निमंत्रण पत्र में सांसद की गरिमा से खिलवाड़, विधायक को मिला विशेष संबोधन – सोशल मीडिया पर आयोजन कार्ड वायरल

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अनूपपुर। नगर परिषद जैतहरी द्वारा आयोजित होने वाले एक सार्वजनिक कार्यक्रम के निमंत्रण पत्र को लेकर इन दिनों सोशल मीडिया में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। कार्यक्रम का आयोजन 2 अगस्त 2025 को अहिंसा चौक, जैतहरी में कीर्ति स्तंभ के अनावरण के लिए किया गया है, लेकिन इस आयोजन का निमंत्रण पत्र विवाद का कारण बन गया है।
दरअसल, कार्ड में अनूपपुर विधायक बिसाहूलाल सिंह के नाम के आगे “माननीय” लिखा गया है, जबकि शहडोल संसदीय क्षेत्र की सांसद श्रीमती हिमाद्री सिंह का नाम सिर्फ “श्रीमती” के रूप में छापा गया है। इससे न सिर्फ प्रोटोकॉल की अनदेखी हुई है, बल्कि एक सांसद जैसे गरिमामयी पद को भी द्वितीय दर्जे पर रख दिया गया है।
जानकारों के अनुसार, शहडोल लोकसभा क्षेत्र में कुल आठ विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जिनमें जैतहरी और अनूपपुर भी शामिल हैं। सांसद पूरे संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं और उनका दर्जा संवैधानिक रूप से विधायक से ऊपर होता है। ऐसे में सांसद के नाम के आगे “माननीय” न लिखना और विधायक को वह संबोधन देना, यह दर्शाता है कि आयोजन समिति ने शिष्टाचार और पदक्रम दोनों की अनदेखी की है।
विवाद यहीं तक सीमित नहीं है। आमंत्रण पत्र में सांसद श्रीमती हिमाद्री सिंह के नाम को न तो विशिष्ट अतिथि की तरह महत्व दिया गया और न ही किसी विशिष्ट सम्मान से विभूषित किया गया। इसके उलट, विधायक बिसाहूलाल सिंह का नाम सबसे ऊपर लिखा गया है और उन्हें “माननीय” के रूप में संबोधित किया गया है।
इस पूरे मामले पर राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई है। नगर परिषद जैतहरी की यह चूक अब एक राजनीतिक संदेश मानी जा रही है — कि कैसे स्थानीय निकाय सांसद की गरिमा को कमतर आंक रहे हैं। कार्यक्रम के आयोजकों में नगर परिषद अध्यक्ष उमंग अनिल गुप्ता, उपाध्यक्ष रविंद्र सिंह राठौर और मुख्य नगरपालिका अधिकारी भूपेंद्र सिंह शामिल हैं, जिनके द्वारा इस निमंत्रण की अंतिम स्वीकृति मानी जाती है।
सोशल मीडिया पर यह कार्ड वायरल हो चुका है और लोग इस बात पर तीखी टिप्पणी कर रहे हैं कि आखिर सांसद को उचित सम्मान क्यों नहीं दिया गया, जबकि वह पूरे संसदीय क्षेत्र की प्रतिनिधि हैं। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि यह महज एक टाइपिंग मिस्टेक नहीं, बल्कि सदन के पदों के प्रति असंवेदनशीलता और प्राथमिकता में पक्षपात को दर्शाता है।
कई नागरिकों और भाजपा कार्यकर्ताओं ने निजी तौर पर इस पर असंतोष भी व्यक्त किया है और उम्मीद जताई है कि भविष्य में ऐसे आयोजनों में पद की गरिमा और शिष्टाचार का पालन किया जाए।
यह मामला एक बार फिर साबित करता है कि राजनीति में संबोधन और क्रम सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि संवैधानिक मर्यादा और सम्मान का परिचायक होता है। नगर परिषद जैतहरी की यह चूक आने वाले समय में उन्हें जवाबदेही के कठघरे में खड़ा कर सकती है।

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