विश्वविद्यालय में एक दिवसीय राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का हुआ आयोजन

शहडोल। विश्वविद्यालय के वाणिज्य विभाग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसका विषय प्रास्पेक्टस एंड चैलेंज ऑफ स्किल डेवलपमेंट इन भारतीय इकोनॉमी रहा। राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी के मुख्य अतिथि कुलगुरु प्रो. राजकुमार वर्मा, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर थे, कायक्रम की अध्यक्षता कुलगुरू प्रो. रामशंकर ने की मुख्यवक्ता के रूप में प्रो. शैलेन्द्र सिंह भदौरिया, इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय जन जातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक थे और दूसरे वक्ता के रूप में डॉ. अभिषेक कुमार सिंह यूनिवर्सिटी ऑफ दिल्ली उपस्थित थे, मंच पर विश्व विद्यालय के कुलसचिव प्रो. अशीष तिवारी, परिसर प्रभारी प्रो. करुणेश झा उपस्थित थे। माँ वीणावादनी की आराधना से हुई। अतिथियों को शाल श्रीफल स्मृति चिन्ह से सम्मानित किया गया। सभी का स्वागत करते हुए वाणिज्य विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अनिल गुप्ता ने स्वागत उद्बोधन दिया। मुख्यअतिथि कुलगुरु प्रो. राजेश कुमार वर्मा संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कौशल विकास को शिक्षा से जोड़ने का व्यापक प्रयास किया है, कौशल विकास शिक्षा के लिए अत्यंत जरूरी विकल्प के रूप में देखते हुए आज नौकरियों को रोजगार में बदलने की जरूरत है, बच्चों को जिस विधा में रुचि है उसके रुचि को देखते हुए उसे उस स्किल से जोड़ना और उसके स्वर्णिम भविष्य के लिए जोड़ने का सफल प्रयास करना आज जरूरी है। विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. राम शंकर ने कहा कि आज का अवसर महत्वपूर्ण है आज विशेष दिन है, आज हमारे भारत के सपूत नेता सुभाषचंद्र बोस का जन्म दिन है जिसे पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाता है और इसके पूर्व 22 जनवरी को हमने भारतीय अस्मिता की पहचान को विश्वपटल पर अंकित किया है, इसी समय में हम विश्वविद्यालय में स्किल डेवलपमेंट पर संगोष्ठी कर रहे है। मैं सदैव ये कहता हूँ कि आप सोचिये और एक विचार देते हुए सिद्धांत दीजिये। उस सिद्धान्त पर लोग जाकर कुछ नया कर पाते है, इसलिए इस प्रकार की स्किल सीखना जरूरी है और यही आपके विकास सही प्रयोजन है। प्रथम सत्र में आभार का प्रदर्शन डॉ. एच. एल. मरावी ने किया और दूसरे सत्र को सम्बोधित करते हुए मुख्य वक्ता प्रो. शैलेन्द्र सिंह भदौरिया ने अपने वक्तव्य में कहा कि स्किल आज के समय का सबसे महत्वपूर्ण तत्व है पर इस पर काम करना जरूरी है, महाभारत का युध्द हुआ 100 कौरव और पांच पांडवो का मुख्य युध्द था पर हमें कितने नाम याद है, हमें सब नाम याद नहीं रहते क्यो ? ये इसलिए जिनमे स्किल थी उन्हें याद रखते है क्योकि उनकी जगह उनकी स्किल हमें याद रही और उस स्किल से हम उन्हें पहचानते है। स्किल पर बात करते हुए उन्होंने विभिन्न स्किल मैनेजमेंट के क्षेत्र और उनसे जुड़ी बातें छात्र-छात्राओं से साझा की। दिल्ली विश्वविद्यालय से पधारे डॉ. अभिषेक कुमार सिंह ने स्किल मंैनेजमेंट और उसमें आने वाले चैलेंज की व्यापक बात करते हुए अपने अनुभव जन्य तर्कों को साझा किया और नवीन तकनीकी का उपयोग कर सुधार की बात की। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुल सचिव प्रो अशीष तिवारी ने अपने विचार रखते हुए संगोष्ठी के सराहना की सभी का आभार ज्ञापित किया। आयोजन का सफल संचालन डॉ. रजनी गौतम ने किया। संचालन समिति में सराहनीय भूमिका डॉ. प्रज्ञा यादव, डॉ. चंद्रकला अरमोती, डॉ. एच. एल. मरावी, की थी। उक्त संगोष्ठी में कई प्रतिभागियों ने रिसर्च पेपर का वाचन किया। संगोष्ठी में 450 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया और विश्वविद्यालय के संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक, सहायक प्राध्यापक एवं अतिथि प्राध्यापक, विजिटिंग प्राध्यापक एवं छात्र-छात्राओं की उपस्थिति सराहनीय थी। अंत में डॉ. प्रज्ञा यादव ने आभार व्यक्त किया।