औद्योगिक भ्रमण में लापरवाही: एमएलबी स्कूल की छात्राओं को मालवाहक ऑटो में भेजने पर सवाल
(अनिल तिवारी)शहडोल। मंगलवार को शासकीय एमएलबी स्कूल की छात्राओं को औद्योगिक भ्रमण के लिए आईटीआई और इंजीनियरिंग कॉलेज ले जाया गया। लेकिन यह भ्रमण चर्चा का विषय तब बन गया जब छात्राओं को बस के बजाय मालवाहक ऑटो में धूप में बैठाकर रवाना कर दिया गया। इस दौरान सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीर और वीडियो ने प्रशासन और पुलिस की लापरवाही को उजागर कर दिया। तस्वीर में साफ दिख रहा है कि 10 से 15 छात्राएं मालवाहक ऑटो में ठूंस-ठूंसकर बैठी और कुछ खड़ी नजर आईं। धूप में सफर करती इन मासूम बच्चियों की तस्वीर हर किसी के मन में सवाल खड़े कर रही है।
प्रभारी प्राचार्य साधना जैन का कहना है कि “हमने बस बुलाई थी, लेकिन छात्राएं कब बैठकर मालवाहक ऑटो से रवाना हो गईं, इसकी जानकारी नहीं है।” हालांकि, इस बयान ने भी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने का आभास दिया। सवाल यह है कि अगर बस बुलाई गई थी तो फिर बच्चों की सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी किसकी थी?
इस मामले में पुलिस और जिला यातायात विभाग की भी जमकर किरकिरी हो रही है। मंगलवार को दोपहर करीब 12 बजे गांधी चौक से लेकर इंदिरा चौक तक पुलिसकर्मी मौजूद थे, फिर भी नाबालिग छात्राओं को मालवाहक ऑटो में भरकर भेजे जाने पर किसी ने ध्यान क्यों नहीं दिया? यह भी आरोप है कि बस स्टैंड पर उसी समय जिला परिवहन अधिकारी पूरे लव-लश्कर के साथ मौजूद थे, मगर उनकी नजर भी इस उल्लंघन पर नहीं पड़ी।
अब बड़ा सवाल यह उठता है कि यदि रास्ते में कोई दुर्घटना हो जाती तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेता? जब सरकारी नियमों का पालन कराने वाले अधिकारी और कर्मचारी ही नियमों की धज्जियां उड़ाते दिखें तो आम नागरिकों को कानून का पालन करने की नसीहत देने का क्या औचित्य रह जाता है?
सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में भी यह साफ दिखाई देता है कि बच्चियां धूप में परेशान थीं और बेहद असुविधाजनक स्थिति में सफर कर रही थीं। कई अभिभावकों ने इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि प्रशासन और स्कूल प्रबंधन ने बच्चों की सुरक्षा को मजाक बना दिया है।
यह तस्वीर सिर्फ लापरवाही की कहानी नहीं कहती, बल्कि यह बताती है कि हमारे जिम्मेदार अधिकारी और विभाग किस हद तक संवेदनहीन हो गए हैं। बच्चियों की जान जोखिम में डालना न केवल गैरजिम्मेदारी है, बल्कि यह बच्चों के भविष्य और शिक्षा के नाम पर गंभीर खिलवाड़ भी है।
जनता अब यही सवाल पूछ रही है कि नियम तोड़ने पर आम लोगों पर कार्रवाई की जाती है, लेकिन जब स्वयं सरकारी सिस्टम लापरवाह हो जाता है तो उसके खिलाफ कौन कार्रवाई करेगा?