मिलिंग पॉलिसी में संशोधन के बाद होगा मिलिंग अनुबंध
कलेक्टर से भेंट कर विसंगतियों पर की गई चर्चा
शहडोल। धान उपार्जन वर्ष 2023-24 की मिलिंग नीति में भारी विसंगतियां व्याप्त हैं। जिनके कारण धान की मिलिंग
के लिए काफी कठिनाइयां दिखाई पड़ रहीं हैं। इस संबंध में शहडोल राईस मिल एसोसियेशन की मिटिंग सम्पन्न हुई
जिसमें सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि जब तक पॅालिसी में संशोधन नहीं किया जाता तब तक मिलिंग
अनुबंध नही किया जाए। इस संबंध में एसोसियेशन ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंप कर उनसे भी समस्याओं की चर्चा
की। कलेक्टर वंदना वैद्य से चर्चा करते हुए एसोसियेशन पदाधिकारियों ने कहा कि जिला प्रबंधक व लेखापाल का
स्थाई पदांकन किया जाए ताकि कार्यालय का कामकाज सुचारू रूप से चल सके तथा मिलर्स को भी मार्गदर्शन प्राप्त
हो सके। शहडोल के 4 मिलों पर की गई एफ.आई.आर निरस्त की जाए, अन्यथा कोई भी मिलर मिलिंग अनुबंध नही
करेगा। पहले पूरी समस्याओं एवं स्थितियों का आकलन किया जाए उसके बाद ही कोई निर्णय लिया जाए।
जारी की गई नीति के अनुसार विभाग द्वारा मिलर्स को मिलिंग हेतु दी गयी धान के मिलान हेतु प्रति माह मिलर्स की
मिलों का भौतिक सत्यापन करवाया जाएगा एंव प्रदाय की गई धान का मिल में उपलब्ध धान, चावल के स्टॉक के
मिलान में यदि फर्क आता है तो मिलर्स से धान की लागत मूल्य का 5 गुना पेनाल्टी (लगभग 60 लाख रुपये प्रति
लॉट) वसूल किया जाएगा। साथ ही मिलर्स के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाएगा। इस संबंध में हमारा
आपसे आग्रह है कि शासन द्वारा मिलर्स को जो धान दी जाती है उसमें 1 लॉट की धान 433 किवन्टल के बदले मिलर्स
से 290 क्विन्टल चावल लिया जाता है । जबके वास्तविकता यह है कि 1 लॉट धान की मिलिगं करने पर शासन के
मापदंड के अनुरुप अधिकतम 160 क्विन्टल चावल निकलता है। शेष खंडा, रिजेक्टशन निकलता है जिसको बेचकर
मिलर्स बाहर से चावल खरीदकर लॉट को पूरा करता है। इस बात की प्रमाणिकता हेतु शासन चाहे जिस जिले में
उपार्जित की जाने वाली धान का टेस्ट करवाकर देख सकता है। क्योकि खंडे को शासन मान्यता नही देता है और फिर
मिलर अपराधी की श्रेणी में आ जाता है वर्ष 2022-23 की मिलिंग में इन्ही कारणों से प्रदेश के अनेक जिलों में मिलर्स
को दोषी मानकर आपराधिक प्रकरण दर्ज किए गये हैं। इसलिए इस कंडिंका को हटाया जाना न्यायोचित होगा।
मिलर्स को मिलिंग के पश्चात् दी जाने वाली मिलिंग, प्रोत्साहन एंव अपग्रेडेशन राशि के संबंध में मिलर्स द्वारा की
गई विधुत खपत का नियम रखा गया है। इसके अंतर्गत हमारा आग्रह है कि जिन मशीनो में अधिक भार का विद्युत
कनेक्शन लिया जाता है उनमें अधिक पोलिशर एंव सिल्की पोलिशर होने की वजह से विद्युत खपत अधिक आती है
जबकि कम विद्युत भार वाले प्लान्टो में पोलिशर एंव अन्य मशीने कम होने की वजह से बिजली की खपत कम
आती है, इसलिये विद्युत खपत गणना छोटे प्लांट में 1 यूनिट प्रति क्विन्टल किया जाना न्यायोचित है।
मिलर्स को मिलिंग पर दी जाने वाली अपग्रेडेशन राशि गत वर्ष के समान अनुबंध के समय ही 50,100,200 रुपये प्रति
किवंटल दिये जाने संबंधी आदेश मिलिंग नीति में शामिल किया जाना चाहिये। जारी की गई पॉलिसी के बिन्दु क्रमांक
3.1 एंव 3.2 अनुसार पुराने मिलर्स, नवीनीकरण शुल्क 5000 एंव नए मिलर्स से पंजीयन शुल्क 10000 निर्धारित
किया गया है, जो कि न्यायोचित नहीं है। विगत वर्षों में ऐसा कोई शुल्क विभाग द्वारा नहीं लिया जाता था अत: इस
कडिंका को समाप्त करने का कष्ट करें। शहडोल जिले में मिलिंग में एफ.आर.के चावल की उपलब्धता विभाग द्वारा
कराई जानी चाहिए। मिलरों द्वारा स्वंय खरीद कर विगत वर्षों में एफ.आर.के चावल लाया गया। मिलिंग वर्ष 2023-
24 में एफ.आर.के चावल की उपलब्धता विभाग द्वारा कराई जावे एंव गुणवत्ता से संबधित निराकरण विभाग द्वारा
ही कराया जावे। मिलर द्वारा एफ.आर.के चावल नही बनाया जाता है इस कारण गुणवत्ता से संबंधित कार्यवाही
विभाग की जिम्मेवारी होगी। वर्ष 2022-23 में मिलिंग का कार्य शहडोल जिले के समस्त मिलर्स द्वारा तय
समयावधि में किया जा रहा था। बावजूद इसके दूसरे जिले के मिलर्स द्वारा प्रस्ताव बुलवाकर शहडोल जिले धान
बाहरी जिलों में भेज दी गई। हमें इस ओर ध्यान देना होगा की शहडोल जिला धान उपार्जन के अनुसार छोटा जिला है
एंव यहंा मिलर्स की संख्या अधिक है और इस परिस्थति में यदि बान जिले से बाहर जाती है तो इस उद्योग को भारी
आर्थिक नुकसान होगा। वर्ष 2022-23 में मिलिंग का कार्य सभी मिलर्स द्वारा सितम्बर 2023 में पूर्ण कर लिया गया
था। जिसके भुगतान आज दिनांक तक शेष है जिस हेतु पूंजी न होने के कारण इस वर्ष की मिलिंग करने में मिलर्स को
कठिनाईयों का समाना करना पड़ सकता है। एसोसियेशन ने मंाग की इन समस्याओं का शासन स्तर से निराकरण
कराया जाए।