निर्माण कार्य में नाबालिग कर रहे मजदूरी

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सूचना पटल का पता नहीं, सचिव कर रहा मनमानी

करकेली। पंचायतों में एक ओर तो मजदूरों को काम नहीं मिलने की शिकायत प्राप्त होती है और दूसरी ओर कभी तो सरपंच सचिव अपने ही रिश्तेदारों के नाम से जॉब कार्ड भर लेते हैं तो कभी अन्य लोगों से काम चलाया जाता है। हाल ही में करकेलीे जनपद की ग्रामपंचायत मझगवंा 61 में नाबालिग बच्चो से काम कराने का मामला प्रकाश में आया है। पंचायतों के अंदर कितनी अंधेर मची हुई है चूंकि यह देखने की फुर्सत किसी अधिकारी के पास नहीं इसलिए सरपंच व सचिव सारा खेल खेलते रहते हैं। आज तक शासन की मंशा के अनुसार न तो जॉब कार्ड का संधारण हुआ और न श्रमिकों को मनरेगा का खास लाभ मिल सका। शासन ने बालश्रम को भले ही अपराध की श्रेणी में लाकर उस पर प्रतिबंध लगाया हो लेकिन यहां सरपंच व सचिव को इससे कोई सरोकार नहीं है। उन्हे वयस्क श्रमिक तो मिलते नहीं काम चलाने के लिए वे बच्चों को ही पकड़ लेते हैं। मझगवां 61 में भरोसा सिंह के खेत में बंधी निर्माण का कार्य चल रहा है। उस श्रमसाध्य कार्य में सचिव ने नाबालिग बच्चों को लगा रखा है। जब कुछ लोगों की नजर पड़ी और लोग वहां पहुंचे तो कई बच्चे भाग खड़े हुए और कई वहीं पर खड़े रह गए। जब इस संबंध में पूछताछ की गई तो कह दिया कि बच्चे काम नहीं कर रह थेे। काम तो उनके बड़े लोग करते हैं। बच्चों के दम पर जो निर्माण कार्य चल रहा है वह कितना मजबूत होगा सहज ही अनुमानित है। बताते हैं कि बंधी निर्माण में गुणवत्ता का ध्यान नही दिया जा रहा है। केवल बजट का दुरुपयोग किया जा रहा है। बताते हैं कि बंधी निर्माण की उपयोगिता अभी अधिक नहीं थी। जिस जगह लोगों को जरूरत है वहां निर्माण कार्य नही कराया जाकर अन्यत्र बंधी बनवाई जा रही है। इस मामले में कुछ ग्रामीणों ने सरपंच, सचिव व रोजगार सहायक से चर्चा भी की। लेकिन वे सुनने को तैयार नहीं हुए और घटिया निर्माण कराकर रकम फूंकी जा रही है। निर्माण स्थल पर कार्य का कोई ब्यौरा पता नहीं चलता क्यों कि यहां सूचना पटल नहीं लगाया गया है। जबकि नियमत: कार्यों का ब्यौरा सार्वजनिक करने के लिए सूचना पटल लगाया जाना आवश्यक होता है। इसमेें लागत, निर्माण एजेंसी, निर्माण तिथि, कार्य का प्रकार सब दर्शाया जाता है। लेकिन सचिव की मनमानी के सामने सारे नियम कायदे बेमानी हो जाते हैं। ग्रामीणों ने इसकी जानकारी अधिकारियों को दी है लेकिन सचिव शायद सब पर भारी पड़ रहा है। कोई अधिकारी यहां सचिव को शायद नाराज करना नही चाहता।

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