न परमिट, न बीमा, न फिटनेस दौड़ रही नपा की सुविधा एक्सप्रेस…!

कांग्रेस पार्षद ने ज्ञापन सौंप की दस्तावेज पूर्ण करने की मांग
शहडोल। सोमवार की सुबह अचानक जन सुविधा के नाम पर नगर पालिका ने बस सेवा शुरू की, सीएमओ व अन्य अधिकारियों की उपस्थिति में नपा अधिकारियों ने हरी झण्डी दिखाई, लगभग पार्षद नपा की इस सेवा से सोशल मीडिया में खबर वॉयरल होने से पहले अंजान रहे। कांग्रेस नेता और पार्षद ने आरोप लगाये कि बस संचालन में वाह-वाही बटोरने के फेर में अध्यक्ष ने इतनी जल्दबाजी की कि बस के बीमा, परमिट व फिटनेस तक के दस्तावेज बिना पूरा किये बस रवाना कर दी गई।
परिषद को नहीं खबर
कांग्रेस पार्षद ने आरोप लगाये हैं कि वे और अन्य पार्षद बस चलाने के विरोध में नहीं हैं, लेकिन इसकी जानकारी और परिषद में उक्त प्रस्ताव पेश करने के उपरांत ही बस की शुरूआत करनी चाहिए, यही नहीं जयस्तंभ से लेकर मेडिकल कॉलेज तक का किराया 15 रूपये रखा गया है, किराया किसने और किस आधार पर तय किया गया, इसकी सहमति भी परिषद से नहीं ली गई, जबकि नियमत: परिषद में बैठक और प्रस्ताव पास होने के बाद बस सेवा शुरू की जानी चाहिए, महज वाह-वाही बटोरने के लिए अध्यक्ष और अध्यक्ष पति मिलकर पूरी परिषद को न सिर्फ चला रहे हैं, बल्कि अपनी मिल्कियत समझ बैठे हैं। परिषद सिर्फ अध्यक्ष नही बल्कि समस्त पार्षदों व उपाध्यक्ष से मिलकर बनी हैं।
अधूरे दस्तावेज, दौड़ा दी बस
सोमवार को जब अध्यक्ष ने बस को हरीझण्डी दिखाकर रवाना किया, उस दौरान ऑन रिकार्ड न तो बस का बीमा और न ही परमिट वैध था, सवाल यह उठता है कि अध्यक्ष को बस सोमवार को ही चलाने की ऐसी क्या जल्दी थी, कि कुछ दिन का इंतजार भी नहीं किया गया, खुद अध्यक्ष व सीएमओं ने इस बात को स्वीकारा की, दस्तावेजों की फाईल तैयार कर परिवहन विभाग को भेजी गई है, शुल्क जमा कर दिया गया, लेकिन अभी वहां से अनुमति नहीं मिली है।
दुर्घटना का जिम्मेदार कौन…?
अध्यक्ष और सीएमओ के बयानों को यदि सही भी माना जाये तो, इस सप्ताह में बस के दस्तावेज बन जाने चाहिए, लेकिन इस दौरान यदि किराया बचाने के फेर में गरीब जनता यदि जयस्तंभ से मेडिकल कॉलेज के बीच दुर्घटना का शिकार होती है तो, उसकी जिम्मेदारी अध्यक्ष, सीएमओ या फिर जिले के मुखिया अपने ऊपर लेंगे, इस दौरान हुई दुर्घटना की जिम्मेदारी और जन-धन की हानि की भरपाई कहां से होगी।
सुविधा जरूरी, पर साफ-सुथरी मंशा के साथ
अध्यक्ष तथा सीएमओ ने बस सेवा चालू किये जाने के पीछे आमजनों को होने वाली तकलीफ का हवाला दिया है, जाहिर है वर्तमान में शहर से मेडिकल कॉलेज तक के लिए ऑटो ही एक मात्र साधन हैं, जिसमें 50 से 60 रूपये का भाड़ा चुकाना पड़ता है, 15 रूपये में मेडिकल कॉलेज आने-जाने में तो राहत मिलेगी, लेकिन समय की पाबंदी भी बड़ा सवाल है, बस मेडिकल कॉलेज के कितनी देर और कितने चक्कर लगायेगी, मरीजों को तत्काल मेडिकल जाने के लिए अलबत्ता मन चाहे समय बस नहीं बल्कि आटो का ही सहारा लेना पड़ेगा।
आरोप यह भी हैं कि बस को चलाने के पीछे दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों, ईंधन और मेंटेनेंस के नाम पर बनने वाला जुगाड़ बस चलाने का प्रमुख आधार है, नपा यदि सेवा ही करना चाहती तो, मुख्यालय के समाज सेवियों को 5 रूपये भरपेट भोजन की सेवा खुद न चालू करनी पड़ती और पुराने बस स्टैण्ड पर संचालित हुई दीनदयाल रसोई पर ताला नहीं लटकता।