संस्कार और शिक्षा के प्रतीक पं. मुनींद्र प्रसाद द्विवेदी का निधन

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शहडोल। शिक्षा जगत एवं समाजसेवा से जुड़ी हस्तियों में शुमार बाणगंगा रोड निवासी पं. मुनींद्र प्रसाद द्विवेदी का 11 सितंबर को निधन हो गया। 77 वर्ष की आयु में उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन से न केवल परिजन बल्कि विद्यार्थियों और परिचितों में भी गहरी शोक की लहर है।

पं. द्विवेदी लम्बे समय तक रघुराज उमावि में संस्कृत विषय के प्राध्यापक रहे। संस्कृत भाषा और भारतीय संस्कृति को आगे बढ़ाने में उनका विशेष योगदान रहा। वे अपने सहज, सरल और अनुशासित व्यक्तित्व के लिए विद्यार्थियों में लोकप्रिय थे। शिक्षण के साथ-साथ वे समाज के विभिन्न धार्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजनों में सक्रिय रहते थे।

परिवारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, वे भालेंदु, पुष्पेन्द्र और प्रमोद प्रसाद द्विवेदी के पिता थे। परिवार के इस स्तंभ के चले जाने से परिजनों को गहरा आघात पहुँचा है। उनके निधन पर क्षेत्र के बुद्धिजीवियों, शिक्षकों और सामाजिक संगठनों ने गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है।

उनका अंतिम संस्कार 12 सितंबर को प्रातः 9 बजे बुढ़ार रोड स्थित शांति वन श्मशान घाट में किया जाएगा। अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में लोग शामिल होने की संभावना है। परिजनों ने सभी शुभचिंतकों, मित्रों और परिचितों से अंतिम दर्शन एवं श्रद्धांजलि के लिए शांति वन पहुँचने की अपील की है।

पं. मुनींद्र प्रसाद द्विवेदी का जीवन शिक्षा, संस्कार और सामाजिक समर्पण का प्रतीक रहा। उनके निधन से शहडोल ने एक ऐसे शिक्षक को खो दिया है, जिसने अपनी विद्वत्ता और मार्गदर्शन से अनेक पीढ़ियों को संस्कारित किया। समाज हमेशा उनकी स्मृतियों और योगदान को संजोकर रखेगा।

 

 

 

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