करोड़ों के मेडिकल कॉलेज पर भारी सुप्राट्रैक लैब

गलत रिपोर्ट के कारण मौत के बाद भी अंतिम संस्कार का तरसती लाश
80 वर्षीय वृद्ध के पहले पॉजीटिव और फिर दी निगेटिव की रिपोर्ट
शहडोल। बुढ़ार के 80 वर्षीय व्यापारी की मंगलवार की सुबह मौत की सूचना मेडिकल कॉलेज से इसके परिजनों को दी गई, साथ ही यह भी बताया गया कि मृतक के कोरोना संबंधी जांच के लिए सैंपल लिये गये हैं, रिपोर्ट आने के बाद लाश सुपुर्द की जायेगी। मंगलवार की देर रात 11 बजे के आस-पास जब रिपोर्ट सामने आई तो, उसमें मृतक को कोरोना पॉजीटिव बताया गया, एहतियात के तौर पर गाइड लाईन के अनुसार लाश परिजनों को नहीं दी गई, बुधवार की सुबह उन्हें बुलाया गया, बाहर से ही उन्हें यह संदेश दिया गया। पाली रोड स्थित श्मशान में लाश विभाग द्वारा लाई जा रही है, वहीं अंतिम संस्कार होगा, परिवार के चुनिंदा लोग इकाई की संख्या में वहां पहुंचे।
अंतिम संस्कार को लेकर आपत्ति
बुधवार की दोपहर 1 से 2 बजे के बीच जब पाली रोड स्थित आकाशवाणी के पास श्मशान घाट पर लाश ले जाई गई तो, स्थानीय लोगों ने यहां कोरोना पेशेंट होने के कारण अंतिम संस्कार पर आपत्ति जताई, गेट पर ताला लगा दिया गया। मामला नगर पालिका व कलेक्टर तक पहुंचा, नगर पालिका की टीम और पुलिस बल मौके पर पहुंचा, लेकिन जब स्थानीयजन नहीं माने तो, लाश को अन्यत्र अंतिम संस्कार करने की तैयारी की गई।
तब आई दूसरी रिपोर्ट
पुलिस, प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की टीम जिस लाश को कोरोना पॉजीटिव मानकर पीपीई किट व अन्य उपकरणों से लैस होकर अंतिम संस्कार की योजना बना रही थी, जिस कारण सैकड़ों लोगों ने श्मशान घाट पर ताला लगा दिया, घंटो विवाद चलता रहा और मंगलवार की सुबह हुई वृद्ध की मौत के बाद उसकी लाश मौत के करीब 30 से 35 घंटों तक अंतिम संस्कार के लिए तरसती रही, इसी दौरान स्वास्थ्य विभाग ने इन्दौर स्थित सुप्राटैक नामक निजी लैब की रिपोर्ट का खुलासा कर पूरे मामले की हवा निकाल दी, नई रिपोर्ट के अनुसार मृतक कोरोना पॉजीटिव नहीं था।
नहीं थे लक्षण, पर लेटाया संक्रमितों के साथ
मृतक के परिजनों ने बताया कि भले ही उनकी उम्र 80 वर्ष थी, लेकिन वह पूरी तरह से हष्ट-पुष्ट थे, खुद रोजाना दुकान खोलने व बंद करने के साथ पूरे दिन व्यवसाय करते थे, सीने में दर्द के कारण धनपुरी कॉलरी के केन्द्रीय चिकित्सालय ले जाया गया था, वहां से कोरोना के भय के कारण जिला चिकित्सालय की सलाह दी गई, सोमवार की शाम धनपुरी से रात 8 बजे के आस-पास जिला चिकित्सालय लाये, लेकिन यहां से मेडिकल कॉलेज भेजा गया, 8.30 से 9 बजे के बीच मेडिकल कॉलेज में भर्ती हुए, प्रबंधन ने उन्हें कोरोना वाले आईसीयू वार्ड में भर्ती कर दिया, जहां अन्य कोरोना मरीज और इनके बेड के बीच महज एक पर्दा ही था।
रात में मौत, अगले दिन तक बेड पर
सोमवार की रात उन्हें मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया गया, मंगल की सुबह परिजनों को मौत की सूचना दी गई, देर शाम तक कोरोना रिपोर्ट के इंतजार में लाश उसी बेड पर पड़ी रही, जब रिपोर्ट ने चौकाया तो, मिलना-देखना दूर, सिर्फ परिजनों को सूचना भर दी गई। आरोप तो यह भी है कि भर्ती करते समय उसे बुखार तक नहीं था। यही नहीं स्वास्थ्य विभाग की यह भी लापरवाही सामने आई कि जब मंगलवार की शाम मृतक की रिपोर्ट पॉजीटिव आई थी तो, अगली निगेटिव रिपोर्ट आने से पहले तक मृतक के परिजनों व उसे मेडिकल कॉलेज लाने वालों के सैंपल लेने के संदर्भ में विभाग ने क्या किया।
बुधवार को कोरोना से 8 वीं मौत
जिले में अब तक कोविड-19 से 8 मौते हो चुकी हैं, इनमें से कुछ के पॉजीटिव होने की रिपोर्ट मौत के बाद और कुछ की पहले आईं थी, जबकि 4 अन्य मरीजों की मौत मेडिकल कॉलेज में हुई है, जिन्हें कोरोना और अन्य इलाज की सुविधा दी गई थी, लेकिन इन चारों की रिपोर्ट निगेटिव है। मेडिकल कॉलेज से जुड़े सूत्रों का दावा है कि रोजाना 550 से 600 जांचे हो रही हैं, बावजूद इसके करोड़ों रूपये का बजट और सैकड़ों की टीम की जांच रिपोर्ट की तुलना में खुद प्रशासन सुप्राटैक नामक निजी लैब पर भरोसा कर रहा है।
इनका कहना है…
पहले रिपोर्ट क्या आई, यह मालूम नहीं, सुप्राटैक जो सैंपल भेजे थे, उससे निगेटिव रिपोर्ट आई है, यह जानकारी है।
डॉ. राजेश पाण्डेय
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी
शहडोल
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पहले पॉजीटिव, फिर निगेटिव की बात सही है, हमनें लक्षण देखने के बाद उसका इलाज शुरू किया था। परिजनों के सैंपल लिये गये या नहीं यह सीएमएचओ कार्यालय को ज्ञात होगा, अस्पताल मे 7 अलग-अलग व्यवस्थाएं संदिग्ध होने के कारण उन्हें अलग रखा गया था।
डॉ. मिलिंद शिरालकर
डीन
शासकीय मेडिकल कॉलेज, शहडोल
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मामला मेरी जानकारी में नहीं है, पूछताछ कर ही कुछ कह पाऊंगा।
नरेश पाल
संभागायुक्त, शहडोल