पृथ्वी का सुरक्षा कवच है ओजोन परत, जिंदगी के लिए बहुत जरूरी है इसे बचाएं :डॉ. सुनील

ओजोन संरक्षण दिवस के अवसर पर ऑनलाइन वेबिनार आयोजित
शहडोल। भारत सरकार के विज्ञान एवं स्वास्थ्य जागरूकता वर्ष 2021 अंतर्गत ओजोन संरक्षण दिवस के अवसर पर ऑनलाइन वेबिनार आयोजित किया गया। कार्यक्रम के आयोजक एवं क्षेत्रीय समन्वयक संतोष कुमार मिश्रा ने बताया कि वेबिनार में अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आई.यू.सी.एन.) के सदस्य डॉ. सुनील दुबे, राज्य समन्वयक साइंस सेंटर मध्यप्रदेश भोपाल राज्य समन्वयक संध्या वर्मा, क्षेत्रीय समन्वयक ओम प्रकाश पाटीदार तथा संतोष कुमार मिश्रा ने प्रतिभागियों को संबोधित किया। डॉ. सुनील दुबे ने ओजोन परत के सम्बंध में रौचक जानकारी प्रदान करते हुवे बताया कि ओजोन परत ओजोन अणुओं की एक परत है, जो वायुमंडल में पाई जाती है। ओजोन परत पृथ्वी को सूर्य की हानिकारक अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाती है। इसके संरक्षण के लिए 16 सितंबर को विश्व ओजोन दिवस या ओजोन परत संरक्षण दिवस मनाया जाता है। ओजोन लेयर पृथ्वी का सुरक्षा कवच है और इसे बचाने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि 1995 के बाद से हर साल 16 सितंबर को ओजोन परत के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय ओजोन दिवस का आयोजन किया जाता है। ओजोन परत के क्षरण के बारे में संभव समाधान का खोज करने के लिए यह दिवस मनाया जाता है।
क्यों हो रहा ओजोन परत का क्षय
राज्य समन्वयक संध्या वर्मा ने बताया कि क्लोरोफ्लोरोकार्बन ओजोन परत में होने वाले विघटन के लिए उत्तरदायी है। इसके अलावा हैलोजन, मिथाइल क्लोरोफार्म, कार्बन टेट्राक्लोरिड आदि रसायन पदार्थ भी ओजोन को नष्ट करने में सक्षम है। इन रासायनिक पदार्थों को ही ओजोन क्षरण पदार्थ कहते हैं। यह एयर कंडीशनर, रेफ्रिजरेटर व प्लास्टिक आदि के इस्तेमाल में प्रमुखता से उत्सर्जित होते हैं।
ई-कचरा भी बना खतरा
कार्यक्रम के संयोजक एवं समन्वयक संतोष कुमार मिश्रा ने बताया कि हमारे द्वारा फैलाये जा रहे। ई-कचरे में करीब 38 अलग-अलग प्रकार के रासायनिक तत्व शामिल होते हैं। टीवी व पुराने कंप्यूटर में लगी सीआरटी को रिसाइकल करना मुश्किल होता है। इस में लेड, मरक्यूरी केडमियम जैसे घातक तत्व होते हैं। कूड़े में पाया जाने वाले ई-कचरा हवा, मिट्टी, भूमिगत जल को प्रदूषित कर रहा है।
घातक होंगे परिणाम
क्षेत्रीय समन्वयक ओम प्रकाश पाटीदार के अनुसार
ओजोन परत के बढ़ते क्षय के कारण अनेकों दुष्प्रभाव हो सकते हैं। जैसे कि सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणें धरती पर वायुमंडल में प्रवेश कर सकती हैं। जो बेहद ही गर्म होती है और पेड़-पौधों व जीव जंतुओं के लिए हानिकारक होती है। शरीर में इन कारणों की वजह से त्वचा का कैंसर, अल्सर, मोतियाबिंद जैसी घातक बीमारियां हो सकती हैं। यह किरणें मानव शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को भी प्रभावित करती हैं।