पीसीबी के”स्पेशल ड्राइव” टीम द्वारा एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला जिला चिकित्सालय में संपन्न

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शहडोल। संभाग के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी संजीव मेहरा के निर्देशन में उनके द्वारा गठित स्पेशल ड्राइव टीम द्वारा गत दिवस शासकीय चिकित्सालय महाविद्यालय शहडोल में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन संपन्न हुआ है। 16 जून को आयोजित इस कार्यक्रम में जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 के अंतर्गत जैव चिकित्सा अपशिष्ट को श्रेणीवार पृथक्करण के प्रशिक्षण को समझाया गया। शासकीय चिकित्सालय शहडोल अंतर्गत संचालित चिकित्सा संस्थान में कार्यरत चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ, वार्ड बॉय, एवं सफाई कर्मचारियों सहित लगभग 70 लोग उपस्थित थे। इस कार्यक्रम में विभाग के द्वारा कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए सभी लोग मास्क एवं सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के साथ प्रशिक्षण का लाभ लिया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में एडीजे शहडोल एके त्रिपाठी, सिविल सर्जन डॉक्टर जी एस परिहार, प्रभारी अधिकारी डॉक्टर संदीप कुशवाहा, स्वच्छता निरीक्षक नगर पालिका से मोतीलाल सिंह उपस्थिति रहे। मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड क्षेत्रीय कार्यालय शहडोल के वैज्ञानिक डॉ एके दुबे, सी ई मानस कुमार साहू, कमलेश अहिरवार, राजेश शर्मा, तथा राजेश वर्मा उपस्थित थे।

संग्रहण एवं निपटान पर डाला गया प्रकाश

कार्यशाला में शासकीय चिकित्सालय के सिविल सर्जन डॉक्टर जी एस परिहार द्वारा जैव चिकित्सा से उत्पन्न होने वाले अपशिष्ट को श्रेणीवार संग्रहण तथा आवश्यक सावधानियां के संबंध में सरल भाषा में विस्तृत रूप से जानकारी दी गई। मानस कुमार साहू क्षेत्रीय कार्यालय शहडोल द्वारा पावर पॉइंट के माध्यम से जैव चिकित्सा प्रबंधन के संबंध में श्रेणी वार जैव चिकित्सा अपशिष्ट और उनके संग्रहण तथा परिवहन के संबंध में विशेष रूप से केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा कोविड-19 बायो मेडिकल वेस्ट के परिपेक्ष में विस्तृत जानकारी देते हुए सब को बताया गया कि किस तरह से मेडिकल वेस्ट को संग्रहण करना चाहिए, और किस तरह से उनके उपचार के लिए प्रक्रिया रखने चाहिए, जिससे समाज के बीच में यह जहर ना फेल पाए इन सभी बातों को विस्तृत रूप से कार्यशाला में उपस्थित कर्मचारियों को समझाया गया।
इसी क्रम में एम पी बायो मेडिकल वेस्ट के प्रबंधक प्रकाश गुप्ता ने भी आयोजन में प्रकाश डालते हुए नियमों के प्रावधानों के अंतर्गत आवश्यक बारकोड/ वेबसाइट निर्माण के संबंध में बखूबी जानकारी प्रस्तुत की, साथ ही स्वच्छता निरीक्षक नगर पालिका शहडोल के तरफ से मोती लाल सिंह द्वारा कोरोना के हाल में चिकित्सालय से उत्पन्न होने वाले जनरल वेस्ट के संग्रहण एवं पृथक्करण के संबंध में किए जाने वाले कार्य को साझा किया गया

नियमों को किया गया साझा

इसी प्रकार डॉक्टर संदीप कुशवाहा द्वारा चिकित्सालय में जैव चिकित्सा अपशिष्ट 2016 के तहत की जा रही कार्यवाही की विस्तृत जानकारी दी गई। मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वैज्ञानिक डॉ एके दुबे द्वारा जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 के अंतर्गत चिकित्सालय से उत्पन्न होने वाले जैव चिकित्सा अपशिष्ट को श्रेणी वार पृथक्करण, चिकित्सालय के वार्ड में पृथक्करण हेतु आवश्यक तथा महत्वपूर्ण विस्तृत जानकारी बताई गई। जिससे आने वाले कल में समस्त उपस्थित स्टाफ जानकारी को साझा कर सकें और अस्पताल की रक्षा और नियमों के पालन को समझ सके।

आभार व्यक्त किया गया

कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि एडीजे शहडोल एके त्रिपाठी द्वारा चिकित्सालय से होने वाले चिकित्सा अपशिष्ट को किस तरह से संग्रहण, पृथक्करण, भंडारण, एवं परिवहन के साथ-साथ निपटान को ध्यान में रखने की आवश्यकता पर जोर दिया है। साथ ही समस्त उपस्थित अस्पतालों के स्टाफ को इस बारे में जागरूक होकर कार्य करने की प्रेरणा भी दिए हैं। और फिर अंत में उक्त कार्यक्रम के लिए मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वैज्ञानिक एके दुबे ने सभी लोगों का आभार व्यक्त किया और इस बात की खुशी भी जताई कि ज्यादा से ज्यादा अस्पताल के कर्मचारियों ने कार्यक्रम पर भाग लेकर मेडिकल अवशिष्ट के प्रबंधन पर और निपटान पर जागरूकता बढ़ाई।

अधिकारी के सजगता से पर्यावरण में सुधार

निश्चित रूप से शहडोल संभाग में जब से मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी संजीव मेहरा ने कमान संभाला है तबसे पूरे संभाग में कोविड-19 काल में बढ़-चढ़कर पूरे संभाग में दौरा करते हुए जगह जगह अस्पतालों के अंदर मेडिकल वेस्ट को लेकर अनेक दौरा किए हैं। और इनके द्वारा बनाई गई स्पेशल “ड्राइव टीम” ने पूरे संभाग पर नजरें गड़ा कर रखी थी, और प्रतिदिन मेडिकल अपशिष्ट एवं क्षेत्र में प्रदूषण मापक यंत्र स्थापित करने के अलावा क्षेत्रीय कार्यालय के अधिकारी संजीव मेहरा ने पूरे संभाग के प्रदूषण को रोकने में निश्चित रूप से महारथ हासिल की है। और इस तरीके से समय-समय पर पर्यावरण को लेकर अगर कोई अधिकारी लोगों के बीच जाकर समझाते हैं तो एक शानदार योजना का अनावरण होता है और क्षेत्र के जिम्मेदार लोग भी पर्यावरण के प्रति जागरूक होते हैं।

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