माघ मेले में एक दिन में 2 करोड़ से ज्‍यादा श्रद्धालुओं ने किया स्नान, जानिए इनकी कैसे होती है?

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प्रयागराज में चल रहे माघ मेला के तृतीय स्नान पर्व के मौके पर करीब 2.10 लाख श्रद्धालुओं ने पवित्र संगम तट पर श्रद्धा की डुबकी लगाई। प्रयागराज में आस्था का जनसैलाब शनिवार को पूरे दिन उमड़ता रहा। भारी संख्या में श्रद्धालु संगम तट पर कल्पवास कर रहे हैं।
प्रयागराज।उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे माघ मेले में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। शनिवार को मौनी अमावस्या के मौके पर करीब 2.10 करोड़ श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए प्रयागराज में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। शुक्रवार और शनिवार की रात 12 बजे से ही श्रद्धालुओं का गंगा-यमुना संगम तट पर जुटान शुरू हो गया था। श्रद्धालुओं की संख्या को लेकर पहले भी सवाल उठते रहे हैं। आखिर इस प्रकार की गणना कैसे होती है? इस सवाल का जवाब प्रशासनिक अधिकारियों के स्तर से दिया जाता है। सैटेलाइट इमेज नहीं बल्कि मैनुअल तरीके से स्नानार्थियों की गणना होती है। प्रशासन की टीम माघ मेला क्षेत्र में एंट्री गेटों के जरिए प्रवेश करने वालों की संख्या के आधार पर इसकी गणना करते हैं। शुक्रवार रात 12 बजे के बाद से शनिवार देर शाम तक दो करोड़ 10 लाख से अधिक श्रद्धालु संगम में डुबकी लगा चुके थे। श्रद्धालुओं की संख्या पर पैनी नजर रखने वाली प्रशासनिक टीम की अगुआई करने वाले प्रयागराज मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत ने कहा कि शाम 6 बजे तक ही 2 करोड़ से अधिक लोगों ने स्नान कर लिया था। रात 10 बजे तक यह संख्या 2.10 करोड़ को पार कर गई।
माघ मेला में ऐसे होती है श्रद्धालुओं की गणना
माघ मेला में आने वाले श्रद्धालुओं का तरीका अलग ही है। इसकी जिम्मेदारी मंडलायुक्त और एसएसपी की होती है। वे माघ मेला में आने वाली सड़कों पर हर घंटे गुजरने वाले श्रद्धालुओं की संख्या के आधार पर कुल आंकड़ा निकालते हैं। सैटेलाइट इमेज में श्रद्धालुओं की वास्तविक संख्या का अंदाजा नहीं होता है। श्रद्धालुओं के डुबकी लगाने के दौरान उनकी संख्या में अंतर होता है। इसलिए प्रशासनिक स्तर पर इनकी अपने तरीके से गणना कराई जाती है। इसमें शहर में रहने वाले और कल्पवास क्षेत्र के टेंटों में रहने वाले श्रद्धालुओं की संख्या की भी गिनती की जाती है।प्रयागराज में सुबह से शाम तक आस्था का समंदर उमड़ता रहा। प्रदेश के विभिन्न इलाकों से गंगा घाटों तक आने वाले लोगों के लिए बड़ी भीड़ आती रही। लोगों को गंगा तट तक पहुंचाने में प्रशासन की टीम मददगार रही। एसएसपी माघ मेला राजीव नारायण मिश्र ने बताया कि मेले में सुरक्षा व्यवस्था में 5000 से अधिक कर्मी तैनात किए गए। इसमें नागरिक पुलिस, महिला पुलिस, घुड़सवार पुलिस, एलआईयू की टीम, खुफिया विभाग के अधिकारी, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ,जल पुलिस आदि के कर्मी शामिल हुए। उन्होंने बताया कि मेले में रीवर एंबुलेंस और फ्लोटिंग पुलिस चौकी की भी व्यवस्था की गई है। सीसीटीवी, शरीर पर धारण योग्य कैमरों, ड्रोन कैमरों से लोगों पर नजर रखी गई। प्रशासनिक अधिकारियों को भी माघ मेला क्षेत्र में तैनात किया गया है।
माघ मेला क्षेत्र में श्रद्धालुओं के लिए 18 घाटों का निर्माण किया गया। अरैल, झूंसी के अलावा रामघाट, काली घाट, दशाश्वमेध घाट पर सेक्टरों में बांटकर 18 घाट बनाए गए। मौनी अमावस्या पर स्नानार्थी,श्रद्धालु,कल्पवासी शनिवार को ब्रह्म महूर्त से ही श्रद्धा की डुबकी लगते रहे। मौनी अमावस्या पर 2 अतिरिक्त स्नान घाट बनाए जाने के बाद घाटों की संख्या बढ़ी। पहले दो स्नान पर्व में 16 घाटों पर श्रद्धालुओं के स्नान की व्यवस्था की गई थी। मौनी अमावस्या के सबसे बड़े स्नान पर्व को देखते हुए रेलवे ने मेला स्पेशन ट्रेनों का परिचालन किया। वहीं, रोडवेज को करीब 3 हजार बसों से श्रद्धालु माघ मेला क्षेत्र में आए। संगम में स्नान के बाद उनके वापसी की भी पर्याप्त व्यवस्था की गई।

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