हिम्मत से करोना को दे रहे मात @ मेडिकल कॉलेज की व्यवस्थाओं से संतुष्ट दिखे मरीज

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शहडोल। कोरोना के बढ़ते प्रभाव ने पूरे जिले को हलाकान कर रखा है, बीते सप्ताह ऑक्सीजन की पाइप लाइन में प्रेशर में आई कमी और उसके बाद उपजे घटनाक्रम में कई लोगों की मौत ने मेडिकल कॉलेज पर सवालिया निशान खड़ा कर दिए थे, लेकिन संभाग के आयुक्त राजीव शर्मा, कलेक्टर डॉ सत्येंद्र सिंह, मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ मिलिंद शिरालकर तथा प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के दर्जनभर अधिकारियों की लगातार मेहनत से अब मेडिकल कॉलेज में भर्ती मरीजों के चेहरों पर संतुष्टि का भाव नजर आने लगा है।

बीते 1 सप्ताह के दौरान मेडिकल कॉलेज में न सिर्फ बिस्तरों की संख्या बढ़ाई गई, बल्कि ऑक्सीजन का पर्याप्त स्टाक, दवाओं की उपलब्धता और चिकित्सकों तथा नर्सिंग स्टाफ की रात दिन की मेहनत ने मेडिकल कॉलेज को लेकर बन रही विपरीत सोच को बदल दिया है , हाल-ए- हलचल के sub editer.. Prakash jaiswal ने इस दौरान मेडिकल कॉलेज में पदस्थ भर्ती मरीजों से उनका कुशल क्षेम जाना और अन्य हालातों पर का जायजा भी लिया।

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मेडिकल कॉलेज में भर्ती मरीजों के उम्र वार आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो कोरोना संक्रमण की पहली लहर के बाद इस दूसरी लहर में इस संक्रमण से 25 से 50 वर्ष के युवाओं का प्रतिशत कहीं अधिक है, मेडिकल कॉलेज में स्वास्थ्य लाभ ले रहे byohari के युवा से जब हमने बात की तो उसने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि कोरोना से वह की जरूरत नहीं है, हमें हौसला रखने की जरूरत है, इस हौसले और हिम्मत से ही कोरोना को हराया जा सकता है। मेडिकल कॉलेज में स्वास्थ सुविधाओं को लेकर भर्ती मरीज ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि जब कुछ दिन पहले उसे यहां पर लाया गया था, तब ऑक्सीजन का प्रतिशत काफी कम हो गया था, बुखार और खांसी भी थी, यहां चिकित्सकों के निर्देश पर मुझे वार्ड के अंदर रखा गया और बाकी परिजन बाहर थे, चिकित्सकों तथा अन्य स्टाफ ने एक परिवार की तरह मेरा ख्याल रखा, ऑक्सीजन का लेवल 3 दिनों में ही 93-94 पहुंच गया है,बुखार भी नहीं है, 24 घंटे नर्सिंग स्टाफ के द्वारा देखरेख तथा भोजन के संदर्भ में भी मरीज ने बताया कि घर जैसा भोजन यहां उपलब्ध हो रहा , जिस कारण अब अच्छा लगने लगा है।

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