नहीं है कि पूर्व में इनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई, पाली थाना प्रभारी आर.के. बैस द्वारा बीते वर्षाे में पहडिय़ा से अवैध रेत का परिवहन करते हुए ग्राम चाका निवासी अरविंद तिवारी पिता शंकर दयाल तिवारी के वाहन को पकड़ा था, जिसे चालक मेला राम पिता कुंदन बैगा चला रहा था, कार्यवाही के दौरान दस्तावेज न होने के कारण खनिज अधिनियम के तहत मामला कायम किया गया था। अरविंद तिवारी का सिर्फ रेत चोरी के मामले में ही नाम नहीं दर्ज है, बल्कि बीते वर्षाे में पाली थाने में उसके खिलाफ मारपीट व गाली-गलौज का मामला दर्ज हो चुका है, 17 जुलाई 2016 को राम सुशील मिश्रा की शिकायत पर अरविंद तिवारी व मनोज तिवारी दोनों पिता शंकर दयाल के खिलाफ भादवि की धारा 341, 294, 323, 506 व 34 के तहत अपराध कायम हुआ था।
संरक्षण के लग रहे आरोप
ऐसा नहीं है कि अरविंद यहां से केवल रेत ही निकलवा रहा है, जानकारों का दावा है कि क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अवैध कटाई भी जारी है। यहां से निकलने वाला बेशकीमती सागौन, बीजा, सरई सहित अन्य इमारती लकडिय़ों की खरीद-फरोख्त का का धंधा भी कमीशन लेकर रिश्तेदारी की आड़ में कमीशन पहुंचाकर झाड़ काटे जा रहे हैं, चर्चा है कि सेंट्रिंग में लगने वाली बल्लियां मेढ़की, कोनी, बकेली सहित आस-पास के ग्रामीण अंचलों में रात में पहुंच रही हैं। ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी पुलिस विभाग को न हो, लेकिन ऑल-इज-वेल की तर्ज पर पूरा कार्य जिम्मेदारों के संरक्षण में फल-फूल रहा है।
तो क्या बांध दिया है कमीशन
स्थानीय लोगों की माने तो बसाढ़ नदी कांचोदर से निकलती है, जिस वजह से कई जगह वन भूमि से होते हुए संभवत: मुडऩा नदी में मिलती है, सूत्रों की माने तो अरविंद नामक रेत माफिया को अधिकारी ने खुली छूट दे रखी है, जातिवाद का फायदा उठाकर कथित रेत माफिया ने अधिकारी का भी कमीशन बांध रखा है, चर्चा है कि अगर कथित रेत माफिया के नंबर की जांच की जाये तो, कई वन विभाग के अधिकारियों का मिल रहे संरक्षण से भी पर्दा उठ सकता है।
इनका कहना है…
अगर क्षेत्र में कुछ गलत हो रहा है तो, सख्त कार्यवाही की जायेगी।
पी.के. वर्मा
मुख्य वन संरक्षक
शहडोल

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