पापा मैं मर जाऊंगा: एम्बुलेंस में ऑक्सीजन खत्म!
शहडोल। शहर में स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर सडक़ों पर दौड़ रहीं निजी एंबुलेंस मरीजों को सुविधाएं उपलब्ध कराने के नाम पर महज खानापूर्ति कर रहे हैं। नियमों को ताक पर रखकर संचालित हो रही इन एंबुलेंस में ना तो जीवन रक्षक दवाओं की ठीक व्यवस्था है और ना ही प्रशिक्षित स्टाफ की। इतना ही नहीं इनकी निगरानी करने वाला स्वास्थ्य विभाग भी मौन साधे हुए है। जिसका कुप्रभाव मरीजों और उनके परिजनों पर पड़ रहा है। स्थिति यह है कि नौसिखिया एंबुलेंस चालक गंभीर मरीजों को ढ़ोते नजर आ रहे हैं। जबकि नेशनल हेल्थ मिशन और परिवहन विभाग की तरफ से बनाए गए नियमों को ताक पर रखकर जिले भर में निजी एंबुलेंस संचालित की जा रही हैं। परिवहन विभाग द्वारा हर वर्ष इनका फिटनेस प्रमाणपत्र जरूर जारी कर दिया जाता है। स्थिति यह है कि कई एंबुलेंसों से जरूरी उपकरण ऑक्सीजन मॉस्क, सिलेंडर, बीपी मशीन, अग्निशमन यंत्र गायब है। मानक के अनुसार एंबुलेंस में प्रशिक्षित पैरा-मैडिकल स्टॉफ, आपातकालीन जीवन रक्षक दवाईयां उपलब्ध होनी चाहिए। साथ ही स्टेथोस्कोप, बीपी मॉनिटर, फोल्डिंग मशीन और पावर फुल टॉर्च भी होना अनिवार्य है।
यह है मामला
रामलाल केवट पिता स्व. राम प्रसाद केवट निवासी जरवाही थाना बुढ़ार ने कलेक्टर को लिखित शिकायत करते हुए बताया कि 11 अगस्त को अपने पुत्र को श्रीराम हॉस्पिटल में भर्ती कराया था, भर्ती के बाद अस्पताल में 30 हजार रूपये लिया गया, श्रीराम हॉस्पिटल के डॉक्टरों द्वारा बोला गया कि आप अपने बालक को रायपुर या बिलासपुर ले जाओ, जिसके उपरांत रास्ते में बताया गया कि गाड़ी में रखा हुआ ऑक्सीजन खत्म हो गई है। जिसके उपरांत मेरा बालक चिल्ला भी रहा था कि पापा मैं मर जाऊंगा, फरियादी के बार-बार उन्हें कहीं से ऑक्सीजन की व्यवस्था करने के लिए बोला जाता रहा एवं हाथ पैर जोड़ता रह गया, लेकिन श्री राम हॉस्पिटल के एम्बुलेंस में बैठे हुए डॉक्टर ने कोई व्यवस्था नही की। जबकि प्रार्थी से जबरजस्ती पैसा ऐठा गया। पीडि़त चिकित्सालय से राशि दिलाने के लिए कलेक्टर से गुहार लगाई है।