सीमा चौकियों पर चल रही अवैध वसूली से मोहन सरकार की साख पर दाग, QR कोड से हो रही ‘डिजिटल हफ्ता वसूली

‘ऊपर सेटिंग है, जो करना हो कर लो’ –अफसरों की खुली धमकी
सूत्रों के मुताबिक, पूर्व में हटाए गए कुछ अधिकारियों की जगह अब जैन नामक एक नया अधिकारी और राजू नामक स्थानीय व्यक्ति वसूली का संचालन कर रहे हैं। ट्रक मालिकों और ड्राइवरों को व्हाट्सएप पर नंबर भेजे जाते हैं, जिसके जरिए QR कोड स्कैन कर ‘सेट रेट’ के हिसाब से रकम ली जाती है। वसूली से इनकार करने वाले वाहन चालकों के साथ गाली-गलौज, बदसलूकी और यहां तक कि मारपीट की जा रही है।
दारू के नशे में उड़नदस्ता, खूंटाटोला बना अवैध वसूली का अड्डा
खूंटाटोला बॉर्डर पर आरटीओ उड़नदस्ता की टीम रात में शराब के नशे में धुत होकर ट्रकों को रोकती है और जबरन वसूली करती है। वाहन के दस्तावेज पूरे होने के बाद भी गाड़ियाँ रोकी जाती हैं। दिन में गायब रहने वाला यह दस्ता रात को सक्रिय होता है। पैसेंजर गाड़ियों तक को नहीं बख्शा जा रहा।
“वसूली नहीं देने पर मारपीट करते हैं”
स्थानीय ट्रक मालिक और ट्रांसपोर्ट कारोबार से जुड़े व्यवसायी रामकुमार वर्मा ने बताया “मेरे सामने ट्रक को रात दो बजे रोका गया, ड्राइवर के पास पूरे कागज थे लेकिन QR कोड भेजकर ₹1,500 मांगे गए। न देने पर उसके साथ गाली-गलौज की गई। यही नहीं, उसकी गाड़ी में चढ़कर जांच के नाम पर सामान भी उलट-पलट किया गया। ये अधिकारी अब वसूली माफिया जैसे बर्ताव कर रहे हैं।”
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो ने खोली पोल
इन अवैध गतिविधियों की पुष्टि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो से भी होती है, जिनमें कुछ लोग पैसे लेते साफ नजर आ रहे हैं। यह वीडियो वर्तमान शासन और प्रशासन के दावों की पोल खोलने के लिए पर्याप्त हैं।

स्थानीय नेताओं और प्रशासन की चुप्पी भी संदेह के घेरे में
इस पूरे प्रकरण में सबसे अधिक चौंकाने वाली बात यह है कि न तो स्थानीय जनप्रतिनिधि इस पर कोई आवाज उठा रहे हैं, न ही जिला प्रशासन कोई स्पष्ट कार्रवाई करता दिख रहा है। राजनगर, जैतहरी और कोटा क्षेत्र के नेता जनता से जुड़े अन्य मुद्दों पर तो सक्रिय रहते हैं, लेकिन जब बात अवैध वसूली की आती है तो सभी चुप्पी साध लेते हैं।
क्या यह चुप्पी किसी ‘साझेदारी’ का संकेत है?
मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ दोनों ही भाजपा शासित राज्य हैं, इसके बावजूद सीमाओं पर खुलेआम वसूली का खेल खेला जा रहा है। मोहन यादव सरकार की छवि को यह अफसरशाही सीधा नुकसान पहुँचा रही है। प्रशासन और परिवहन विभाग के उच्च अधिकारियों को इन अवैध गतिविधियों पर तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए।