नवजात शिशु की पहचान नहीं, पुलिस और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने किया अंतिम संस्कार
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सूरज श्रीवास्तव
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अनूपपुर, 09 फरवरी: अनूपपुर-अमरकंटक मुख्य मार्ग के छीरापटपर जंगल में तीन दिन पूर्व एक नवजात शिशु (बालिका) का शव थैले में मिलने के बाद पुलिस एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा पहचान की भरसक कोशिश की गई। लेकिन शिशु की शिनाख्त न होने पर हिंदू रीति-रिवाज से उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया।
कैसे हुआ नवजात का शव बरामद?
7 फरवरी की दोपहर को अनूपपुर के सर्पप्रहरी एवं सामाजिक कार्यकर्ता शशिधर अग्रवाल वन विभाग के सुरक्षाकर्मियों के साथ जंगल में रेस्क्यू किए गए सांपों को छोड़ने गए थे। इस दौरान उन्होंने इमली पुल के नीचे रेत में पड़ा एक नीले रंग का थैला देखा, जिसमें से दो छोटे पैर दिखाई दे रहे थे। संदेह होने पर जब उसे पास से देखा गया, तो उसमें नवजात शिशु (बालिका) का शव मिला।
पुलिस ने की जांच, नहीं मिली पहचान
घटना की जानकारी तत्काल कोतवाली थाना अनूपपुर के निरीक्षक अरविंद जैन को दी गई। उनके निर्देश पर सहायक उप निरीक्षक संतोष कुमार पांडेय पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंचे और प्रारंभिक कार्रवाई करते हुए शव को बरामद कर जिला चिकित्सालय अनूपपुर के शव परीक्षण कक्ष में सुरक्षित रखवा दिया। तीन दिनों तक विभिन्न माध्यमों से शिशु एवं आरोपी की पहचान की कोशिश की गई, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली।
अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाज से
तीन दिन तक पहचान न होने पर 9 फरवरी को सहायक उप निरीक्षक संतोष कुमार पांडेय, आरक्षक मोहन जामरा, सामाजिक कार्यकर्ता शशिधर अग्रवाल, सफाई कर्मचारी गणेश, और जेसीबी चालक अनिल यादव की उपस्थिति में नगर के मुक्तिधाम (सोननदी तट) पर नवजात बालिका का अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान पूरे हिंदू रीति-रिवाजों के साथ कफन, फूल और अगरबत्ती अर्पित कर नवजात को दफनाया गया तथा मृत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई।
घटना से समाज में रोष, पुलिस कर रही जांच
अज्ञात व्यक्तियों द्वारा नवजात को इस तरह फेंकने की घटना से बाल विकास समिति एवं अन्य सामाजिक संगठनों ने गहरी चिंता व्यक्त की है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और आरोपियों की तलाश में जुटी हुई है। सामाजिक कार्यकर्ताओं और नागरिकों ने प्रशासन से दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।