खनिज कर्मचारी आपस में ही खेल रहे रिश्वत का 20-20 मैच
कोषालय के नाम पर लिपिक वसूलते हैं अपने ही सहकर्मियों से रिश्वत
खनिज सर्वेयर ने कलेक्टर को दी लिपिक पर कार्यवाही की शिकायत
शहडोल। कोषालय के नाम पर खनिज कार्यालय में पदस्थ लिपिक लाल बिहारी प्रसाद प्रजापति ने अपने ही सहकर्मी खनिज सर्वेयर समय लाल गुप्ता से एरियर्स भुगतान की फाईल कमप्लीट कर कोषालय तक पहुंचाने के लिए 2 हजार रूपये मांगे। अवैध उत्खनन और खनन से संबंधित तमाम अनुमतियों, अनापत्तियों के नाम पर खनिज विभाग पर राजस्व के जैसे ही रिश्वतखोरी के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन यह पहला मामला है जब विभाग के कर्मचारी अपने ही सहकर्मियो से रिश्वत मांग रहे हैं और मजे की बात तो यह है कि सहकर्मी ने रिश्वत तो नहीं दी, उल्टे जीरो टॉलरेंस में चलते हुए कलेक्टर को इसकी लिखित शिकायत कर दी, इस संदर्भ में जब तथाकथित लालबिहारी से जानकारी चाही गई तो, उन्होंने शिकायतकर्ता समय लाल गुप्ता पर ही दर्जनों आरोप मढ़ दिये।
यह है पूरी शिकायत
समय लाल गुप्ता 6 जुलाई 2019 को सिंगरौली से स्थानांतरित होकर खनिज विभाग शहडोल पहुंचे थे और तब से लेकर अब तक यहीं पदस्थ हैं, शासन द्वारा मई 2021 में कर्मचारियों के सातवें वेतनमान का एरियर्स भुगतान करने के आदेश दिये, खनिज विभाग शहडोल में कर्मचारियों के वेतन, भत्ते, एरियर्स जैसे कार्याे का जिम्मा लिपिक सहायक ग्रेड तीन लाल बिहारी प्रसाद प्रजापति के जिम्मे है, समय लाल गुप्ता की एरियर्स की फाईल तैयार कर कोषालय तक पहुंचाने और भुगतान कराने की जिम्मेदारी के एवज में कथित लिपिक ने समय लाल गुप्ता से कोषालय अधिकारी आर.एम. सिंह के नाम पर 2 हजार रूपये मांगे, तो समय लाल बिफर गये और उन्होंने इस पूरे मामले की शिकायत कलेक्टर को कर दी।
दो अन्य कर्मचारियों से रिश्वत
खनिज सर्वेयर समय लाल गुप्ता के द्वारा की गई शिकायत में यह भी उल्लेख है कि तथाकथित लिपिक लाल बिहारी प्रसाद प्रजापति सिर्फ उससे नहीं बल्कि अन्य कर्मचारियों से भी रिश्वत मांगने में नहीं हिचकते, उनके द्वारा प्रभात पट्टा एवं सुरेश कुलस्ते से भी 2-2 हजार रूपये रिश्वत के लिए हैं, सवाल यह उठता है कि जब विभाग के कर्मचारी ही बाबुओं के रिश्वत के खेल में फंसे हुए हैं तो, आम आदमी और खनिज ठेकेदारों का तथाकथित बाबू क्या हाल करते होंगे, यह आसानी से समझा जा सकता है।
कोषालय से जुड़े हैं रिश्वत के तार
कोषालय का मामला आये दिन सुर्खियों में रहता है, यह जांच का विषय है कि इस मामले में लाल बिहारी सहकर्मियों से कोषालय के नाम पर ली जाने वाली रिश्वत अपनी जेब में डालते हैं या फिर कोषालय अधिकारी आर.एम. सिंह या इनके अधीनस्थ कर्मचारियों के जेब में जाती है, लेकिन कोषालय से जुड़ा दूसरा सच यह भी है कि मामला चाहे खनिज विभाग कर्मचारियों का हो या फिर शिक्षा, स्वास्थ्य या फिर अन्य दर्जनों विभागों में पदस्थ कर्मचारियों का कोषालय से एरियर्स, इंक्रीमेंट जैसे भुगतानों की फाईल यहां बिना वजन के आगे नहीं बढ़ती है।
समय लाल ने कलेक्टर को शिकायत दी है, यह पता चला है, लेकिन यह शिकायत झूठी है।