सीनियर सिटीजन एसोशिएशन की मासिक बैठक आयोजित
गुर्रा सहित अन्य गांवों में 400 कंबल का किया गया वितरण
शहडोल। सीनियर सिटीजन एसोशिएशन की मासिक बैठक होटल लेबल वन में एम. एल. मंत्री की अध्यक्षता में एवं मृत्युंज सिंह के सौजन्य से सम्पन्न हुई। बैठक में निर्णय लिया गया कि आगामी रविवार 17 दिसम्बर को जिले के
ग्रामीण अंचल ग्राम गुर्रा एवं आस-पास के गांवों के ग्रामीणों को लगभग 400 कंबल का वितरण किया जाना है । सीनियन सिटीजन एसोशिएशन ने नगर के युवा पयूष बासुदेव जो कि बैंगलूर के कार्यरत है, उनको बैठक में आमंत्रित किया गया श्री वासुदेव कम्प्यूटर इंजीनियर है पर इस समय जिले के आस-पास पैदा होने वाले कोदो के विषय में जानकारी हासिल कर रहे हैं। श्री वासुदेव ने बताया कि शहडोल, उमरिया, डिण्डौरी, अनूपपुर आदि क्षेत्रों में भरपूर मात्रा में मिलेट का उत्पाद किया जाता है और यह सस्ते भाव में स्थानीय व्यापारी क्रय करके नासिक रिफायन करने के लिए भेज देते हैं।श्री वासुदेव ने कोदो फायदे के बारे में बताया कोदो स्वाद में मीठा, कडवा और तीखा होता है, यह रक्त को शुद्ध करने प्रतिरोध शक्ति में सुधार लाने, एनीमिया, मधुमेह, कब्ज और अच्छी नींद आने के लिए मदद करता है, इसके अलावा अस्थिमजा के कुशल काम काज और अस्थामा और गुर्दे की समस्याओं तथा प्रोटेस्ट, रक्त कैंसर और आंत थाइराइड, गले, अग्नाशय या एक्रित के कैंसर में संबंधित समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए मदद करता है। उनमें उच्च पौष्टिक मूल्य होते हैं और इसी लिए बच्चों के लिए एक अच्छा भोजन है, इसमें विटामिन और खनिज प्रचुर मात्रा में
होते हैं, यह पाचन के लिए अच्छा है, इसमें उच्च एन्टीऑक्सीडेंट गतिविधि है, यह रक्त में सरकरा और क्लोस्ट्रॉल के स्तर को जांच में रखता है ये इस्प्रिंट में भाग लेने वालों को अच्छी ऊर्जा प्रदान करते हैं। यदि आप इन्हें अन्य दाल जैसे – बंगाल चना या ग्वार पाठा के साथ लेते हैं तो हमें पर्याप्त पोषक तत्व मिलते हैं जो हमारे शरीर के लिए आवश्यक हैं। उच्च फाइवर होने के कारण यह वजन कम करने के लिए अच्छा है। लम्बे समय तक बीमारियों में राहत पाने और सुजनों को कम करने के लिए यह एक अच्छा भोजन है। कोदों जोड़ों के सूजन जो एनीयमित पीरियड्स, मधुमेह के रोगियों और जिन लोगों की आंख की नशें कमजोर है और महिलाओं के लिए अच्छा भोजन है। कोदो के आटे का उपयोग सुंघनें के लिए किया जाता है, यह उन मधुमेह रोगियों के लिए भी सहायक हैं जो पैरों में चोट लगने के बाद गैंगरीन विकसित करते हैं। वे इन रोगियों को वसूली के लिए सहायक हैं जो डेंगू, टाइफाइड या वायरल बुखार से पीड़ित हैं और कमजोर हो गये हैं। समारोह एवं संस्था के अध्यक्ष एम. एल. मंत्री, महेश अग्रवाल, डॉ. ए. के. श्रीवास्तव, टी.पी. मिश्रा, राधेश्याम शुक्ला, राजकुमार सिंह, मृत्युंजय सिंह, एस. के. सिंह परमार, डॉ. जी. डी. सिंह, कमल मूंदडा, राजेन्द्र अग्रवाल, अरुण अग्रवाल, योगेश अग्रवाल, महेन्द्र बियानी, सुहास वासुदेव, शरद झवेरी, डॉ. पवन मूंदडा एवं दीपक ढ़ोढ़ी उपस्थित हुए।