बीएड की फर्जी डिग्री लेकर घूम रहे मिश्रा@ AC ने बना दिया BRCC

0

(अमित दुबे+8818814739)
उमरिया। पाली ब्लाक में महेंद्र कुमार मिश्रा वरिष्ठ अध्यापक शासकीय उत्कृष्ट उमा विद्यालय पाली में बीएड की फर्जी अंकसूची लगाकर नौकरी करने का मामला प्रकाश में आया है। जिस पर सहायक आयुक्त जन जातीय कार्य विभाग अधिकारी आनंद राय सिन्हा ने तीन सदस्यों की एक जांच टीम बनाकर अंकसूची की जांच रिपोर्ट एक सप्ताह में पेश करने के लिए कहा है। इस जांच टीम में विभू मिश्रा प्राचार्य सुंदरदादर, व्ही.के. पाण्डेय प्राचार्य पाली, सरिता जैन कन्या स्कूल प्राचार्य पाली को बनाया गया है। सबसे बड़ी बात यह है कि जिस स्कूल मे महेंद्र मिश्रा पदस्थ हैं, उसी स्कूल के प्राचार्य को भी इस जांच टीम में रखा गया है। ऐसे में साफ जाहिर हो रहा है कि उक्त शिक्षक को बचाने के लिए नाम मात्र की जांच टीम बनाई गई है।
जबकि होना यह चाहिए कि कोई न कोई उच्च अधिकारी राजस्व अमले का होना चाहिए। जैसे कि एसडीएम , तहसीलदार या अन्य कोई पर ऐसा नहीं किया गया है। इससे साफ जाहिर होता है कि उक्त जांच महज दिखावा के लिए कराई जा रही है। मामला कुछ इस प्रकार है कि मिश्रा सन् 1998 मे नगर पालिका के संरक्षण एवं राजनैतिक आकाओ के संरक्षण में संविदा वर्ग-1 मे भर्ती हो जाने में सफल हो गये। नगर पालिका शिक्षा समिति पाली द्वारा बीएड की अंकसूची फर्जी होने के बावजूद भी वरिष्ठ अध्यापक बन गये। तब से लेकर वर्तमान समय तक मिश्रा यहां वेतन के रूप मे कई लाख रुपए का चूना सरकार को लगा चुके है। वहीं मिश्रा के फितरत में हमेशा पैसा कमाने की हवस बनी रहती है।
शासन के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए तीन वर्ष तक प्रभारी प्राचार्य मॉडल उमावि पाली में कार्य कर चुके है। जिसमें मिश्रा पर बड़े पैमानेपर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए है। वरिष्ठ कार्यालय के द्वारा जांच आदेश जारी होने के बावजूद भी आज दिनांक तक जांच नही की गई। इसी प्रकार राजनैतिक आकाओं , वरिष्ठ अधिकारियों एवं उच्च न्यायालय जबलपुर तक को गलत तथ्यो को पेश कर लगभग एक वर्ष तक प्रभारी प्राचार्य एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय पाली में व्यापक पैमाने पर आर्थिक अनियमितता की गई।
लगभग डेढ़ माह पूर्व श्री मिश्रा के भ्रष्टाचार का मामला बाहर आया, लेकिन राजनैतिक पहुंच एवं वरिष्ठ अधिकारियो के सहयोग से आज दिनांक तक कोई कार्यवाही नही की गई। शासकीय उत्कृष्ट उमावि पाली के प्राचार्य एवं विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी ने तब और हद कर दी, जब शासन के आदेश के अनुसार जन जातीय कार्य विभाग में ही महेंद्र मिश्रा को संविलियन हेतु सभी शैक्षणिक दस्तावेजों की सत्यता प्रमाणित करने के बावजूद विभाग में संविलियन होना था। फर्जी अंक सूची होने के बावजूद विभाग में संविलियन हो गया, अधिकारी यह जानते हुए भी कि अंकसूची फर्जी है, फिर भी किन कारणो से मिश्रा के ऊपर कोई कार्यवाही नही हुई, जो फर्जीवाड़े की ओर आशंका करता है। व्यापक पैमाने पर किए गए भ्रष्टाचार का मिशाल विकटगंज मे निर्मित इनका शानदार मकान है। खबर है कि उच्च न्यायालय जबलपुर के द्वारा श्री मिश्रा पर पांच हजार रुपए का कास्ट भी लगाया जा चुका है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed