मुक्तिधाम पर श्रीमद्भागवत कथा का भव्य आयोजन के तीसरे दिवस हुआ सति चरित एवं सुखदेव जी जन्म की कथा का दिव्य वर्णन

मुक्तिधाम पर श्रीमद्भागवत कथा का भव्य आयोजन के तीसरे दिवस हुआ सति चरित एवं सुखदेव जी जन्म की कथा का दिव्य वर्णन
कटनी।। कटनी नगर के मुक्तिधाम परिसर में श्री श्री 1008 सिद्धपीठ श्री दक्षिणमुखी बड़े हनुमानजी मंदिर के तत्वाधान मे पहलगाम हमले मे शहीद हुए लोगों की आत्मा की शांति के लिए 11 दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। बुधवार 4 जून को श्री श्री 1008 सिद्धपीठ श्री दक्षिणमुखी बड़े हनुमानजी महाराज के आदेशानुसार नगर के प्रमुख मार्ग से गाजे बाजे के साथ भव्य कलश यात्रा के साथ श्रीमद् भागवत कथा शुरू की गईं। कथा के तीसरे दिवस पर कथा वाचक पंडित कथा व्यास भगवताचार्य श्री इंद्रभान शास्त्री जी महाराज ने सती चरित एवं शुकदेव जन्म की कथा का दिव्य वर्णन करतें हुए श्रद्धालुओं को श्रीमद् भागवत कथा का रस पान करते हुये कहा कि जीवन में सत्संग व शास्त्रों में बताये गये आदर्शों का श्रवण करना, जैसे कहने वाले से सुनने वाले को ज्यादा ध्यान देना चाहिए तभी भगवान के आनंद विभोर भक्ति आत्मा में जाग्रति होती है। आचार्य ने भगवत कथा को आनंदमय से विस्तार करते हुये कहा कि सत्संग में वह शक्ति है, जो व्यक्ति के जीवन को बदल देती है। श्रीमद् भागवत के प्रसंग को आगे बढ़ाते हुये कहा की जितने प्यार से भोजन करते हो उतने ही प्यार से भगवान का भजन करना चाहिए और भक्ति के लिए कोई उम्र बाधा नहीं है, भक्ति को बचपन में ही करने की प्रेरणा देनी चाहिए क्यों कि बचपन कच्चे मिट्टी की तरह होता है। उसे जैसा चाहे वैसा पात्र बनाया जा सकता है। कथा व्यास द्वारा अपने मुखारबिंद से सुखदेव जी के जन्म का विस्तार से वर्णन करते हुऐ कहा कि कैसे श्री कृष्ण सुखदेव महाराज को धरती पर भेजे भागवत कथा ज्ञान करने को ताकि कलयुग के लोगों का कल्याण हो सके। रास्ते में कैलाश पर्वत पर उन्होंने चुपके से भगवान शिव की ओर से मां पार्वती को सुनाई जा रही भागवत कथा सुन ली। इससे शिव नाराज होकर उन्हें मारने दौड़े। साथ ही राजा परीक्षित को श्राप लगने का प्रसंग सुनाया गया। कहा कि राजा परीक्षित की मृत्यु सातवें दिन सर्प दंश से होनी थी। जिस व्यक्ति को यहां पता चल जाए कि उसकी मृत्यु सातवें दिन होगी, वह क्या करेगा, क्या सोचेगा। राजा परीक्षित यह जानकर अपना महल छोड़ दिए। महाराज ने बताया कि श्रीकृष्ण की ओर से राजा परीक्षित को दिए गए श्राप से मुक्ति के लिए उन्हें भाई सुखदेव से मिलने की कथा सुनाई। कहा कि भागवत कथा का श्रवण आत्मा का परमात्मा से मिलन करवाता है। सम्पूर्ण भागवत का श्रवण करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। कथा का आयोजन मुक्ति धाम परिसर मे श्री श्री 1008 सिद्धपीठ श्री दक्षिणमुखी बड़े हनुमानजी मंदिर के तत्वाधान मे पहलगाम हमले मे शहीद हुए लोगों की आत्मा की शांति के लिए कराया जा रहा है। धार्मिक नगरी में यह आयोजन 4 से 14 जून तक चलेगा। शनिवार 14 जून 2025 पूर्णआहुति के साथ हवन एवं विशाल भण्डारा का आयोजन के साथ कथा का समापन होंगा। कथा प्रतिदिन समय शाम 4 बजे से 7 बजे तक कथा स्थल मुक्तिधाम नदीपार आयोजित की जा रही हैं।..पंडित आनंद जी महाराज एवं पंडित कथा व्यास भगवताचार्य श्री इंद्रभान शास्त्री जी महाराज ने कटनी नगर की समस्त धर्म प्रेमी जनता से इस धार्मिक यात्रा और श्रीमद्भागवत कथा मे शामिल होकर धर्म लाभ अर्जित कर पुण्य लाभ प्राप्त करने की अपील की हैं।.